मुफ्त राशन पर कांग्रेस की आपत्ति पर मोदी ने चल दिया बड़ा दांव
नई दिल्ली, BNM Nnews: मुफ्त राशन पर कांग्रेस की आपत्ति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों हाथों से लपक लिया है। उन्होंने मंच से इसे लेकर बड़ा दांव चल दिया है। यह सिर्फ राज्यों के विधानसभा चुनाव में ही नहीं, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी विपक्ष को अपनी रणनीति को सोच-समझकर सेट करने पर मजबूर करेगा।
पीएम मोदी को सियासी दांवपेंच में महारत है। मुफ्त राशन के ऐलान पर कांग्रेस के सवाल उठाने को उन्होंने अपने अंदाज में रंग दे दिया। प्रधानमंत्री बुधवार को मध्यप्रदेश के दामोह में पहुंचे थे। 17 नवंबर को राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। मुफ्त राशन योजना का जिक्र कर उन्होंने मंच से ही कांग्रेस को घेर लिया। पीएम ने कांग्रेस को कांग्रेस की बातों से ही घेरा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि वो गरीबों के लिए मुफ्त राशन योजना को पांच साल बढ़ाने के उनके वादे के बारे में चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे। उन्हें यह पाप करने दीजिए। वह लोगों के लिए अच्छा काम करना जारी रखेंगे।
मुफ्त राशन स्कीम पर कांग्रेस ने किया था पीएम पर हमला
मुफ्त राशन योजना को आगे बढ़ाने की घोषणा के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि पीएम का विधानसभा चुनावों के बीच में स्कीम को पांच साल के लिए बढ़ाने का ऐलान आचार संहिता का उल्लंघन है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा था कि पार्टी नेताओं का प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से मिलेगा। उसके हस्तक्षेप की मांग करेगा। इसका कारण बताते हुए रमेश बोले थे कि प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बिना यह घोषणा की। उन्होंने कहा था कि पार्टी ने चुनाव आयोग से समय मांगा है। लेकिन वह पीएम की घोषणा के खिलाफ चुनाव आयोग में ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज करेगी। साथ ही प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह करेगी।
प्रधानमंत्री पर जयराम रमेश ने ये भी लगाए थे आरोप
रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए यह भी कहा था, ‘अब यह पता चला है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अभी तक इस योजना को आगे बढ़ाने को मंजूरी नहीं दी है। असल में यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी इसी तरह से काम करते हैं। कैबिनेट का तो कोई महत्व ही नहीं है। पहले उनका ऐलान, उसके बाद कैबिनेट की मंजूरी। याद है, 8 नवंबर 2016 (की नोटबंदी)?’ उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना खुद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 का रीब्रांड किया हुआ और नया स्वरूप है। मुख्यमंत्री के रूप में इस अधिनियम का मोदी ने काफी विरोध किया था। अब पांच साल के लिए इसका विस्तार न केवल प्रधानमंत्री की कमजोर होती छवि बल्कि गहराते आर्थिक संकट और वित्तीय पीड़ा को भी दिखाता है।
क्या है मोदी सरकार की मुफ्त राशन स्कीम
कोरोना की महामारी के दौरान यह स्कीम शुरू की गई थी। इसे प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के नाम से जानते हैं।प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को अप्रैल 2020 में लॉन्च किया गया था। इस योजना का मकसद था कि गरीबों को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ने में मदद मिल सके। सबसे गरीब लोगों तक भोजन और पैसा पहुंचाया जा सके। इस योजना के तहत केंद्र सरकार गरीबों को हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज देती है. ये पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) के तहत आने वाले परिवारों को राष्ट्रीय सुरक्षा खाद्य नियम (NFSA) के तहत दिए जाने वाले सब्सिडाइज्ड राशन के अतिरिक्त है। सरकार नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के तहत सरकार गरीबों को 3 रुपये/किलो पर चावल, 2 रुपये/किलो पर गेहूं और 1 रुपये/किलो पर मोटा अनाज देती है। पिछले साल दिसंबर में सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और राष्ट्रीय सुरक्षा खाद्य नियम को मिला दिया।