Punjab News: जानें किस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी ने चौथे स्टेज के कैंसर को हराया
अमृतसर, बीएनएमन्यूज : Punjab News: कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के चौथे चरण के कैंसर से उबरने की कहानी साझा की। उन्होंने आयुर्वेद के सहारे इस बीमारी से जीतने का दावा करते हुए इसे एक नई उम्मीद बताया। गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान सिद्धू भावुक हो गए और कहा, “आयुर्वेद ने मेरी पत्नी को नया जीवन दिया है। यह साबित करता है कि कैंसर से मुक्ति आयुर्वेद से संभव है।”
दो साल पहले हुई कैंसर की पुष्टि
सिद्धू ने बताया कि दो साल पहले जब वे जेल में थे, तब उनकी पत्नी को कैंसर होने की पुष्टि हुई थी। लेकिन परिवार ने यह खबर उनसे छिपाई। उन्हें तब जानकारी हुई जब उनकी पत्नी का ऑपरेशन हुआ। यह जानकर वे टूट गए, लेकिन उन्होंने खुद को संभालते हुए हरसंभव प्रयास करने का निर्णय लिया।
चुनौतियां और स्टेज-4 तक पहुंचा कैंसर
कैंसर का पता चलने के बाद नवजोत कौर का कीमोथैरेपी से इलाज शुरू हुआ। हालांकि, उनके बेटे की शादी के दौरान उन्होंने कीमोथैरेपी बंद कर दी, जिससे उनका कैंसर चौथे स्टेज तक पहुंच गया। सिद्धू ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी को देश-विदेश के कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन किसी ने उम्मीद नहीं जताई। “किसी ने पांच प्रतिशत उम्मीद जताई तो किसी ने कहा कि कोई उम्मीद नहीं। यह सुनकर मैं टूट गया, लेकिन हार मानने का सवाल ही नहीं था।”
आयुर्वेद की तरफ रुख
डॉक्टरों की उम्मीद छोड़ने के बाद सिद्धू ने आयुर्वेद की तरफ रुख किया। उन्होंने कहा, “मैंने आयुर्वेद की शक्ति पर विश्वास किया और नवजोत को पारंपरिक चिकित्सा के बजाय प्राकृतिक उपचार देना शुरू किया।” आयुर्वेदिक उपचार के दौरान उन्होंने कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कराया। सिद्धू ने बताया कि खट्टे और कड़वे खाद्य पदार्थ कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में बेहद मददगार होते हैं।
आहार योजना और आयुर्वेदिक उपचार
उन्होंने अपनी पत्नी के लिए एक विशेष आहार योजना बनाई। इसमें कई प्रकार के प्राकृतिक और पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल किए गए।
सुबह का नींबू पानी: हर सुबह गर्म पानी में नींबू मिलाकर पीने की आदत डाली।
खट्टे और कड़वे तत्व: कच्ची हल्दी, लहसुन, नीम के पत्ते, तुलसी, अदरक, दालचीनी, काली मिर्च, लौंग, और छोटी इलायची नियमित रूप से दी।
जूस और ताजे फल: ब्लूबेरी, अनार, आंवला, चुकंदर, गाजर और सफेद पेठे का जूस उनकी डाइट में शामिल किया गया।
बीज और पौष्टिक विकल्प: अलसी और तरबूज के बीज खिलाए गए।
विशेष भोजन सामग्री: गेहूं और रिफाइंड आटे के बजाय बादाम के आटे से बनी रोटियां दी गईं।
इसके अलावा, उन्होंने सभी कैंसर को बढ़ावा देने वाले खाद्य पदार्थ जैसे गेहूं, रिफाइंड तेल, दूध, चीनी, मैदा और कोल्ड ड्रिंक्स को पूरी तरह से बंद कर दिया।
समयबद्ध आहार
- नवजोत कौर के खाने का समय भी बेहद सख्त रखा गया।
- शाम 6:30 बजे तक रात का भोजन पूरा कर लिया जाता था।
- अगले दिन सुबह 10 बजे नींबू पानी से दिन की शुरुआत होती थी।
- 40 दिनों में बदलाव और कैंसर कोशिकाओं का सफाया
सिद्धू ने बताया कि इस आयुर्वेदिक आहार और उपचार के 40 दिनों बाद सर्जरी की गई। इसके बाद हुए पेट स्कैन ने उन्हें चमत्कारी परिणाम दिए। “रिपोर्ट में एक भी कैंसर कोशिका नहीं पाई गई। यह हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था।”
सिद्धू का आयुर्वेद पर विश्वास
सिद्धू ने आयुर्वेद के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हुए कहा, “आयुर्वेद ने मेरी पत्नी को नया जीवन दिया है। यह सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवनशैली में बदलाव का माध्यम है।” उन्होंने कहा कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा और प्रकृति से जुड़ना होगा।
कैंसर के कारक और बचाव के उपाय
सिद्धू ने इस दौरान कैंसर को बढ़ाने वाले कारकों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली में कई चीजें, जैसे रिफाइंड तेल, चीनी, और कोल्ड ड्रिंक्स कैंसर के कारक हैं। उन्होंने सभी को प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को अपनाने की सलाह दी।
भावुक पल और संदेश
पत्रकार वार्ता के दौरान सिद्धू बेहद भावुक दिखे। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई मुश्किल थी, लेकिन हमने हार नहीं मानी। आयुर्वेद और अनुशासन ने हमें इस कठिन समय से उबरने में मदद की।” उन्होंने कैंसर से जूझ रहे सभी लोगों को संदेश दिया कि “आशा बनाए रखें और प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाएं।”
आयुर्वेद का महत्व
सिद्धू का यह दावा आयुर्वेदिक चिकित्सा में नई उम्मीद जगाता है। यह घटना उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रहे हैं। सिद्धू ने इसे एक व्यक्तिगत अनुभव के रूप में साझा किया, लेकिन इसके पीछे की वैज्ञानिकता और आयुर्वेद के लाभों पर और शोध की आवश्यकता है।
नवजोत सिंह सिद्धू की यह कहानी आयुर्वेद की शक्ति और प्राकृतिक उपचार के प्रति विश्वास को मजबूत करती है। यह बताती है कि गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को भी महत्व दिया जाना चाहिए। सिद्धू का यह दावा उनके व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है, लेकिन यह आयुर्वेद में नई संभावनाओं की तरफ इशारा करता है।
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