पेरिस में भी सुमित आंतिल ने जीता गोल्ड: मां ने कहा- बेटे ने दूध की लाज रख ली, गांव में हुई आतिशबाजी
नरेन्द्र सहारण, सोनीपत। Paris Paralympics 2024: टोक्यो के बाद अब पेरिस पैरालंपिक में भी सोनीपत के गांव खेवड़ा के लाल सुमित आंतिल का भाला सोने के पदक पर जा गिरा। सुमित ने सोमवार को लगातार दूसरे पैरालंपिक में जैसे ही स्वर्ण पदक जीता तो उसके पैतृक गांव खेवड़ा में लोग खुशी से उछल पड़े। गांव में आतिशबाजी के साथ जश्न मनाया जा रहा है। मां निर्मला देवी ने कहा कि बेटे ने दोबारा पदक जीतकर दूध की लाज रख ली। सुमित ने अपने दूसरे प्रयास में 70.59 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। सुमित अंतिल का ये थ्रो पैरालंपिक गेम्स के इतिहास (F64 वर्ग) का बेस्ट थ्रो रहा।
आंतिल ने फाइनल में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने पहले प्रयास में 69.11 मीटर का थ्रो किया और फिर 70 मीटर की बाधा को तोड़कर F64 श्रेणी में नया पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 66.66 मीटर का तीसरा थ्रो करके अपनी मजबूत फॉर्म जारी रखी।
अपने चौथे प्रयास में फाउल के बावजूद आंतिल ने अपने पांचवें और छठे प्रयास में क्रमशः 69.04 मीटर और 66.57 मीटर की ठोस थ्रो के साथ स्पर्धा को समाप्त किया। कोई भी अन्य प्रतियोगी 70 मीटर के निशान को पार करने में सफल नहीं हुआ। श्रीलंका के दुलन कोडिथुवाक्कू ने 67.03 मीटर के शीर्ष थ्रो के साथ रजत पदक हासिल किया, जबकि मिशल ब्यूरियन ने 64.89 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता। 26 वर्षीय विश्व रिकॉर्ड धारक आंतिल ने 68.55 मीटर के अपने पिछले पैरालिंपिक रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया, जो उन्होंने तीन साल पहले टोक्यो में स्वर्ण पदक जीतते हुए बनाया था।
वादे को निभाया
गांव खेवड़ा में ग्रामीणों ने मिलकर सुमित के मुकाबले को देखा। उन्होंने कहा कि सुमित की कमर में थोड़ा दर्द था, लेकिन हमें पूरा भरोसा था कि सुमित गोल्ड जरूर जीतेगा। उन्होंने कहा कि बेटे के देश लौटने पर भव्य स्वागत किया जाएगा। जिला कष्ट निवारण समिति के सदस्य गांव खेवड़ा निवासी अशोक कौशिक ने पदक जीतने पर बधाई देते हुए कहा कि सुमित जो वादा कर गया था, उसे निभाया है।
Exceptional performance by Sumit! Congratulations to him for winning the Gold in the Men’s Javelin F64 event! He has shown outstanding consistency and excellence. Best wishes for his upcoming endeavours. @sumit_javelin#Cheer4Bharat pic.twitter.com/1c8nBAwl4q
— Narendra Modi (@narendramodi) September 2, 2024
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बधाई देते हुए कहा कि सुमित का असाधारण प्रदर्शन। पुरुषों की जेवलिन F64 स्पर्धा में स्वर्ण जीतने के लिए उन्हें बधाई। उन्होंने असाधारण निरंतरता और उत्कृष्टता दिखाई है। उनके आगामी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।
हरियाणा के लाडले बेटे सुमित अंतिल का धमाल।सुमित ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालंपिक में पुरुष भाला फेंक एफ64 वर्ग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।उन्होंने लगातार दूसरी बार पैरालंपिक में स्वर्ण जीता हैं।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए आपको हार्दिक बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य की… pic.twitter.com/j3KDrvPglu
— Nayab Saini (@NayabSainiBJP) September 2, 2024
सीएम ने भी दी बधाई
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि हरियाणा के लाडले बेटे सुमित अंतिल का धमाल। सुमित ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पेरिस पैरालंपिक में पुरुष भाला फेंक एफ64 वर्ग स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने लगातार दूसरी बार पैरालंपिक में स्वर्ण जीता हैं। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए आपको हार्दिक बधाई एवं उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं। समस्त देशवासियों को आप पर गर्व है।
सोनीपत और गांव को अलग पहचान दी
सुमित के पैतृक गांव खेवड़ा में लोग आधी रात को सुमित आंतिल के सोना जीतने की खुशी में लोगों ने मिठाइयां बांटीं और नाच कर जश्न मनाया। मुकाबले से पहले ही आंतिल के निवास स्थान पर खेलप्रेमियों की भीड़ लगने लगी थी। लोगों का कहना है कि बेटे ने सोनीपत और गांव को विश्व स्तर पर एक अलग पहचान दी है।
2015 में हादसे में गंवाना पड़ा पैर
सुमित का जन्म 7 जून 1998 को हुआ था। तीन बहनों के इकलौते भाई ने परिवार की हर कमी को पूरा कर दिया। सुमित जब सात साल का था, तब एयरफोर्स में तैनात पिता रामकुमार की बीमारी से मौत हो गई। इसके बाद मां निर्मला ने हर दुख सहन करते हुए चारों बच्चों का पालन-पोषण किया। निर्मला देवी ने बताया कि सुमित जब 12वीं कक्षा में था, कॉमर्स का ट्यूशन लेता था। 5 जनवरी 2015 की शाम को वह ट्यूशन लेकर बाइक से वापस आ रहा था, तभी सीमेंट के बोरों से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली ने सुमित को टक्कर मार दी और काफी दूर तक घसीटते ले गई। इस हादसे में सुमित को एक पैर गंवाना पड़ा था।
सुमित कभी नहीं हुआ उदास
निर्मला देवी ने बताया कि हादसे के बावजूद सुमित कभी उदास नहीं हुआ। रिश्तेदारों और दोस्तों की प्रेरणा से सुमित ने खेलों की तरफ ध्यान दिया और साई सेंटर पहुंचा। जहां एशियन रजत पदक विजेता कोच विरेंद्र धनखड़ ने सुमित का मार्गदर्शन किया और उसे लेकर दिल्ली पहुंचे। यहां द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच नवल सिंह से जैवलिन थ्रो के गुर सीखे। सुमित ने वर्ष 2018 में एशियन चैंपियनशिप में भाग लिया, लेकिन 5वीं रैंक ही प्राप्त कर सका। वर्ष 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। बाद में टोक्यो पैरालंपिक में सोना जीतकर उन्हें जो खुशी दी उसे पेरिस में दोगुना कर दिया है।
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