मानवता और करुणा ही भक्तिकाव्य का संदेश: प्रोफेसर मनोज सिंह

नई दिल्ली। ‘मानवता और करुणा ही भारतीय भक्ति साहित्य का केंद्रीय संदेश है’ ये बातें प्रोफेसर मनोज सिंह ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के श्यामलाल कॉलेज में ‘भक्तिकाव्य और मानव-मूल्य’ विषय पर आयोजित एक सेमिनार में कहीं।
देशबंधु कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रोफेसर मनोज सिंह श्यामलाल कॉलेज (प्रातः) के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी के मुख्य वक्ता थे। मनोज सिंह ने कहा कि भक्तिकाव्य आधुनिक मानव की प्रस्तावना करता है। भक्तिकाव्य का महत्व बताते हुए उन्होंने रेखांकित किया कि भारत में कबीर यूरोप में प्रोटेस्टेंट मत के प्रवर्तक मार्टिन लूथर किंग के भी अग्रगामी थे। आधुनिक साहित्य की अंगुली समाज की तरफ है, भक्तिकाव्य की अंगुली अपनी तरफ है। यह प्रेम के कठिन मार्ग पर चलने की सीख देता है। प्रोफेसर मनोज सिंह ने कहा कि भक्ति आंदोलन की बड़ी विशेषता आत्मालोचन की है, जो हमारे दौर में सिरे से गायब है। नैतिकता को समाज पर लादने की जरूरत नहीं है बल्कि अपने-आप को नैतिकता से परखने की जरूरत है, जो भक्ति काल के सभी कवियों के यहां देखा जा सकता है।

डॉ सत्यप्रिय पांडेय ने भी भक्तिकाव्य को लेकर अपने विचार विद्यार्थियों से साझा किए। उन्होंने कहा कि भक्तिकाव्य तन्मयता की कविता है यह भौतिकता के विरुद्ध त्याग का संदेश देता है। विद्यार्थियों के साथ- साथ अन्य महाविद्यालयों के विद्यार्थी- शोधार्थियों ने भी इस सेमिनार में शिरकत की। हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ राजकुमार प्रसाद ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया।

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