पंजाब ने रोका हरियाणा के हिस्से का साढ़े पांच हजार क्यूसिक पानी, पेयजल और सिंचाई संकट गहराया

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पंजाब के सीएम भगवंत मान।
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) पर बरसों से चली आ रही कानूनी लड़ाई के बीच, पंजाब और हरियाणा अब भाखड़ा नहर के पानी के बंटवारे को लेकर एक नए विवाद में उलझ गए हैं। भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने भाखड़ा नहर से हरियाणा को दिए जाने वाले पानी में भारी कटौती कर दी है, जिससे पड़ोसी राज्य में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की गंभीर किल्लत पैदा हो गई है।
पिछले लगभग पंद्रह दिनों से हरियाणा को भाखड़ा नहर से प्रतिदिन मिलने वाले सामान्य कोटे साढ़े नौ हजार क्यूसिक पानी के मुकाबले केवल चार हजार क्यूसिक पानी ही मिल रहा है। पानी की इस अप्रत्याशित और भारी कटौती के कारण हरियाणा के कई जिले, जिनमें हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक और महेंद्रगढ़ प्रमुख रूप से शामिल हैं, गंभीर पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त खड़ी फसलों के लिए सिंचाई का पानी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है, जिससे किसानों में गहरा असंतोष व्याप्त है और कृषि उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गई है।
सैनी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की
हरियाणा में उत्पन्न इस गंभीर स्थिति पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से फोन पर बातचीत की और उसके बाद उन्हें एक विस्तृत पत्र लिखा। इस पत्र में, मुख्यमंत्री सैनी ने भगवंत मान पर पंजाब में अपनी राजनीतिक लोकप्रियता बढ़ाने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और हरियाणा के लोगों को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने पंजाब सरकार के इस कदम को अमानवीय और पड़ोसी राज्य के अधिकारों का हनन बताया है।
भगवंत मान ने वीडियो भी जारी किया
हरियाणा को दिए जाने वाले पानी में लगभग साढ़े पांच हजार क्यूसिक की भारी कटौती को सही ठहराने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक सात मिनट का वीडियो भी जारी किया है। इस वीडियो में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए “एक बूंद भी ज्यादा पानी नहीं” है। उन्होंने यह भी दावा किया कि हरियाणा सरकार दो महीने पहले ही अपने कोटे का सारा पानी इस्तेमाल कर चुकी है। इसके साथ ही, भगवंत मान ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि यदि उसे पानी की आवश्यकता है, तो पाकिस्तान जाने से रोका गया पानी पंजाब के बांधों में भर दिया जाए, जिसे पंजाब सरकार आगे हरियाणा को देने पर विचार कर सकती है। भगवंत मान का यह बयान न केवल तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण प्रतीत होता है, बल्कि इसने दोनों राज्यों के बीच अविश्वास और कटुता को और बढ़ाया है।
पंजाब के इस एकतरफा फैसले पर हरियाणा सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है और निर्धारित शर्तों और समझौतों के अनुसार पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। हरियाणा सरकार का कहना है कि पंजाब का यह कदम अंतर-राज्यीय जल समझौतों का स्पष्ट उल्लंघन है और इससे हरियाणा के लाखों लोगों के जीवन और आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
विस्तार से अपनी बात रखी
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस पूरे मामले पर विस्तार से अपनी बात रखी है। उन्होंने बताया कि 26 अप्रैल को उन्होंने स्वयं भगवंत मान को फोन करके अवगत कराया था कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) की तकनीकी समिति ने 23 अप्रैल को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान को पानी छोड़ने का जो निर्णय लिया था, उसके क्रियान्वयन में पंजाब के अधिकारी आनाकानी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री सैनी के अनुसार, उस दिन भगवंत मान ने उन्हें स्पष्ट आश्वासन दिया था कि वे तुरंत अपने अधिकारियों को निर्देश देकर अगले दिन सुबह तक इस निर्णय का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे।
तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध
हालांकि, मुख्यमंत्री सैनी ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि अगले दिन 27 अप्रैल को दोपहर दो बजे तक भी पंजाब के अधिकारियों ने इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की और हरियाणा के अधिकारियों के फोन तक नहीं उठाए। इसके बाद, मुख्यमंत्री सैनी ने स्वयं भगवंत मान को एक औपचारिक पत्र लिखकर इन सभी तथ्यों से अवगत कराया था और उनसे तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था। उन्होंने हैरानी जताई कि उनके पत्र को 48 घंटे बीत जाने के बाद भी भगवंत मान ने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि इसके बजाय एक वीडियो जारी करके पंजाब में अपनी राजनीतिक छवि चमकाने के लिए तथ्यों को मनमाने ढंग से प्रस्तुत करते हुए देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री सैनी ने इस व्यवहार को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और सहकारी संघवाद की भावना के विपरीत बताया है।
एक और जल समझौता हुआ
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर गौर करें तो केंद्र सरकार ने वर्ष 1976 में पंजाब के कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) पानी में से 3.5 एमएएफ पानी हरियाणा को आवंटित करने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। इस निर्णय को कार्यान्वित करने के लिए सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर परियोजना की परिकल्पना की गई थी। हालांकि, पंजाब में इस नहर परियोजना का व्यापक विरोध हुआ जिसके कारण एसवाईएल का निर्माण कार्य आज तक पूरा नहीं हो सका है। इसके बाद वर्ष 1981 में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच एक और जल समझौता हुआ, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में जल संसाधनों का न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित करना था। वर्तमान में, हरियाणा को विभिन्न समझौतों के तहत पंजाब से लगभग 1.8 एमएएफ पानी मिल रहा है। भाखड़ा नहर से पानी की आपूर्ति में इस अचानक और भारी कटौती का सीधा और नकारात्मक प्रभाव हरियाणा के उन जिलों पर पड़ा है, जो अपनी पेयजल और सिंचाई की जरूरतों के लिए मुख्य रूप से इसी नहर के पानी पर निर्भर हैं।
राजनीतिक तापमान भी बढ़ गया
पंजाब सरकार के इस अप्रत्याशित कदम से हरियाणा में राजनीतिक तापमान भी बढ़ गया है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से उठाने में विफल रहने का आरोप लगाया है और पंजाब सरकार के इस “अन्यायपूर्ण” कृत्य के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। किसानों और आम नागरिकों ने भी पानी की कमी को लेकर चिंता और नाराजगी व्यक्त की है और सरकार से त्वरित समाधान की अपील की है।
कानूनी और राजनीतिक खींचतान
यह नया जल विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब पहले से ही एसवाईएल नहर परियोजना को लेकर दोनों राज्यों के बीच दशकों से कानूनी और राजनीतिक खींचतान जारी है। भाखड़ा नहर के पानी को लेकर यह ताजा विवाद न केवल दोनों राज्यों के बीच संबंधों को और खराब करेगा, बल्कि अंतर-राज्यीय जल बंटवारे के संवेदनशील मुद्दे को भी और जटिल बना देगा। केंद्र सरकार को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने और दोनों राज्यों के बीच सौहार्दपूर्ण बातचीत के माध्यम से एक स्थायी समाधान निकालने की आवश्यकता है ताकि हरियाणा के लोगों को पेयजल और सिंचाई के पानी की कमी से बचाया जा सके और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे। यह घटना सहकारी संघवाद की भावना को बनाए रखने और अंतर-राज्यीय जल संसाधनों के न्यायसंगत बंटवारे के महत्व को भी रेखांकित करती है।
भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्शन