Rajasthan Government : राजस्थान सरकार गहलोत सरकार के दो बड़े घोटालों की करवाएगी जांच

जयपुर, बीएनएम न्यूज। Rajasthan Government : राजस्थान की नई भाजपा सरकार पिछली कांग्रेस सरकार में हुए घोटालों की जांच करवाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अशोक गहलोत सरकार में हुए दो बड़े घोटालों से जुड़ी फाइल तलब की है। ऐसे में गहलोत के विश्वस्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के दो अधिकारी भाजपा सरकार के निशाने पर हैं। करीब 1600 करोड़ के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DOIT) घोटाले और करीब एक हजार करोड़ रुपये के ही जल जीवन मिशन घोटाले की जांच राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी)से करवाने के साथ ही सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों का भी सहयोग लेने पर विचार किया जा रहा है। अगले कुछ दिनों में इस बारे में अधिकारिक निर्णय हो सकता है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि भष्टाचार के विरूद्ध जीरो टोलरेंस की नीति पर काम करेंगे। एक भी भ्रष्टाचारी कानून के शिकंजे से नहीं बच सकेगा।

गहलोत के दो विश्वस्त आईएएस अधिकारी भाजपा सरकार के निशाने पर

डीओआईटी घोटाले में वित्त एवं सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा और जल जीवन मिशन घोटाले में अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल भाजपा सरकार के निशाने पर है। जल जीवन मिशन में घोटाले की जांच ईडी अपने स्तर पर कर रही है। तत्कालीन जलदाय मंत्री महेश जोशी और अग्रवाल के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी विधानसभा चुनाव से पहले हो चुकी है। अब राज्य सरकार अपनी तरफ से दोनों केंद्रीय एजेंसियों से जांच की सिफारिश करने की तैयारी कर रही है। विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान भाजपा ने दोनों घोटालों को कांग्रेस सरकार के खिलाफ बड़ा मुददा बनाया था। नई भाजपा सरकार का मानना है कि दोनों अधिकारियों की घोटालों में भूमिका रही है।

गहलोत सरकार ने एसीबी को अनुमति नहीं दी थी

जयपुर के योजना भवन में डीओआईटी कार्यालय की एक अलमारी में 2.31 करोड़ रूपये नकद और एक किलो सोने मिलने के बाद अरोड़ा की भूमिका की जांच के लिए एसीबी ने तत्कालीन गहलोत सरकार से 6 अक्टूबी,2023 को अनुमति मांगी थी। लेकिन अरोड़ा के फंसने की आशंका के कारण यह अनुमति नहीं दी थी।लेकिन तत्कालीन सरकार ने एसीबी से मिले पत्र को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस मामले से जुड़ी फाइल को ही गायब कर दिया गया। अब नए मुख्यमंत्री ने यह फाइल तलब की है। इस मामले में एसीबी ने एफआईआर संख्या 125/2023 दर्ज की थी। इसी को आधार मानकर ईडी ने भी मामला अपने हाथ में लिया है।

उच्च स्तर तक घोटाले के तार जुड़े

भाजपा के वरिष्ठ नेता किरोड़ी लाल मीणा ने ईडी में शिकायत की थी। इस मामले में गिरफ्तार हुए डीओआईटी के संयुक्त निदेशक वेदप्रकाश यादव ने उच्च स्तर तक घोटाले के तार जुड़े होने की बात स्वीकार की थी। डीओआईटी की कंपनी राजकाम्प इंफो सर्विस लिमिटेडने कई परियोजना हाथ में ली थी। इनमें फर्जीवाड़े की बात सामने आई है। सरकारी विभागों व अन्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों, वीडियो वॉल, इंडोर व आउटडोर स्क्रीन परियोजना की अनुमानित लागत 289 करोड़ रुपये आंकी गई थी। लेकिन बाद में इसके लिए 800 करोड़रुपये की पांच अलग-अलग निविदाएं जारी जारी कर दी गईं। साथ ही 790 करोड़ रुपये की ई मित्र प्लस, ई-मित्र एटीएम व भामाशाह डिजिटल भुगतान किट में भी घोटाला हुआ था।

यह है जलजीवन मिशन घोटाला

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को बजट दिया। लेकिन राज्य सरकार में जलदाय विभाग के अधिकारियों ने रिश्वत लेकर श्याम ट्यूब वैल कंपनी और गणपति ट्यूब वैल कंपनी को बिना आवश्यक प्रमारण पत्र के ठेके दिए थे। दोनों कंपनियों ने पाइप लाइन डाले बिना ही बिला का भुगतान उठा लिया। पुरानी पाइप लाइन को नया बता दिया गया। इस योजना मेंडीआई डाक्टर पाइप लाइन डाली जानी थी। इसकी जगह एचपीपीई की पाइपलाइन डाली गई। जंग लगे हुए पाइप डाल दिए गए थे। इस मामले में जोशी, अग्रवाल से ठिकानों पर ईडी की छापेमारी हुई थी। जोशी के निकटस्थों के ठिकानों पर भी छापे मारे गए थे।

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