मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन: दिल्ली AIIMS में आखिरी सांस ली; 7 दिन का राष्ट्रीय शोक

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के जनक माने जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। गुरुवार देर शाम अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें नई दिल्ली स्थित एम्स ले जाया गया, जहां रात 9:51 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। डॉ. सिंह के निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई।
राष्ट्रव्यापी शोक और नेताओं की श्रद्धांजलि
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, और अन्य दलों के नेताओं ने गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक, डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त करता है। उन्होंने वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में हमारे देश की आर्थिक नीतियों पर गहरी छाप छोड़ी।”
डॉ. सिंह के पार्थिव शरीर को गुरुवार देर रात एम्स से उनके आवास पर ले जाया गया, जहां लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकते हैं। भारत सरकार ने शुक्रवार को सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। डॉ. सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
डॉ. मनमोहन सिंह की जीवन यात्रा
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। देश के विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की और फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की।
अपने करियर की शुरुआत में डॉ. सिंह ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, और अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक पदों पर कार्य किया। उन्हें 1987 में उनके आर्थिक योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 1991 में, जब भारत आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण, और वैश्वीकरण की नीतियों को लागू कर भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से उबारा और वैश्विक मंच पर खड़ा किया।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
डॉ. सिंह 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक लगातार दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने देश की आर्थिक और सामाजिक नीतियों को मजबूती से आगे बढ़ाया। डॉ. सिंह पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के बाद सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले राजनेता थे। उनके कार्यकाल में सूचना अधिकार कानून, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), और भारत-अमेरिका परमाणु समझौते जैसे कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए।
स्वास्थ्य और निजी जीवन
डॉ. सिंह का स्वास्थ्य पिछले कुछ वर्षों से खराब चल रहा था। उन्हें पहले दो बार बाईपास सर्जरी से गुजरना पड़ा था। पहली सर्जरी यूनाइटेड किंगडम में और दूसरी 2009 में नई दिल्ली स्थित एम्स में हुई थी। उनकी सरलता और निष्ठा के लिए उन्हें व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता था।
आखिरी वक्त और अस्पताल में स्थिति
एम्स की मीडिया प्रभारी डॉ. रीमा दादा ने बताया कि डॉ. सिंह को उम्र से संबंधित समस्याओं के कारण गुरुवार शाम उनके घर पर ही प्राथमिक चिकित्सा दी गई। रात 8:06 बजे उन्हें एम्स की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। डॉक्टर्स ने उन्हें बचाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन रात 9:51 बजे उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद एम्स में सुरक्षा बढ़ा दी गई। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने अस्पताल पहुंचकर शोक व्यक्त किया।
डॉ. सिंह की विरासत और देश की प्रतिक्रिया
डॉ. मनमोहन सिंह को उनके आर्थिक सुधारों और प्रधानमंत्री के रूप में उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने एक साधारण पृष्ठभूमि से उठकर भारत के सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में अपनी जगह बनाई। उनके निधन से भारतीय राजनीति और आर्थिक क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया है।
देश में उनके योगदान को श्रद्धांजलि देते हुए, लोगों ने उनके नेतृत्व और नीतियों को याद किया, जिन्होंने करोड़ों भारतीयों के जीवन को प्रभावित किया। उनके निधन के साथ ही भारत ने एक ऐसा नेता खो दिया, जो अपने कार्यों से देश को नई ऊंचाइयों पर ले गया।
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