Saint Martin Island: जिस सेंट मार्टिन द्वीप के चलते चली गई शेख हसीना की सत्ता, वो था US की निगाह पर! जानें 9Km लंबी पट्टी के मायने
नई दिल्ली/ ढाका, एजेंसियां: Saint Martin Island: बांग्लादेश में तख्तापलट का शिकार हुईं शेख हसीना ने अमेरिका पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। शेख हसीना के एक भाषण पत्र के अनुसार अमेरिका बांग्लादेश के सेंट मार्टिन द्वीप पर सैन्य अड्डा बनाना चाहता था। जब उन्होंने द्वीप सौंपने से मना कर दिया तो अमेरिका ने तख्तापलट करा दिया। प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले राष्ट्र को संबोधित करने के लिए तैयार किए गए भाषण से यह जानकारी सामने आई है। हालांकि, सेना ने प्रदर्शनकारियों का हवाला देकर हसीना को राष्ट्र को संबोधित करने से रोक दिया था। आइए जानते हैं क्यों इतना महत्वपूर्ण है यह सेंट मार्टिन द्वीप जिसे अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश भी बांग्लादेश से पाना चाहता था, जिसकी वजह से बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया।
पिछले वर्ष जून में भी लगाए आरोप
भाषण पत्र के अनुसार शेख हसीना का दावा है कि अगर वे सेंट मार्टिन द्वीप अमेरिका को सौंप देतीं तो उनकी सरकार बनी रहती। पिछले वर्ष जून में भी शेख हसीना ने आरोप लगाया था कि अमेरिका बीएनपी की जीत के बदले सेंट मार्टिन द्वीप का अधिग्रहण करके सैन्य अड्डा बनाना चाहता है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि अगर बीएनपी सत्ता में आई तो वह इस द्वीप को अमेरिका को बेच देगी। हालांकि अमेरिका का विदेश विभाग इन दावों को खारिज कर चुका है। 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद से ही सेंट मार्टिन द्वीप देश की राजनीति में हावी रहा है। बंगाल की खाड़ी से नजदीक होने और म्यांमार के साथ समुद्री सीमा होने के कारण अमेरिका और चीन की द्वीप में दिलचस्पी रही है। अमेरिका और चीन इस द्वीप के जरिये क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार डा. अभिषेक श्रीवास्तव का कहना है कि अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान अमेरिका को बेवकूफ बना चुका है। अब अमेरिका पाकिस्तान पर भरोसा नहीं करता है। ऐसे में अमेरिका बंगाल की खाड़ी में बेस बनाना चाहता है, जहां से वह चीन पर नजर रख सके और इस क्षेत्र में बढ़ते चीन के प्रभाव पर अंकुश लगा सके। हालांकि बंगाल की खाड़ी में अमेरिका जैसी बड़ी ताकत की मौजूदगी भारत के लिए भी असहज करने वाली होगी।
कहां है सेंट मार्टिन द्वीप
सेंट मार्टिन द्वीप, बंगाल की खाड़ी के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित है। म्यांमार के पास, बांग्लादेश के सबसे दक्षिणी प्रायद्वीप, काक्स बाजार-टेकनाफ से लगभग नौ किलोमीटर दक्षिण में एक छोटा मूंगा द्वीप है। यह बांग्लादेश का एकमात्र मूंगा द्वीप है। द्वीप का भूभाग केवल तीन वर्ग किलोमीटर में है और यहां लगभग 3,700 लोग रहते हैं। यहां के निवासी मुख्य रूप से मछली पकड़ने, चावल की खेती, नारियल की खेती और समुद्री शैवाल की कटाई से जीवन-यापन करते हैं।
सेंट मार्टिन द्वीप के बारे में
सेंट मार्टिन द्वीप, जिसे नारिकेल जिंजीरा (नारियल द्वीप) या दारुचिनी द्वीप (दालचीनी द्वीप) के नाम से भी जाना जाता है। बंगाल की खाड़ी के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित यह द्वीप केवल 3 किमी वर्ग क्षेत्र में फैला एक छोटा आइलैंड है। यह कॉक्स बाजार-टैंकफ प्रायद्वीप के सिरे से लगभग 9 किमी दक्षिण में स्थित है। बांग्लादेश का एकमात्र प्रवाल द्वीप होने के कारण (यह अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है) जिसमें साफ नीला पानी और प्रवाल जैसे विविध समुद्री जीवन शामिल हैं।
