Vasundhara Raje: राजनाथ सिंह ने वसुंधरा राजे को समझाया, पर्ची खोला तो उतर गया चेहरा

जयपुर, बीएनएम न्यूज। Rajasthan CM: राजस्थान में मुख्यमंत्री का चयन करना छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के मुकाबले काफी जटिल माना जा रहा था। खासकर चुनाव परिणाम आने के बाद जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vashundhra Raje) के पक्ष में विधायकों की लाबिंग हो रही थी, लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ ने पुराने अनुभव के सहारे वसुंधरा को साध लिया। उन्होंने पूर्व सीएम को बताया कि पार्टी अब बहुत आगे बढ़ गई है और उनको भी पार्टी के फैसलों के साथ चलना चाहिए। चुनाव जीतने वाले कई विधायक निर्वाचन का प्रमाण-पत्र लेने के बाद सीधे वसुंधरा से मिलने उनके जयपुर स्थित आवास पर पहुंच रहे थे। इससे सीएम चेहरे का चयन जटिल होता नजर आ रहा था। ऐसे में पार्टी नेतृत्व ने पर्यवेक्षकों के माध्यम से जटिल मसले को सुलझाने का प्रयास किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे कद्दावर नेता को पर्यवेक्षक बनाया। राजनाथ को संगठन, आरएसएस और सरकार तीनों का अनुभव है। राजनाथ के साथ वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े और राज्यसभा सदस्य सरोड़ पांडे को लगाया गया।

वसुंधरा को समझाया कि पार्टी के फैसलों के साथ चलना चाहिए

राजनाथ दिल्ली से जब जयपुर हवाई अड्डे पर पहुंचे तो उनकी वसुंधरा व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने अगुवानी की। इसके बाद दोनों राजनाथ के साथ गाड़ी में बैठकर होटल तक पहुंचे। होटल में राजनाथ ने वसुंधरा के साथ करीब एक घंटे तक बंद कमरे में बात की। राजनाथ ने वसुंधरा को यह तो बता दिया कि पार्टी नेतृत्व किसी नए चेहरे को सीएम बनाना चाहता है, लेकिन यह नहीं बताया कि वह चेहरा कौन होगा, जबकि राजनाथ को उसके बारे में पता था। उन्होंने वसुंधरा को समझाया कि पार्टी के फैसलों के साथ चलना चाहिए। राजनीति बहुत आगे तक जाएगी। ऐसे में पार्टी का फैसला मानना चाहिए। उन्होंने वसुंधरा को नए सीएम के नाम का प्रस्ताव करने के लिए तैयार किया। नाम विधायक दल की बैठक में ही बताने के लिए कहा।

पर्ची खोली तो वसुंधरा का चेहरा उतर गया

विधायक दल की बैठक में राजनाथ ने वसुंधरा को अपने पास वाली कुर्सी पर बिठाया और फिर कहा कि अब उन्हें नए सीएम के नाम का प्रस्ताव करना है। राजनाथ ने अपनी जेब से पर्ची निकाल कर वसुंधरा को सौंपी। वसुंधरा ने जैसे ही पर्ची खोली तो उनका चेहरा उतर गया। पर्ची में भजनलाल का सीएम, दीया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा का उप मुख्यमंत्री और वासुदेव देवनानी का नाम विधानसभा अध्यक्ष के लिए था। पर्ची देखने के बाद वसुंधरा ने राजनाथ से कुछ कहने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। आखिरकार वसुंधरा ने भजनलाल के नाम का प्रस्ताव रखा।

राजनाथ और वसुंधरा के पुराने राजनीतिक रिश्ते

2008 के अंत में राजनाथ सिंह भाजपा अध्यक्ष थे। शीर्ष नेतृत्व उस समय ओम प्रकाश माथुर को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहता था। इसके लिए राजनाथ ने तत्कालीन सीएम वसुंधरा को संदेश भेजा। खुद फोन भी किया, लेकिन वसुंधरा ने राजनाथ से फोन पर बात ही नहीं की थी। इस पर राजनाथ नाराज हुए और बिना वसुंधरा की सहमति के माथुर के नाम की घोषणा कर दी थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा विपक्ष में आ गई और कांग्रेस की सरकार बन गई। 2009 में लोकसभा चुनाव हुए तो प्रदेश की 25 सीटों में से भाजपा को केवल चार सीटें मिली थीं। कमजोर प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए माथुर और संगठन महामंत्री प्रकाशचंद्र ने शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर त्याग-पत्र दे दिया था, लेकिन वसुंधरा ने नेता प्रतिपक्ष के पद से त्याग-पत्र देने से इन्कार कर दिया था। राजनाथ नहीं माने तो वसुंधरा 15 अगस्त, 2009 को 57 विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गई थीं। जानकारी सामने आई कि वसुंधरा ने त्याग-पत्र दे दिया था, लेकिन तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत को मिला ही नहीं था। फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

 

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