वोटिंग डाटा सार्वजनिक करने की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं को ‘सुप्रीम’ झटका, कोर्ट ने आदेश देने से किया इंकार
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः Lok Sabha Election Voter Turnout: सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत के आंकड़े उसकी वेबसाइट पर अपलोड करने के संबंध में कोई निर्देश देने से मना कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर पांच चरण हो चुके हैं, दो चरण बचे हुए हैं। ऐसे में निर्वाचन आयोग के लिए वेबसाइट पर मतदान प्रतिशत के आंकड़े अपलोड करने के काम में लोगों को लगाना मुश्किल है।
वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी का लगा था आरोप
दरअसल लोकसभा चुनावों के बीच कई राजनीतिक दलों ने वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं. राजनीतिक पार्टियों का दावा है कि चुनाव वाले दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है और एक हफ्ते बाद कुछ और। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17C की स्कैन्ड कॉपी अपलोड करने का आदेश दे।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिट सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग को लोकसभा के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार आंकड़े अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। एडीआर की याचिका का विरोध करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि इससे भ्रम पैदा होगा।
SC refuses to pass any direction to Election Commission on NGO’s plea to upload voter turnout data on its website during LS polls
— Press Trust of India (@PTI_News) May 24, 2024
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मतदान केंद्र-वार मतदान प्रतिशत के आंकड़े बिना सोचे-समझे जारी करने और वेबसाइट पर पोस्ट करने से लोकसभा चुनावों में व्यस्त मशीनरी में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी। आयोग ने कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि उम्मीदवार या उसके एजेंट के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को फॉर्म 17सी प्रदान करने का कोई कानूनी अधिदेश नहीं है।
आयोग को बदनाम करना मकसद
चुनाव आयोग मनिंदर सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार आयोग को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। स्थापित कानून के मुताबिक फॉर्म 17C को ईवीएम वीवीपीएटी के साथ ही स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है। यह आरोप पूरी तरह से गलत और आधारहीन है। चुनावी प्रक्रिया जारी है और आयोग को लगातार बदनाम किया जा रहा है।
याचिका में क्या मांग की गई थी?
याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग को यह निर्देश देने का आग्रह किया है कि सभी मतदान केंद्रों की फॉर्म 17 सी भाग-1 (दर्ज मतदान का विवरण) की स्कैन की गई सुपाठ्य) प्रतियां मतदान के तुरंत बाद अपलोड की जानी चाहिए।
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