UP News: 20 वर्ष की बेटी दिखाकर 45 वर्षीय विधवा मां से करा दिया निकाह, जानें क्‍या हुआ

मेरठ, बीएनएम न्‍यूज : UP News: उत्‍तर प्रदेश के मेरठ के एक छोटे से कस्बे में एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें एक 20 वर्षीय युवक को उसकी 45 वर्षीय विधवा मां से निकाह करने के लिए मजबूर किया गया। यह मामला न केवल स्थानीय समाज में चर्चा का विषय बना बल्कि न्यायिक तंत्र की कार्यप्रणाली को भी सवालों के घेरे में लाया। हालाँकि, इस मामले में पिछले कुछ दिनों से जो घटनाक्रम चल रहा था, उसने एक नया मोड़ ले लिया है।

घटना का आरंभ

22 वर्षीय युवक मोहम्मद अजीम किसी भी सामान्य युवा की तरह जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए तैयार था। उसके चार अन्य भाइयों के साथ वह माता-पिता की मृत्यु के बाद जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा था। उसकी मां की मृत्यु के बाद परिवार का संपार्श्विक आधार बिगड़ गया था और भाइयों के हिस्से में बंटा हुआ 40-40 गज का जमीन भी कोई खास मदद नहीं कर रहा था।

31 मार्च को अजीम के भाई नदीम और भाभी सायदा ने उसे एक प्रस्ताव दिया  एक 20 वर्षीय लड़की मंतशा से निकाह करने का। अजीम ने बिना ज्यादा सोचे समझे लड़की को देखकर इस रिश्ते के लिए हां कह दी। लेकिन, निकाह के दौरान जब दुल्हन का नाम लिया गया तो अजीम चौंक गया। उसने देखा कि निकाहनामा पर मंतशा के स्थान पर उसकी विधवा मां ताहिरा का नाम लिखा हुआ था। ताहिरा अजीम से लगभग 25 साल बड़ी थी।

निकाह की धमकी और परिवार का दबाव

इस खुलासे के बाद अजीम ने निकाह करने से इन्कार कर दिया। लेकिन उसका विरोध अनसुना किया गया और उसे तुरंत घेर लिया गया। मौके पर मौजूद लोगों ने उसे मारपीट करके धमकी दी कि अगर वह निकाह नहीं करेगा, तो उसके खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाकर जेल भिजवाने की बात भी कही। अजीम की स्थिति उस समय बेहद तनावपूर्ण हो गई और मजबूरी में उसे निकाह करना पड़ा।

बाद में, जब अजीम ने इस घटना के बारे में एसएसपी डॉ. विपिन ताडा से शिकायत की तो उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए सीओ ब्रह्मपुरी को जांच के आदेश दिए। सीओ सौम्या ने मामले की जांच शुरू की और अजीम के बयान को गंभीरता से लिया।

परिवर्तन और थाने में बयान

अचानक, मामले में एक नया मोड़ आ गया। शनिवार को अजीम ने ब्रह्मपुरी थाने पहुंचकर इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी को लिखित में जानकारी दी कि वह ताहिरा के साथ निकाह करके संतुष्ट है और किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं चाहता। इस परिवर्तन ने सबको चौंका दिया, क्योंकि पहले उसने निकाह करने से इन्कार किया था।

इंस्पेक्टर ने बताया कि इस समझौतानामे के बाद मामला समाप्त हो गया। अजीम का यह नया रुख कई सवाल उठाता है – क्या उसने सच में शादी से संतोष अनुभव किया, या फिर परिवार के दबाव में वह ऐसा कर रहा है?

सामाजिक संदर्भ

स्त्री-पुरुष के रिश्तों में यह असमानता और दवाब एक बड़ी समस्या है विशेषकर समाज के कुछ विशेष हिस्सों में। युवक की स्थिति पर सवाल उठते हैं – क्या उसे अपनी मर्जी से जीने का अधिकार नहीं होना चाहिए? क्या यह उसके परिवार की जवाबदेही नहीं है कि वह उसे इस तरह की परिस्थितियों में न डालें?

ऐसे मामलों में जहां युवा व्यक्ति को दबाव में रखा जाता है, वह अपने अधिकारों का हनन अनुभव करता है। यह सिर्फ अजीम की कहानी नहीं है; यह कई युवाओं की कहानी है, जो परिवार, समाज और परंपरा के दबाव में जीते हैं।

कानूनी पहलू

इस मामले में कानूनी कार्रवाई की गुंजाइश भी है। भारतीय दंड संहिता की धारा 375(दुष्कर्म) और धारा 506 (धमकी) जैसे प्रावधान इस बात को एक अलग दिशा में ले जा सकते हैं, अगर किसी ने युवक पर जबरन विवाह या दुष्कर्म का आरोप लगाया। इसके अलावा यह भी देखा जा सकता है कि विवाह एक व्यक्ति की सहमति से होना चाहिए, और किसी भी प्रकार का बल या धोखा इसे अमान्य बनाता है।

निष्कर्ष

इस अनूठे मामले ने स्थानीय समुदाय में एक गंभीर बहस छेड़ दी है। महिलाएं और पुरुष दोनों को अधिकार और स्वतंत्रता का समान स्तर मिलना चाहिए और परिवारों को चाहिए कि वे अपने सदस्यों की पसंद का सम्मान करें। अजीम की कहानी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि समाज में बदलाव की आवश्यकता है, यदि हम एक सही और समानता पर आधारित समाज की कल्पना करते हैं।

समाज को यह समझना होगा कि हर व्यक्ति के जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए और किसी भी प्रकार का दबाव गलत है। इस परिस्थिति में, जो कुछ भी हुआ, वह अजीम के लिए एक सीख हो सकता है और अगर उसे अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना है, तो उसे आगे बढ़ने में संकोच नहीं करना चाहिए।