Supreme Court Verdict: अनुच्छेद 370 पर फैसला आते ही क्यों ट्रेंड करने लगे कपिल सिब्बल, कहा- हारने के लिए लड़ी जाती हैं कुछ लड़ाइयां

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। Supreme Court Verdict on Article 370: अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 370 में साफ कहा गया था कि ये अस्थायी था और ट्रांजिशन के लिए था। केंद्र सरकार का जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला सही है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ( Justice DY Chandrachud)ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने जब भारत में शामिल हुआ तो उसकी संप्रभुता नहीं रह जाती है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ट्रेंड करने लगे थे। उनके ट्वीट को लेकर लोगों ने अलग-अलग तरीके से प्रतिक्रिया दी। सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ दलील देने वाले सबसे प्रमुख वकील थे। ज्ञात हो इसके पहले कोर्ट की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि संधि के तहत अंग्रेजों को सौंपे जाने से पहले असम मूल रूप से म्यांमार का हिस्सा था। जिसे लेकर काफी विवाद हुआ था।

कपिल सिब्बल ने कहा, इतिहास ही अंतिम निर्णायक है

इस दौरान वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट कर कहा कि ‘ कुछ लड़ाइयां हारने के लिए लड़ी जाती हैं । इतिहास को पीढ़ियों के जानने के लिए असुविधाजनक तथ्यों को दर्ज करना होगा। संस्थागत कार्रवाइयों के सही और गलत होने पर आने वाले वर्षों में बहस होती रहेगी। ऐतिहासिक निर्णयों के नैतिक दिशा-निर्देश के लिए इतिहास ही अंतिम निर्णायक है।’

वरिष्ठ वकीलों ने रखी थी दलीलें और की जिरह

ज्ञात हो कि अनुच्छेद 370 को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल आर.वेंकटरमानी, सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी.गिरी और अन्य ने दलीलें दीं थीं। जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रह्मण्यम, राजीव धवन, जफर शाह और दुष्यंत दवे ने जिरह की है। याचिकाकर्ताओं में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के सुप्रीमो भी शामिल रहे। इस मामले में लोगों ने अलग- अलग तरीके से प्रतिक्रिया दी है।

फैसले की पेशबंदी में दिया संदेश

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी ने कहा कि कपिल सिब्बल ने यह संदेश शायद 370 पर आज संभावित फैसले की पेशबंदी में दिया है। बहरहाल समझना यह भी चाहिए कि अतीत सैकड़ों ऐसे फैसलों से भरा पड़ा है, जो गलत थे और जिन्होंने दूसरी गलतियों को जन्म दिया।

काहे लड़े थे भारत के खिलाफ ये केस?

सिब्बल के ट्वीट पर पूर्व पत्रकार और समाज विज्ञानी दिलीप मंडप ने कहा कि फीस वापस कर दो। काहे लड़े थे भारत के खिलाफ ये केस? लज्जा नहीं आती। देश में आपको इतना दिया और एक आप हैं। चार पैसे के लिए कुछ भी करोगे? समाजवादी पार्टी को राष्ट्र से माफ़ी माँगनी चाहिए कि उसने सिब्बल को राज्य सभा भेज। कांग्रेस ने सोच समझकर नहीं भेजा था। सपा की बदनामी करा दी।

नेहरू की गलती को उजागर करने के लिए धन्यवाद

उनके ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए रणदीप सिसोदिया ने कहा कि यह अच्छा हारने वाला भाषण है। इस मामले को दायर करने और मोदी सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिष्ठित वकीलों द्वारा अदालतों के माध्यम से पूरे भारत में नेहरू की गलती को उजागर करने की अनुमति देने के लिए धन्यवाद। इस मामले में न तो वैधानिकता और न ही नैतिकता आपके पक्ष में थी।

फैसले को शालीनतापूर्वक स्वीकार करना सीखें

श्रीजथ पन्निकर ने कहा कि इतिहास इन बुरे झगड़ों और अच्छे फैसलों को भी याद रखेगा। आने वाली पीढ़ी को यह जानने के लिए इतिहास को ऐसे अभिलेखों की आवश्यकता होगी कि अतीत में किसने क्या किया। हालांकि, मौजूदा बहस फैसले के साथ ख़त्म हो गई। आपने उसे खो दिया। कृपया शालीनतापूर्वक स्वीकार करना सीखें और आगे बढ़ें।

ऐतिहासिक धोखे और भूल को कोर्ट की खिड़की से बाहर भेजने का समय

आदर्श जेनर ने कहा कि नहीं साहब..! इतिहास ऐतिहासिक निर्णयों के नैतिक दिशा-निर्देश का अंतिम मध्यस्थ नहीं है। विक्टर द्वारा अक्सर इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा जाता है, उसके साथ छेड़छाड़ की जाती है, उसे रंग दिया जाता है, छिपाया जाता है, पक्षपात किया जाता है और यहां तक कि उसके बारे में झूठ भी बोला जाता है, जैसा कि भारत के साथ हुआ है। केवल धर्म (सत्य) ही सही और गलत की कसौटी है। इस मामले में सच्चाई तो यह है कि ऋषि कश्यप की भूमि भारत का अभिन्न अंग है। इसे एक गलत सोच वाले अनुच्छेद-370, 35ए के माध्यम से धोखे से एक अपवित्र गठबंधन में बांध दिया गया था। इस ऐतिहासिक धोखे और भूल को अदालत की खिड़की से बाहर भेजने का समय आ गया है। जय हिन्द।

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