UP News: मां-बाप की गरीबी में बिक गया कलेजे का टुकड़ा, पुलिस तक पहुंचा मामला

फिरोजाबाद, बीएनएम न्यूज: UP News: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में मां-बाप की गरीबी में कलेजे का टुकड़ा बिक गया। मात्र छह हजार रुपये नहीं दे पाने पर अस्पताल संचालक ने तीन दिन के मासूम का ढाई लाख रुपये में सौदा कर दिया। बच्चे को माता-पिता से छीनकर ग्वालियर के नि:संतान स्वर्णकार को सौंप दिया गया। संचालक ने पिता को 50 हजार रुपये दिए। मगर मां की ममता छटपटा उठी तो मामला पुलिस तक पहुंच गया। पुलिस ने बच्चे को बरामद करते हुए तीन लोगों को हिरासत में लिया है।

पैसे न होने का फायदा उठाया

 

धर्मेंद्र कुमार बघेल की पत्नी दामिनी ने 18 अप्रैल को बेटे को जन्म दिया था। उसी रात तबीयत खराब होने पर बच्चे को निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। धर्मेंद्र के अनुसार, अस्पताल संचालक ने उससे दो हजार रुपये जमा कराए थे। शनिवार को छुट्टी करने की बात कहते हुए संचालक ने 18 हजार रुपये जमा कराने को कहा। उसके पास 10 हजार रुपये ही थे। उसने छह हजार रुपये कुछ दिन बाद देने की बात कही, लेकिन संचालक पूरी रकम जमा कराने की जिद पर अड़ा था। 21 अप्रैल को संचालक ने 10 रुपये के स्टांप पेपर पर पति-पत्नी के हस्ताक्षर करा लिए। इसके बाद पालीथिन में 50 हजार रुपये देते हुए कहा कि जाओ, हिसाब हो गया। बच्चे को दान में दे दो। बच्चा अब यहीं रहेगा।

खुद को छला महसूस कर दंपती बेबसी को कोसते हुए घर चले आए, लेकिन उनका मन कचोटता रहा। दामिनी धर्मेंद्र से बार-बार बच्चे को वापस लाने के लिए कह रही थी। इसके बाद वह 23 अप्रैल की रात रामगढ़ थाने पहुंचा। उसने पुलिस को अस्पताल से बच्चा चोरी होने की बात बताई, लेकिन पूछताछ में मामला खुल गया। बच्चे को स्वर्णकार के घर से बरामद कर लिया गया। स्वर्णकार और उसके दो रिश्तेदारों को हिरासत में लिया गया है। सीओ सिटी हिमांशु गौरव का कहना है कि बाल कल्याण समिति के आदेश पर बच्चे को अस्पताल में भर्ती करा दिया है। अस्पताल संचालक की भूमिका की जांच की जा रही है।

बेटे के पैर टेढ़े थे, गरीब मां ने एक लाख में बेच दिया लाल

मुरादाबाद : मुरादाबाद में एक आशा कार्यकर्ता ने बच्चे के पैर टेढ़े होने पर महंगे इलाज का डर दिखा बच्चे का एक लाख में सौदा करा दिया। प्रसूता के परिवार में विवाद होने पर नगर पंचायत अध्यक्ष गुलरेज खां की मध्यस्थता में रुपये वापस करने पर 45 दिन बाद बच्चा लौटा दिया गया।

बता दें कि एक व्यक्ति आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। डेढ़ माह पहले उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया। नवजात के पैर टेढ़े थे। आशा कार्यकर्ता ने प्रसूता को इलाज में लाखों रुपये खर्च होने की बात कहते हुए कहा का बच्चे को गोद देने पर कुछ रुपये भी दिलवा देगी। आशा कार्यकर्ता ने बेटे को ले जाकर गांव के ही जहीर आलम को दे दिया और एक लाख रुपये लाकर उसे दे दिए। दोनों पक्षों में विवाद होने पर मामला नगर पंचायत अध्यक्ष के पास पहुंचा। बाल रोग विशेषज्ञ डा. मुजीबुल्लाह ने बताया कि नवजात बच्चों की टांगे टेढ़ी कई बार विटामिन डी-थ्री और कंजेनाइटल की वजह से हो जाती हैं। इसका उपचार कराने से बच्चा ठीक हो जाता है।

 

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