सीधे सीएम को पत्र लिखने पर बर्खास्त चतुर्थ श्रेणी कर्मी सुप्रीम कोर्ट ने किया बहाल, जानें क्या है मामला

नई दिल्ली, एजेंसी : सुप्रीम कोर्ट ने जिला न्यायपालिका के उस चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बहाल कर दिया है जिसे समुचित पदानुक्रम का पालन किए के बिना इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और मुख्यमंत्री समेत उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को सीधे पत्र लिखने के कारण बर्खास्त कर दिया गया था।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि वित्तीय कठिनाई से गुजर रहा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वरिष्ठों को सीधे पत्र भेज सकता है, लेकिन यह अपने आप में ऐसे किसी बड़े कदाचार की श्रेणी में नहीं आता जिसके लिए उसे सेवा से बर्खास्तगी की सजा दी जानी चाहिए। जांच अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए दोषी ठहराने के निष्कर्ष को अनुचित ठहराते हुए पीठ ने अपीलकर्ता को सभी लाभों के साथ सेवा में बहाल करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हम हाई कोर्ट का फैसला और अपीलकर्ता को सेवा से बर्खास्त करने का 30 अप्रैल, 2007 का आदेश रद करना उचित समझते हैं।’ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2019 में याचिकाकर्ता की रिट याचिका खारिज कर दी थी।

याचिकाकर्ता छत्रपाल को स्थायी आधार पर बरेली जिला न्यायालय में अर्दली (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) के पद पर नियुक्त किया गया था। बाद में उसका स्थानांतरण कर दिया गया था और बरेली की बाहरी अदालत के नजारत में प्रोसेस सर्वर के रूप में तैनात किया गया था। अपीलकर्ता नजारत शाखा में तैनात हो गया था, लेकिन वेतन उसे अर्दली का ही दिया जा रहा था। इससे परेशान होकर उसने कई पत्र लिखे थे। जून, 2003 में उसे निलंबित कर दिया गया और उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू की गई। उसके विरुद्ध आरोपपत्र पेश किया गया, पहला उसने जिला जज व अन्य अधिकारियों के विरुद्ध अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया और दूसरा अपीलकर्ता ने रजिस्ट्रार जनरल और मुख्यमंत्री समेत राज्य के अन्य अधिकारियों को सीधे पत्र लिखे।

जांच के बाद अपीलकर्ता को 2007 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। शीर्ष अदालत के समक्ष अपीलकर्ता के वकील ने दलील दी कि दंड की मात्रा दोष के अनुपात में नहीं थी, भले ही यह मान लिया जाए कि शिकायत में इस्तेमाल की गई भाषा उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमों का घोर उल्लंघन है। अन्य बातों के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर भी संज्ञान लिया कि बेरली जिला अदालत के कई अन्य कर्मचारियों ने भी वरिष्ठ अधिकारियों को सीधे पत्र लिखे थे, लेकिन उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।

 

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