सेंट मार्टिन द्वीप का इतिहास
नारियल के पेड़ बड़ी संख्या में होने के कारण इस द्वीप को बंगाली में ‘नारिकेल जिंजिरा’ या नारियल द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। इसे ‘दारुचिनी द्वीप’ या दालचीनी द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। इस द्वीप का एक समृद्ध इतिहास है। 18वीं शताब्दी में इसे पहली बार अरब व्यापारियों ने बसाया था। उन्होंने इसे ‘जजीरा’ नाम दिया था। वर्ष 1900 में ब्रिटिश सर्वेक्षणकर्ताओं की एक टीम ने सेंट मार्टिन द्वीप को ब्रिटिश भारत के हिस्से के रूप में शामिल किया और इसका नाम सेंट मार्टिन नामक एक ईसाई पुजारी के नाम पर रखा। हालांकि यह दावा भी किया जाता है कि द्वीप का नाम चटगांव के तत्कालीन उपायुक्त मार्टिन के नाम पर रखा गया था। 1937 में म्यांमार से अलग होने के बाद यह द्वीप ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना रहा। 1947 के विभाजन में यह पाकिस्तान के नियंत्रण में चला गया। 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद मूंगा द्वीप बांग्लादेश का हिस्सा बन गया। 1974 में, बांग्लादेश और म्यांमार में सहमति बनी कि मूंगा द्वीप बांग्लादेशी क्षेत्र का हिस्सा होगा।
आइलैंड पर रहते हैं लगभग 3700 निवासी
इस द्वीप का क्षेत्रफल केवल तीन वर्ग किलोमीटर है और इसमें लगभग 3,700 निवासी रहते हैं। जो मुख्य रूप से मछली पकड़ने, चावल की खेती, नारियल की खेती और समुद्री शैवाल की कटाई का काम करते हैं। इन सभी फसलों को यह आइलैंड म्यांमार को निर्यात किया जाता है।
म्यांमार के साथ समुद्री विवाद
म्यांमार सेंट मार्टिन द्वीप को बांग्लादेशी क्षेत्र के रूप में मान्यता दे चुका है। इसके बावजूद, द्वीप की समुद्री सीमा के परिसीमन को लेकर मुद्दे थे। बांग्लादेशी मछुआरे अक्सर मछली पकड़ने के लिए नावों का उपयोग करते थे। मछुआरों को म्यांमार के नौसैनिक बलों से हिरासत और गोलीबारी की चेतावनियों का सामना करना पड़ता था। आज तक इस द्वीप पर बांग्लादेश के स्वामित्व के बारे में सवाल नहीं उठा है, लेकिन बंगाल की खाड़ी के नजदीक होने से रणनीतिक स्थिति के कारण समुद्री सीमा के परिसीमन ने इस क्षेत्र में संप्रभुता को लेकर युद्ध का खतरा पैदा कर दिया था। 2012 में इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फार द ला आफ द सी ने एक ऐतिहासिक फैसले में कोरल द्वीप पर बांग्लादेश की संप्रभुता की पुष्टि की थी। इस फैसले का बांग्लादेश के क्षेत्रीय जल और विशेष आर्थिक क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
बांग्लादेश में घुसे रोहिंग्या
म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के कारण 2017 में सात लाख से अधिक रोहिंग्या को भागकर कर बांग्लादेश आने के लिए मजबूर होना पड़ा। इनमें से हजारों रोहिंग्या काक्स बाजार के कुटुपालोंग शरणार्थी शिविर में डेरा डाले हुए हैं। काक्स बाजार सेंट मार्टिन द्वीप के बहुत करीब है। ऐसी खबरें हैं कि म्यांमार द्वारा प्रतिबंधित संगठन अराकान सेना के सदस्य द्वीप पर दावा करने का प्रयास कर रहे हैं, हालांकि बांग्लादेश ने बार-बार इससे इनकार किया है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान म्यांमार की जुंटा और अराकान सेना के बीच गोलीबारी की छिटपुट घटनाएं हुई हैं। इसकी वजह से बांग्लादेश की नौसेना ने सेंट मार्टिन द्वीप के आस-पास युद्धपोत तैनात किया है।
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