दिल्ली चुनाव में उतर सकती हैं स्मृति ईरानी, इन दो सीटों से चल रही है भाजपा नेत्री को उतारने की चर्चा

smriti irani

नई दिल्ली, बीएनएम न्‍यूज : दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अब तक 58 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है और शेष 12 सीटों पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर वह अपने समर्थकों और विरोधियों को चौंका सकती है। इस संदर्भ में सबसे प्रमुख नाम है टीवी कलाकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का। भाजपा, जिन्हें दिल्ली कैंट या ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाने की संभावनाएं तलाश रही है, उनकी उम्मीदवारी से चुनावी मैदान और भी रोचक बन सकता है।

एक मशहूर चेहरा

 

स्मृति ईरानी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हराया था, राजनीतिक क्षेत्र में अपनी कुशलता और प्रभाव का प्रदर्शन कर चुकी हैं। हालांकि, उन्हें 2024 में हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले वर्ष 2004 में उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ अपना भाग्य आजमाया था, लेकिन उस समय उन्हें सफलता नहीं मिली थी।

स्मृति ईरानी की पहचान सिर्फ एक राजनीतिक हस्ती तक सीमित नहीं है; उनका एक मशहूर चेहरा भी है जो उन्हें विशेष बनाता है। उनकी बोलने की कला और प्रभावशाली उपस्थिति ने उन्हें न केवल कार्यकर्ताओं में एक नई उत्साह पैदा किया है, बल्कि भाजपा की उपस्थिति को एक पहचान भी दी है। भाजपा के लिए, स्मृति ईरानी का प्रत्याशी बनना पार्टी की चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

बड़े चेहरों को उतारने का निर्णय

भाजपा ने इस बार हर प्रमुख सीट पर बड़े चेहरों को उतारने का निर्णय लिया है, ताकि वह हर समीकरण का ध्यान रख सके। नई दिल्ली क्षेत्र से आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को उतारने के बाद, यह मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। इसी तरह कालकाजी क्षेत्र में सीएम आतिशी के सामने पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को उतारने के साथ ही यहां की राजनीतिक स्थिति और भी मजबूत हो गई है।

विशेष रूप से ग्रेटर कैलाश क्षेत्र में सौरभ भारद्वाज, जो वर्तमान में आम आदमी पार्टी (आप) के कैबिनेट मंत्री हैं के खिलाफ स्मृति ईरानी को उतारने पर विचार किया जा रहा है। सौरभ भारद्वाज 2013 से इस क्षेत्र में विधानसभा के विधायक बने हुए हैं और उन्हें हराना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकता है। ईरानी की उत्कृष्टता और उनके सामाजिक नेटवर्क भाजपा के लिए एक संभावित शक्ति बन सकते हैं।

महिलाओं में हैं लोकप्रिय
स्मृति ईरानी की आयु वर्तमान में 48 वर्ष है और उनके बीच महिलाओं में काफी लोकप्रियता है। यह लोकप्रियता निश्चित रूप से चुनावी मैदान में भाजपा के लिए एक बड़ी संपत्ति साबित हो सकती है। वे भारतीय टेलीविजन धारावाहिक “क्योंकि सास भी कभी बहू थी” के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुईं थीं। वे वर्ष 2003 से भाजपा में सक्रिय हैं और उनकी राजनीतिक नेतृत्व क्षमता ने उन्हें एक महत्वपूर्ण नेता बना दिया है।

भाजपा की यह रणनीति संभावित रूप से दिल्ली में राजनीतिक परिदृश्य को बदलने में मददगार साबित हो सकती है। पार्टी यह समझती है कि एक मजबूत चेहरे को उतारने से न केवल भाजपा की स्थिति को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह मतदाताओं के लिए भी एक स्पष्ट संदेश होगा कि पार्टी गंभीरता से चुनावी मुकाबले में उतरी है।

इसके अलावा भाजपा की आंतरिक चर्चा में यह भी चर्चा हो रही है कि किस प्रकार स्मृति ईरानी जैसे बड़े नाम को चुनाव के समर्थन में इस्तेमाल किया जाए। यह नाम केवल एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि भाजपा के राजनीतिक परिवेश में एक बहुत बड़ी पहचान के रूप में देखा जा रहा है।

भाजपा की चुनावी रणनीति

दिल्ली चुनावों में भाजपा की इस चुनावी रणनीति से यह स्पष्ट है कि पार्टी अपने विचारधारा और व्यक्तित्व को हर स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए प्रयत्नशील है। स्मृति ईरानी की उम्मीदवारी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो न केवल भाजपा को बल्कि पूरे चुनावी परिदृश्य को एक नया मोड़ दे सकता है।

भाजपा के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने बुनियादी समर्थकों के बीच एक सकारात्मक संदेश पहुंचाए और अपने प्रतिद्वंद्वियों को आश्चर्यचकित करे। स्मृति ईरानी की उम्मीदवारी अगर होती है तो वह न केवल भाजपा के लिए एक अवसर बनेगी, बल्कि दिल्ली के चुनावी रण में एक नई चुनौती भी पेश करेगी।

इस प्रकार, स्मृति ईरानी का संभावित प्रत्याशी बनना भाजपा के लिए सिर्फ एक चुनावी कदम नहीं बल्कि यह उसके कार्यकर्ताओं, समर्थकों और मतदाताओं के बीच एक सकारात्मक सन्देश भेजने का एक प्रयास है। इससे भाजपा अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकती है और यह दिखा सकती है कि वह दिल्ली के चुनावों में कितनी गंभीरता से जुड़ी हुई है।

 

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