SC: ‘0.001% भी लापरवाही हुई है तो…’, नीट परीक्षा में कथित गड़बड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट का NTA-केंद्र को नोटिस

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET-UG) में गड़बड़ियों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है, जिसे छात्रों ने बड़ी संख्या में सामने लाया है। इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान, जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने NEET-UG परीक्षा में हुई गड़बड़ियों और पेपर लीक की शिकायतों के मामले पर गहराई से चर्चा की। कोर्ट ने यह भी दावा किया कि अगर किसी की ओर से 0.001 प्रतिशत भी लापरवाही हुई है तो उससे गंभीरता से निपटा जाना चाहिए।

कड़ी मेहनत करने वाले अभ्यर्थियों की व्याकुलता समझें

 

कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) और केंद्र सरकार से कहा कि इन सभी मामलों को प्रतिकूल मुकदमेबाजी की तरह नहीं लिया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने डाक्टर बनने का सपना संजोकर नीट के लिए कड़ी मेहनत करने वाले अभ्यर्थियों की व्याकुलता समझते हुए कहा कि हम सभी जानते हैं कि इन परीक्षाओं के लिए बच्चे कितनी मेहनत करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सिस्टम से धोखाधड़ी कर डाक्टर बनने वालों से समाज को हो सकने वाले खतरों के प्रति सचेत करते हुए कहा कि उस स्थिति की कल्पना करें, जहां किसी व्यक्ति ने सिस्टम के साथ धोखाधड़ी की और वह डाक्टर बन गया। वह समाज के लिए अधिक घातक है।

तत्काल कार्रवाई के तौर पर लेना चाहिए

 

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) और केंद्र सरकार को आगाह किया कि इन मामलों को लेकर उन्हें कोई तालमेल नहीं करना चाहिए, बल्कि इसे तत्काल कार्रवाई के तौर पर लेना चाहिए। शीर्ष अदालत ने व्याकुल अभ्यर्थियों की समस्याओं को समझते हुए कहा कि NEET के लिए मेहनत करने वाले छात्रों की भावनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी ने इस विवाद को गंभीरता से लिया और NEET-UG के माध्यम से डॉक्टर बनने वाले व्यक्तियों से सोसायटी को होने वाले खतरों के प्रति भी चेतावनी दी। उन्होंने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति सिस्टम को धोखाधड़ी करता है और फिर डॉक्टर बनता है, तो यह समाज के लिए अधिक घातक हो सकता है।

1,563 छात्रों के ग्रेस मार्क्स रद करने का निर्णय

 

NEET-UG परीक्षा को लेकर ये समस्याएं उस समय सामने आईं जब 5 मई को परीक्षा होने के बाद से ही पेपर लीक और गड़बड़ियों की शिकायतें उठने लगीं थीं। इसके परिणामस्वरूप, सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न याचिकाओं पर नोटिस जारी किए और उन्हें 8 जुलाई को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया है। अधिकारियों ने बताया कि 1,563 छात्रों के ग्रेस मार्क्स रद करने का निर्णय लिया गया है, जिन्हें दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया गया है।

छात्रों और उनके प्रतिनिधित्वकर्ताओं ने कोर्ट में इस मामले की जांच के लिए अपनी दलीलें पेश की हैं, जिस पर कोर्ट ने त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है। इस बीच, NEET-UG परीक्षा के माध्यम से मेडिकल के विद्यार्थियों के लिए एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष आदि के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में और देश के विभिन्न हाई कोर्टों में गहराई से चर्चा में है और इसे लेकर छात्रों और उनके प्रतिनिधित्वकर्ताओं की अपील जारी है। अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर और गहराई से विचार करेगा।

 

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