दिग्गजों से तारीफ पाना ही मेरे लिए अवार्ड था : सुदेश भोसले

हाल में महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कारों से सम्मानित हुए हैं सुदेश भोसले।

मंबई न्यूज। हौसला बढ़ाने के अलावा कलाकारों के लिए पुरस्कार इस बात की स्वीकृति भी होते हैं कि लोगों को उनका काम पसंद आ रहा है। जुम्मा चुम्मा दे दे.., इमली का बूटा.. और शावा शावा.., जैसे कई हिट गाने गा चुके गायक सुदेश भोसले को हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। किसी सरकारी संस्था द्वारा मिला सुदेश का यह पहला पुरस्कार है। पुरस्कार को लेकर उन्होंने कहा, ‘सरकार और प्रशासन की तरफ से पुरस्कार मिलना बहुत बड़ी बात है। मेरे लिए इस पुरस्कार का मतलब यही है कि इतने वर्षों में लोगों से मुझे जो प्यार मिला है, सरकार द्वारा इस पुरस्कार के रूप में मुझे आधिकारिक स्वीकृति मिली है। ऐसे समय पर स्वाभाविक रूप से माता-पिता, आशा जी (आशा भोसले), लता जी (लता मंगेशकर) और अमिताभ बच्चन जैसे दिग्गज लोग और हमारे गुरु याद आते हैं, जिन जिन के साथ मैंने काम किया है।’

हमारा रिश्ता भी मां-बेटे जैसा ही है

 

हिंदी सिनेमा में पिछली सदी के आठवें दशक से काम कर रहे सुदेश को क्या यह अवार्ड बहुत पहले मिल नहीं जाना चाहिए था? इस पर वह कहते हैं कि इस अवसर पर ऐसा बोलना ठीक नहीं रहेगा। जब मुझे जो मिलना था, मिल गया। जब साल 1988 से ही आशा जी अपने हर शो के लिए मुझे बुलाती और कहती कि सुदेश के साथ ही शो करूंगी। सुदेश ही ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने आशा जी के साथ सबसे ज्यादा लाइव शो किए हैं। सुदेश कहते हैं कि भोसले सरनेम की वजह से लोग मुझे उनका बेटा ही मानते हैं, हमारा रिश्ता भी मां-बेटे जैसा ही है।

जब लता जी ने कहा था कि अगर सुदेश मेरे साथ रहते हैं तो मुझे किसी और पुरुष गायक की जरूरत नहीं। जब अमिताभ बच्चन अपनी आवाज में मेरा गाना सुनकर बोलते हैं कि यार समझ में नहीं आ रहा है कि तुम गा रहे हो या मैं गा रहा हूं। मेरे लिए यह सुनना भी किसी अवार्ड से कम नहीं है।

लगभग हर शो का हिस्सा रहा हूं

 

पंचम दा ने ही मुझे पहली बार 1998 की फिल्म जलजला में गाने का मौका दिया था। ये मुमकिन इसलिए हुआ था क्योंकि मेरे ऊपर आशा ताई का हाथ था। इसके बाद मैं हमेशा के लिए आशा ताई से जुड़ गया। इसी साल वो मुझे पहली बार हॉन्गकॉन्ग के ट्रिप पर अपने साथ ले गईं। वहां पर मैंने पहली बार उनके साथ डुएट गाए। इसके बाद ऐसे बहुत कम शो हुए हैं जिनमें मैंने उनके साथ परफॉर्मेंस न दी हो। उनके साथ लगभग हर शो का हिस्सा रहा हूं। वो कहती हैं, सुदेश मैं बस तुम्हारे साथ ही डुएट में कंफर्टेबल हूं।

आशीर्वाद के रूप में गोल्ड प्लेटेड मूर्ति दी

 

कोविड के समय मैं परेशान चल रहा था। 28 सितंबर का दिन था। उसी दिन मेरी बात आशा ताई से हुई। दबी आवाज सुनकर वो समझ गईं कि मैं परेशान हूं। पूछने पर मैंने उन्हें सारी परेशानी बताई। उनसे बात करने के बाद मैंने लता दीदी को कॉल किया। उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने भी मुझसे पूछा- सुदेश सब ठीक चल रहा है ना, तेरे काम, बाकी सब ठीक है ना। मैंने उन्हें सच नहीं बताया और झूठ में कह दिया- हां दीदी, सब ठीक है।

शाम का वक्त था कि देखा आशा ताई मेरे घर आ गईं। उन्होंने मुझे समझाया और गणेश जी की एक गोल्ड प्लेटेड मूर्ति दी। उन्होंने कहा- देखना, ये तुम्हारे सारे दुख हर लेंगे। मैंने आज तक उसी मूर्ति को अपने मंदिर में संभाल कर रखा है।

 

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