Haryana Politics: हरियाणा में नायब सैनी की सरकार पर संकट, सरकार बनाने में मदद करने वाले 3 निर्दलीय विधायक कांग्रेस को समर्थन देंगे

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Politics: लोकसभा चुनावों के बीच हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सैनी की सरकार पर खतरा मंडराने लगा है। जजपा से गठबंधन टूटने के बाद नायब सिंह सैनी की सरकार बनाने में समर्थन देने वाले 3 निर्दलीय विधायक कांग्रेस के समर्थन में आ गए हैं। समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायकों में पुंडरी से विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान शामिल हैं।
तीनों विधायक नाराज
चर्चा है कि कैबिनेट विस्तार के दौरान नायब सैनी की कैबिनेट में रणजीत चौटाला के अलावा इनमें से किसी निर्दलीय विधायक को जगह नहीं मिली थी। इसी बाद से चारों विधायक नाराज हैं। तीनों विधायक रोहतक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस को समर्थन का ऐलान करेंगे। निर्दलीय विधायकों के इस फैसले को लेकर हरियाणा की सियासत में गरमाहट आ गई है। सियासी जानकारों का कहना है कि इससे हरियाणा में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने जा रही हैं।
कांग्रेस को फायदा होगा
लोकसभा चुनाव के बीच अभी कांग्रेस के अंदर बड़े नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और किरण चौधरी, रणदीप सुरजेवाला, कैप्टन अजय यादव, चौधरी वीरेंद्र सिंह व कुमारी सैलजा (एसआरके ग्रुप) के बीच खींचतान चल रही है। इसके चलते हरियाणा में कांग्रेस का प्रचार रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। नामांकन दाखिल करने के दौरान भी गुटों ने एक दूसरे से दूरी बनाई है। इसके बावजूद हरियाणा में कांग्रेस के प्रमुख नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही हैं क्योंकि उन्हीं के गुट को टिकट आवंटन में वरीयता दी गई हैत्र यदि निर्दलीय विधायक कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में आकर प्रचार शुरू करेंगे तो इससे कांग्रेस के पक्ष में माहौल तैयार होगा।
12 मार्च को नायब सैनी ने ली थी शपथ
आपको बता दें कि हरियाणा में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 40 सीट जीती थी। सरकार बनाने के लिए 46 सीट होना जरूरी है। ऐसे में भाजपा ने जजपा के 10 विधायकों के साथ प्रदेश में सरकार बना ली। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को बनाया गया। करीब साढ़े 4 साल बाद 12 मार्च 2024 को भाजपा और जजपा का हरियाणा में लोकसभा सीटों के बंटावारे को लेकर हुए विवाद के कारण गठबंधन टूट गया। इसके बाद कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सैनी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इसी दिन उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
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