Prayagraj News: पूर्व मंत्री राकेशधर को तीन वर्ष की सजा और 10 लाख का जुर्माना, जानें किस मामले में सुनाई सजा
प्रयागराज, बीएनएम न्यूज। Rakesh Dhar Tripathi Case: उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री राकेशधर त्रिपाठी के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति के मुकदमे में एमपी एमएलए की विशेष न्यायालय के न्यायाधीश डा. दिनेश चंद्र शुक्ल ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष और आरोपित पक्ष के अधिवक्ताओं की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद फैसला 22 दिसंबर को सुनाए जाने की तारीख नियत की गई थी। विशेष कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी को दोषी पाते हुए तीन वर्ष का कारावास और 10 लाख रुपये के अर्थ दंड की सजा से दंडित किया। ज्ञात हो कि वह बसपा सरकार के दौरान मंत्री थे। मामला दर्ज होने के बाद बसपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) ने राकेश धर को प्रतापगढ़ सीट से लड़वाया था।
2012 में दर्ज किया गया था मामला
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर अर्थ दंड की राशि नहीं जमा की गई तो छह माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी। पिछले कई माह से प्रतिदिन विचाराधीन मुकदमे की सुनवाई हो रही थी। राम सुभग राम ने राकेशधर के विरुद्ध थाना मुट्ठीगंज में 23 नवंबर 2012 को केस दर्ज कराया कराया था, जिसमें विवेचना प्रारंभ की गई। उसके बाद फिर विवेचना सतर्कता विभाग को सौंप दी गई। सतर्कता विभाग ने विवेचना के बाद आरोप पत्र वाराणसी सत्र न्यायालय में सत्र न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था, मामले में अग्रिम विवेचना भी की गई, जिसमें अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। सत्र न्यायालय वाराणसी ने संज्ञान लेकर मामले में कार्यवाही प्रारंभ की थी। प्रदेश में माननीय की विशेष न्यायालय गठित होने पर यह मामला अंतरित होकर इस विशेष न्यायालय को प्राप्त हो गया।
जानें क्या हैं आरोप
आरोप है कि एक मई 2007 से 31 दिसंबर 2011 के बीच उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में लोकसेवक रहे ,पद पर रहते हुए इस अवधि के दौरान आय के समस्त स्रोतों एवं वैध स्रोतों से 49,49,928, रुपये अर्जित किया तथा इस अवधि में संपत्ति अर्जन एवं भरण पोषण पर 2,67,08,605 रुपये खर्च किया, जो कि आय के सापेक्ष 2,17,58,677 रुपए अधिक है। इसका संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया जो कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (2) के अधीन अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।