Uttarkashi Tunnel Rescue Update: सिलक्यारा में 31 मीटर हुई वर्टिकल ड्रिलिंग, जानें- कब तक सुरंग में फंसे श्रमिक सकुशल आएंगे बाहर
उत्तरकाशी, BNM News: Uttarkashi Tunnel Rescue Update Today सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को 16 दिन हो गए हैं। सुरंग में 41 श्रमिक फंसे हुए हैं। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रात भर रेस्क्यू अभियान चला। बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के फार्मर इंजीनियरिंग चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने बताया कि सिलक्यारा सुरंग के ऊपर पहाड़ी से 31 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग हो चुकी है। इसके साथ ही 8 एमएम व्यास का एक पाइप 70 मीटर तक ड्रिल किया जा चुका है। यह 8 एमएम व्यास का पाइप भी वर्टिकल ड्रिलिंग के तहत लाइफलाइन के लिए अलग से डाला जा रहा है। इसके अलावा सुरंग के अंदर बनाई जा रही हॉरिजॉन्टल निकासी सुरंग का करीब डेढ़ मीटर हिस्सा भी काटा जा रहा है, जो औगर मशीन से ड्रिलिंग के दौरान तीन दिन पहले क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद मैन्युअल ड्रिलिंग होनी है। इसमें रैट माइनर की टीम के साथ सेना इंजीनियरिंग रेजीमेंट भी सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि अगर कोई बाधा नहीं आई तो अगले 24 से 36 घंटे के अंतराल में सुरंग में फंसे श्रमिकों का सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा।
औगर मशीन के फंसे हिस्से पाइप से निकाले आज से शुरू हो सकती है मैन्युअल ड्रिलिंग
आज सुबह औगर मशीन के हेरो ब्लेड को काट कर बाहर निकाल लिया है। 48 मी फंसी औगर मशीन के ब्लेड अब पाइप से पूरी तरह निकाल लिए हैं। अब 11 लोगों की रैट माइनर की टीम अगले 12 मीटर को मैन्युअल ड्रिल करेगी। सुरंग के भीतर आज से मैन्युअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो सकता है। रेट माइनर की टीम एक बार में 6 घंटे लगातार अपने उपकरणों के साथ अंदर के पत्थर औजारों और राह में आने वाले धातु के हिस्सों को काटकर रास्ता बनाएगी। जैसे ही आगे मलबा काटा जाएगा और पाइप के लिए रास्ता बन जाएगा। औगर मशीन 800 मिलीमीटर के पाइप को आगे की ओर धकेलेगी। इस प्रकार से लगभग 12 मीटर का रास्ता तय करना है। साथ ही प्लान बी के तहत सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग 28 मीटर हो चुकी है। मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर ड्रिलिंग होनी है।
केंद्रीय राज्य मंत्री पहुंचे घटनास्थल, पीएमओ के प्रमुख सचिव आएंगे आज सिलक्यारा
उत्तरकाशी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह खोज बचाव अभियान का निरीक्षण करने के लिए सिलक्यारा सुरंग पहुंच गए हैं। जनरल सिंह पिछले पांच दिन से सिलक्यारा में कैंप किए हुए हैं। उत्तरकाशी। सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर की सुबह से फंसे 41 श्रमिकों को बचाने का कार्य जारी है। आज खोज बचाव कार्य का निरीक्षण करने के लिए पीएमओ के प्रमुख सचिव और केंद्रीय गृह सचिव भी सिलक्यारा आने वाले हैं।
अब जानिए हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग क्यों फेल हुई
दरअसल, 21 नवंबर से सिल्क्यारा की तरफ से टनल में हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की जा रही थी। इसमें काफी हद कामयाबी मिली। 60 मीटर के हिस्से में से 47 मीटर तक ड्रिलिंग के जरिए पाइप डाला जा चुका था। मजदूरों तक करीब 10-12 मीटर की दूरी रह गई थी, लेकिन शुक्रवार 24 नवंबर शाम को ड्रिलिंग मशीन के सामने सरिए आ जाने से ड्रिलिंग मशीन के शाफ्ट उसमें फंस गए। जब मशीन से और प्रेशर डाला गया तो शाफ्ट टूट गए। इसका कुछ हिस्सा तोड़कर निकाला गया, लेकिन बड़ा हिस्सा वहां अटक गया।
सीवर में काम करने वाले श्रमिकों की ली जा रही मदद
सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियाना जारी है। बचाव अभियान के दौरान मुंबई के सीवर में काम करने वाले श्रमिकों की भी मदद ली जा रही है। बताया जा रहा है कि वे दमघोंटू वातावरण में कार्य करने में अभ्यस्त होते हैं। ऐसे ही श्रमिकों की इस सुरंग में जरूरत है।
मैनुअल ड्रिलिंग के लिए 30 जवान मौके पर मौजूद
भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के एक इंजीनियर समूह को सिल्कयारा सुरंग में मैनुअल ड्रिलिंग के लिए बुलाया गया। बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए इंजीनियर रेजिमेंट के 30 जवान मौके पर मौजूद हैं। सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है। इसकी निगरानी के लिए विशेषज्ञ ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल कर रहे हैं। सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को भोजन, दवा समेत सभी जरूरी चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं। सभी की सुरक्षा के लिए कड़ी सावधानियां बरती जा रही है।
कंपनी ने बुलाए रेट माइनर्स
सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के बचाव कार्यों में रेट माइनर्स की संज्ञा उन्हें दी जा रही है, जिनके पास तंग सुरंगों में हाथ से उपकरणों के जरिये से खोदाई करने में विशेषज्ञता है। रेट माइनिंग कोयले की खदानों में प्रयुक्त होने वाला शब्द है, जहां चूहों अथवा छोटे बच्चों से खोदाई करा कर कोयला निकालने को छोटी सुरंग बनाई जाती है।
मैनुअल तरीके से सुरंग खोदने पर भी हो सकता है काम
सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए सरकार इस समय सात योजनाओं पर काम कर रही है। इनमें सबसे अहम व मुख्य योजना अभी भी मुख्य द्वार से पाइप डालकर श्रमिकों को निकालने की है। कारण यह कि यहां से फंसे हुए श्रमिकों की दूरी केवल 10 से 12 मीटर है। इस योजना के अंतर्गत रेट माइनर्स हाथों से औजारों का प्रयोग कर मलबा हटाते हुए सुरंग बनाने का कार्य करेंगे।
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