Margashirsha Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत के लिए इन मंत्रों के साथ शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की पूजा, जीवन की समस्याएं होंगी दूर
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। Margashirsha Pradosh Vrat 2023: हिन्दू धर्म में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, प्रत्येक माह के त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। जीवन में आने वाले कंटक और समस्याएं दूर होती हैं। रविवार को मार्गशीर्ष मास का पहला पहला प्रदोष व्रत है। अगर आप ये व्रत रख रहें हैं तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा, ताकि जीवन में परेशानियों का सामना न करना पड़े। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रवि प्रदोष व्रत रविवार 10 दिसंबर 2023 को रखा जाएगा। इस दिन पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें पूजा-पाठ करने से साधकों को विशेष लाभ मिलेगा।
ये है शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 दिसंबर सुबह 07 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगी और 11 दिसंबर सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय भगवान शिव की उपासना की जाती है, जिससे यह व्रत रविवार को रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 25 मिनट से रात्रि 08 बजे तक रहेगा।
इस बारे में प्रसिद्ध आचार्य ने बताया कि रवि प्रदोष व्रत के दिन स्वाति नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जिसे शुभ समय माना जा रहा है। इस दिन स्वाति नक्षत्र सुबह 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगा. इस विशेष दिन पर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। वही संध्या पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 25 मिनट से शाम 06 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।
इस मंत्र का करें जाप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
प्रदोष व्रत के लिए कैसे करें पूजा
-रवि प्रदोष व्रत के दिन व्यक्ति को सुबह जल्द उठकर स्नान करना चाहिए और इसके बाद सूर्य को अर्ध्य प्रदान करना चाहिए।
-इसके बाद मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध, गंगाजल के अलावा बेलपत्र, अक्षत, चंदन का अर्पण करें।
-फिर शाम के समय विधि-विधान से भगवान शिव की उपासना करें। इसके साथ ही भगवान शिव के स्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए।
-इस अवसर पर भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक जरूर करना चाहिए। आखिर में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।