UP News: रिश्वत नहीं देने पर दुल्हन को नाबालिग बता मंडप से उठा ले गए, परिवार के समक्ष आत्महत्या करने की स्थिति

अमरोहा, बीएनएम न्‍यूज : UP News: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक अनूठी और चिंताजनक घटना सामने आई है, जिसमें एक बालिग दुल्हन को नाबालिग बताकर उसकी शादी रोकने का मामला प्रकट हुआ है। इस घटना ने न केवल दुल्हन और उसके परिवार के लिए तनाव और अपमान का माहौल पैदा किया है, बल्कि अधिकारियों की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक पुलिसिंग पर भी सवाल उठाए हैं।

घटना का विवरण

यह मामला हसनपुर क्षेत्र के एक गांव का है, जहां एक किसान की 21 वर्षीय बहन की शादी 5 मार्च 2025 को निर्धारित की गई थी। शादी की सारी तैयारी हो चुकी थी और बरात भी आ चुकी थी। वैवाहिक कार्यक्रम पूरी धूमधाम से चल रहा था, जब अचानक जिला प्रोबेशन विभाग के कर्मचारी शादी के मंडप पर पहुंचे। इस टीम में सुरभि यादव, आदिल, गजेंद्र, कपिल, अशोक, मनोज, वीरू और एक अज्ञात व्यक्ति शामिल थे। कर्मचारियों ने शादी को यह कहकर रोकने की कोशिश की कि दुल्हन नाबालिग है।

दुल्हन का आधार कार्ड और आरोप

किसान ने अपनी बहन का आधार कार्ड दिखाते हुए यह साबित करने की कोशिश की कि उसकी बहन बालिग है। इसके बावजूद, आरोपितों ने किसान को धमकाया और कहा कि उन्हें 50 हजार रुपये की रिश्वत चाहिए। किसान ने पैसे देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद सभी आरोपितों ने दुल्हन को मंडप से उठाकर विकास भवन ले जाने का निर्णय लिया। इस दौरान सुरभि और उसके अन्य सहकर्मियों ने दुल्हन को बाल कल्याण समिति के सामने पेश करने के लिए जिला अस्पताल स्थित वन स्टॉप सेंटर भेज दिया।

मानवाधिकारों का उल्लंघन

इस घटना ने ना केवल दुल्हन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है, बल्कि यह मानवाधिकारों के बुनियादी नियमों के उल्लंघन की स्थिति भी दर्शाती है। दुल्हन और उसके परिवार को इस अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा, और किसान ने बताया कि उनके समाज में उनकी बदनामी हुई है। यह सुनिश्चित करना कि दुल्हन का अधिकार और उसका सम्मान सुरक्षित रहे, एक प्राथमिकता बन जाती है, जिसे इस प्रकार की घटनाओं में नजरअंदाज किया गया।

परिवार की प्रतिक्रिया

 

घटना के बाद किसान और उनका पूरा परिवार सदमे में हैं। किसान का यह कहना है कि उन्हें आत्महत्या करने की स्थिति में पहुंच गये हैं क्योंकि उनके साथ जो हुआ, वह उनके लिए अत्यंत अपमानजनक है। इस अपमान के कारण न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा समाज भी प्रभावित हुआ है। इस संबंध में उन्होंने पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण किसान ने सीजेएम ओमपाल सिंह की अदालत में न्याय की मांग करने का निर्णय लिया।

अदालत की कार्रवाई

 

किसान द्वारा अधिकारियों के खिलाफ अदालत में दायर की गई याचिका में सारी स्थिति को स्पष्ट किया गया। अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। इसके साथ ही सीजेएम ने जिलाधिकारी से विस्तृत जांच रिपोर्ट भी तलब की है। इस आदेश ने पीड़ित परिवार को कुछ हद तक राहत देने का काम किया है, किन्तु उनके सामने जो अपमान हुआ है, उसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।

प्रशासनिक विफलता

 

इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाए हैं। हालांकि सरकारी अधिकारी समाज में संरक्षण और सहायता के लिए हैं, लेकिन इस घटना ने यह संकट उत्पन्न किया है कि नागरिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का संरक्षण कैसे किया जा रहा है। यह आवश्यक है कि इस प्रकार की घटनाओं के लिए कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी परिवार ऐसी घटना का शिकार न हो।

दुखद कहानी

 

इस मामले ने यह स्पष्ट किया है कि हमें समाज में बिना किसी पूर्वाग्रह के सभी व्यक्तियों के अधिकारों को सुरक्षित रखने की आवश्यकता है। यह घटना न केवल एक परिवार की दुखद कहानी है बल्कि यह समस्त समाज के लिए एक चेतावनी भी है, जिससे हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस प्रकार की घटनाएँ फिर से न हों। हमें आवश्यकता है ऐसे नियम और व्यवस्थाएं बनाने की, जो किसी भी दुल्हन या परिवार को इस प्रकार के अत्याचार से बचा सकें। इसलिए प्रशासन को अपनी संजीदगी से काम करते हुए आम जनमानस की सुरक्षा और उनके अधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करना चाहिए। इस घटना की गहराई से जांच करके, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना आवश्यक है ताकि न्याय की एक नई मिसाल कायम हो सके।

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