Gautam Adani: फिर वि‍वादों में घिरा अदाणी समूह, अमेरिकी एजेंसियों ने लगाया भारतीय अधिकारियों को घूस देने का आरोप

नई दिल्‍ली, बीएनएम न्‍यूज। Gautam Adani: अदाणी समूह, जो भारत में व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है, अब एक बार फिर विवादों में घिर गया है। अमेरिका की नियामक और न्यायिक एजेंसियों ने अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी समेत समूह के कई बड़े अधिकारियों पर वित्तीय धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाए हैं।

आरोपों का सारांश

अमेरिकी अभियोजकों का आरोप है कि अदाणी समूह ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए विशेष लाभ प्राप्त करने के मकसद से भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत दी। यह रिश्वत कथित तौर पर 26.50 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की थी, जिससे समूह को अगले 20 वर्षों में 200 करोड़ डॉलर से अधिक का लाभ होने की संभावना थी।

यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने अदाणी समूह पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अमेरिकी बैंकों और निवेशकों को परियोजनाओं से जुड़ी जानकारी छिपाई। आरोपों के मुताबिक, अदाणी समूह ने अपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड कंपनी के माध्यम से आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को सौर ऊर्जा खरीद अनुबंधों में विशेष सहूलियत देने के बदले रिश्वत दी।

मामला कैसे शुरू हुआ?

यह मामला सितंबर 2021 से जुड़ा है, जब अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड ने वैश्विक बाजारों से 75 करोड़ डॉलर जुटाने का प्रयास किया था, जिसमें से 17.5 करोड़ डॉलर अमेरिकी निवेशकों से आए। उसी समय, अदाणी समूह ने भारत में सौर ऊर्जा की निविदाओं के नियमों में बदलाव के लिए कथित रूप से भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी।

अमेरिकी अभियोग के मुख्य बिंदु

 

अदाणी समूह ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SECI) से सौर ऊर्जा की खरीद के लिए नियमों में बदलाव कराया।
आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु सरकारों के साथ विशेष बिक्री समझौते किए गए।
दूसरी कंपनियों, जैसे कि एज्योर पावर, पर दबाव डालकर अदाणी समूह ने उनके अनुबंध का हिस्सा अपने पक्ष में कर लिया।
रिश्वत के जरिए अदाणी समूह ने अपने प्रोजेक्ट्स के लिए लाभदायक शर्तें हासिल कीं।

अमेरिका में मामला दायर और गिरफ्तारी वारंट जारी

अमेरिकी न्याय विभाग और एसईसी ने गौतम अदाणी, सागर अदाणी, और अदाणी ग्रीन के अन्य अधिकारियों के खिलाफ न्यूयॉर्क की ईस्टर्न कोर्ट में मामला दर्ज किया है। अमेरिकी कानून विदेशी भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की अनुमति देता है, जब वे अमेरिकी बाजारों या निवेशकों से जुड़े होते हैं।

न्यूयॉर्क की अदालत ने गौतम अदाणी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि अदाणी समूह के अधिकारियों को भारत से प्रत्यर्पित किया जाएगा या नहीं।

अदाणी समूह की प्रतिक्रिया

इन आरोपों के बाद अदाणी समूह ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इन दावों को पूरी तरह से खारिज किया। समूह ने इसे “निराधार और झूठा” करार दिया। अदाणी समूह के मुताबिक, “यह महज आरोप हैं, जिनका कोई ठोस सबूत नहीं है। अमेरिकी न्याय विभाग ने भी स्पष्ट किया है कि कोर्ट में लगाए गए आरोप तब तक महज आरोप हैं जब तक उनकी पुष्टि नहीं हो जाती।” समूह ने यह भी कहा कि वे कानून का हरसंभव सहारा लेंगे और पारदर्शिता के अपने सिद्धांतों पर कायम रहेंगे।

शेयर बाजार पर प्रभाव

इन आरोपों का असर सीधे अदाणी समूह के शेयरों पर देखने को मिला।

अदाणी एंटरप्राइजेज: 22.61% गिरावट
अदाणी पोर्ट्स: 20% गिरावट
अदाणी ग्रीन एनर्जी: 19.53% गिरावट
अदाणी टोटल एनर्जी: 18.13% गिरावट
इस गिरावट ने छोटे निवेशकों को भी भारी नुकसान पहुंचाया।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस मामले ने भारत की राजनीतिक दुनिया को भी हिला दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “अदाणी पर अमेरिकी आरोपों से यह बात साफ हो गई है कि अदाणी समूह की गतिविधियों में पारदर्शिता की कमी है। मैं पहले भी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की मांग कर चुका हूं और इसे संसद के आगामी सत्र में फिर उठाया जाएगा।”

वहीं भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, “अमेरिका से जुड़े मामले को तूल देकर कांग्रेस ने भारतीय बाजार को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है। अदाणी समूह पर हमला भारत की उभरती अर्थव्यवस्था पर हमला है।”

क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय कानून?

अमेरिका में फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट (FCPA) विदेशी अधिकारियों को दी जाने वाली रिश्वत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान करता है। चूंकि अदाणी समूह ने अमेरिकी निवेशकों से धन जुटाया था, यह मामला FCPA के दायरे में आता है।

विशेषज्ञों की राय

  • आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अदाणी समूह के लिए बेहद संवेदनशील है।
  • अमेरिकी नियामक एजेंसियों की कार्रवाई भारत की वैश्विक छवि पर असर डाल सकती है।
  • इस घटना से भारतीय कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानकों पर भी सवाल उठे हैं।
  • अदाणी समूह के शेयरधारकों और निवेशकों को लंबी अवधि तक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़ाव

इस घटना ने लोगों को उस समय की याद दिलाई, जब अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी समूह पर वित्तीय गड़बड़ी और स्टॉक में हेरफेर के आरोप लगाए थे। अदाणी समूह ने उस रिपोर्ट को भी खारिज किया था। हालांकि, उस समय समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी, जिससे वे अब तक उबरने का प्रयास कर रहे थे।

अदाणी समूह पर लगाए गए आरोप भारतीय कॉरपोरेट जगत के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर रहे हैं। हालांकि, अदाणी समूह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अमेरिकी न्यायालय और नियामक एजेंसियां इस मामले को किस दिशा में ले जाती हैं।

यह मामला भारत के आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। अदाणी समूह को इस संकट से उबरने के लिए अपने सभी कानूनी और सार्वजनिक संपर्क प्रयासों को मजबूती से चलाना होगा।

 

 

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