मिथुन चक्रवर्ती को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, 8 अक्टूबर को मिलेगा सम्मान; 350 से ज्यादा फिल्में कीं, 3 नेशनल अवॉर्ड जीते

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि इस साल दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड मिथुन चक्रवर्ती को दिया जाएगा। उन्हें 8 अक्टूबर को 70वीं नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी में सम्मानित किया जाएगा। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने करियर में लगभग 50 वर्षों में बांग्ला, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, ओडिया और भोजपुरी सहित 350 से अधिक फिल्मों में काम किया है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट साझा कर लिखा कि यह घोषणा करते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि दादा साहब फाल्के चयन जूरी ने दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए यह पुरस्कार देने का फैसला किया है। 8 अक्टूबर को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

करियर की शुरुआत और पहले पुरस्कार

मिथुन का फिल्मी सफर 1976 में मृगया से शुरू हुआ, और इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नेशनल अवॉर्ड मिला। 1982 में आई फिल्म डिस्को डांसर ने उन्हें देशभर में पहचान दिलाई। मिथुन को अब तक 3 बार नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है, और उन्हें जनवरी 2024 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।

मिथुन करीब 5 दशक के करियर में बांग्ला, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, ओडिया और भोजपुरी फिल्मों में काम कर चुके हैं। - Dainik Bhaskar

मिथुन का अनुभव

दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड मिलने पर मिथुन ने कहा, “मैं इस प्रतिष्ठित पुरस्कार पाकर नि:शब्द हूं। यह मेरे लिए एक बड़ा सम्मान है। मैं इसे अपने परिवार और दुनियाभर के फैंस को समर्पित करता हूं।”

पृष्ठभूमि

मिथुन चक्रवर्ती का जन्म 16 जून 1950 को कोलकाता में हुआ। उनका असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है। उन्होंने केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया और बाद में नक्सल आंदोलन में शामिल हो गए। अपने भाई की मृत्यु और घर की आर्थिक स्थितियों के कारण उन्होंने नक्सलवाद छोड़कर घर लौटने का निर्णय लिया।

अभिनय की राह

घर लौटने के बाद मिथुन ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से एक्टिंग सीखी और मुंबई पहुंचे। शुरुआती दिनों में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन अंततः उन्होंने हेलन के असिस्टेंट के रूप में काम करना शुरू किया। मृणाल सेन की नजर उन पर पड़ी, जब वह कॉलेज की लड़कियों के साथ फ्लर्ट कर रहे थे। इस तरह उन्हें फिल्म मृगया में मुख्य भूमिका मिली, जिसके लिए उन्होंने नेशनल अवॉर्ड जीता। उनकी बॉलीवुड डेब्यू फिल्म दो अनजाने थी। इस फिल्म में उनका बहुत छोटा रोल था। इसके बाद उन्होंने तेरे प्यार में, प्रेम विवाह, हम पांच, डिस्को डांसर, हम से है जमाना, घर एक मंदिर, अग्निपथ, तितली, गोलमाल 3, खिलाड़ी 786 और द ताशकंद फाइल्स में काम किया।

संघर्ष और सफलता

 

स्ट्रगल के दौरान मिथुन ने कई बार भूखे पेट रातें बिताई। एक बार जब पत्रकार ने उनका इंटरव्यू लेने आया, तो उन्होंने कहा कि पहले खाना खिलाओ, फिर मैं इंटरव्यू दूंगा। उनकी मेहनत रंग लाई, और 1979 की फिल्म ‘सुरक्षा’ ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। अभिनय के अलावा मिथुन चक्रवर्ती ने मार्शल आर्ट की एक्सपर्ट ट्रेनिंग ली है और वह ब्लैक बेल्ट भी है।

पहचान और विरासत

मिथुन के करियर का सुनहरा दौर 1982 की डिस्को डांसर से शुरू हुआ, जो हिंदी सिनेमा की पहली 100 करोड़ कमाने वाली फिल्म थी। मिथुन चक्रवर्ती 80-90 के दशक में भारत के हाईएस्ट पेड एक्टर्स में से एक रहे हैं। मिथुन 80 के दशक के लोकप्रिय अभिनेता रहे हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों में डांस को एक नई पहचान दी थी। एक दौर था जब फिल्म मिथुन के डांस से ही हिट हो जाती थी। उनकी आखिरी हिंदी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ थी, और उन्होंने बंगाली फिल्मों में भी काम किया है।

इस प्रकार, मिथुन चक्रवर्ती की कहानी संघर्ष, समर्पण और सफलता की एक प्रेरणादायक यात्रा है, जो उन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड के योग्य बनाती है।

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