पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा, वर्ष 2006 के बाद नियमित हुए कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम के हकदार
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि अंशकालिक या अनुबंध के आधार पर नियुक्तियां करना ‘सामाजिक एवं आर्थिक न्याय’ के साथ-साथ ‘स्थिति एवं अवसर की समानता’ के उद्देश्य का उल्लंघन है। बड़े पैमाने पर बेरोजगारी के कारण लोग कम वेतन पर अंशकालिक या अनुबंध के आधार पर काम करने को तैयार हो जाते हैं। राज्य एक आदर्श नियोक्ता है और उससे अपने नागरिकों का शोषण करने की अपेक्षा नहीं की जाती है। कम वेतन देकर लोगों को नियमित रोजगार से वंचित करना शोषण के अलावा और कुछ नहीं है। भारत एक कल्याणकारी एवं समाजवादी राज्य है। हमारा संविधान समानता और अवसर की नींव पर टिका है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वर्ष 2006 के बाद नियमित हुए कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम के हकदार होंगे। कोर्ट हरियाणा सरकार को अनुबंध या अंशकालिक आधार पर नियुक्ति की नीति में संशोधन का भी सुझाव दिया है। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायाधीश जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार की ओर से दायर अपील को खारिज करते हुए उक्त आदेश पारित किए।
कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लाभ के हकदार
रोहतक का जय भगवान छह अगस्त, 1992 में एडहाक आधार पर शिक्षा विभाग में चपरासी नियुक्त हुआ था। फरवरी, 2012 तक सेवा के बाद सरकार ने उसे नियमित कर दिया। 2015 में सेवानिवृत्त होने पर पेंशन की गणना के समय पुरानी पेंशन और कच्ची सेवा को नहीं जोड़ा जा रहा था, जिसे उसने हाई कोर्ट में चुनौती दी। जय भगवान और उसकी तरह विभिन्न विभागों में सेवारत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में मजबूत पैरवी की। उनकी दलील थी कि शुरू में उन्हें तदर्थ आधार पर रखा गया था। 10-20 साल की सेवा के बाद नियमित कर दिया गया। याचिका में कहा कि पेंशन लाभ की गणना करते समय लगभग दो दशक तक तदर्थ कर्मचारी के रूप में दी गई उनकी सेवाओं पर विचार किया जाना चाहिए। इस पर एकल पीठ ने एक मार्च, 2019 के फैसला सुनाते हुए कहा था कि ये कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लाभ के हकदार हैं और तदर्थ के रूप में दी गई उनकी सेवाओं को पेंशन लाभ के लिए अर्हक सेवा के रूप में गिना जाएगा। पेंशन और उपदान के लिए छुट्टी की वह पूरी अवधि अर्हक सेवा होती है, जिसके लिए छुट्टी का वेतन देय होता है।
हाई कोर्ट ने राज्य की अपील को खारिज किया
एकल पीठ के फैसले को हरियाणा सरकार ने चुनौती दी थी। उसका कहना था कि तदर्थ आधार पर नियुक्त कर्मचारियों ने प्रतिदिन केवल तीन से चार घंटे ही काम किया है, इसलिए न तो उन्हें दैनिक वेतनभोगी माना जा सकता है और न ही अनुबंधित कर्मचारी। लगभग पांच हजार कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें शुरू में अंशकालिक आधार पर नियुक्त किया गया था। बाद में उन्हें नियमित कर दिया गया और पेंशन लाभ के लिए उनकी सेवा की गणना करने से राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। सरकार ने यह भी कहा कि ऐसे कर्मचारियों ने एक ही पद पर 23 साल की निरंतर सेवा की हो सकती है, लेकिन वे नई पेंशन योजना के तहत कवर किए जाएंगे, जो उनके नियमित होने के समय लागू थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने राज्य की अपील को खारिज कर दिया है।
भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्शन