Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ बिल राज्यसभा में भी पास:पीएम मोदी बोले- यह बड़ा सुधार

नई दिल्‍ली, बीएनएम न्‍यूज। Waqf Amendment Bill 2025:  गुरुवार रात को, वक्फ संशोधन बिल ने राज्यसभा में 12 घंटे की लंबी चर्चा के बाद पारित होने का गौरव प्राप्त किया। इस बिल के पक्ष में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। इससे पहले, इसे बुधवार को लोकसभा में भी 12 घंटे की विस्तृत चर्चा के बाद मंजूरी दी गई थी। पारित होने के बाद यह बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा, जिनकी स्वीकृति के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल को बड़े सुधारों के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह कानून पारदर्शिता बढ़ाएगा और गरीब तथा पिछड़े मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियों में वर्षों से चल रही गड़बड़ी से खासकर मुस्लिम महिलाओं और गरीबों को नुकसान हुआ है।

बीजू जनता दल के स्‍टैंड में बदलाव

बिल पर चर्चा के दौरान बीजू जनता दल (BJD) ने अपने सांसदों के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया, जिससे पार्टी के सदस्य अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने के लिए स्वतंत्र थे। हालांकि, भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने चर्चा के दौरान कहा कि वक्फ ने एक बार ताजमहल पर भी दावा किया था, जिसका नकारात्मक जवाब सुप्रीम कोर्ट ने दिया था।

विपक्ष का विरोध और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

विपक्ष इस बिल के खिलाफ सख्त हो गया है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बाद, कांग्रेस ने भी इस बिल को चुनौती देने का निर्णय लिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी संविधान की रक्षा के लिए हर मंच पर अपनी आवाज उठाती रहेगी। इस बीच, यूपी के विभिन्न शहरों में तनाव के कारण पुलिस हाई अलर्ट पर है, और कई स्थानों पर फ्लैग मार्च भी किए जा रहे हैं।

लोकसभा की कार्यवाही का अंत

वक्फ संशोधन बिल के पास होने के साथ ही शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। स्पीकर ओम बिरला ने जानकारी दी कि इस सत्र में वक्फ बिल समेत कुल 16 विधेयक पास किए गए हैं और सदन की प्रोडक्टिविटी 118% रही।

JDU का समर्थन और मुस्लिम नेताओं का विरोध

जदयू ने वक्फ संशोधन बिल पर मोदी सरकार का समर्थन किया है, लेकिन इस निर्णय से नाराज पांच मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है। इनमें अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक और अन्य शामिल हैं।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्री का बयान

अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस बिल में ट्रांसपेरेंसी, अकाउंटेबिलिटी और एक्यूरेसी पर केंद्रित बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा कि व्यापक चर्चा के बाद यह बिल लोकसभा से पारित हुआ है और ज्यादातर सुझावों को जेपीसी के माध्यम से स्वीकार किया गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष की आपत्ति

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार का इरादा ठीक नहीं है और यह स्पष्ट नहीं है कि वक्फ लैंड किसको दिया जाएगा। उन्होंने गृहमंत्री से अपील की कि वे इसे वापस लें और इसे “Prestige issue” बनाने से बचें। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पास वक्फ की कोई संपत्ति नहीं है और अनुराग ठाकुर के आरोपों को चुनौती दी।

भाजपा और विपक्ष के नेताओं का तर्क

भाजपा के जेपी नड्डा ने विश्वास जताया कि सदन इस बिल का समर्थन करेगा। वहीं, आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह बिल मुस्लिमों के लिए हानिकारक साबित होगा और यह धार्मिक संपत्तियों पर कब्ज़े का एक प्रयास है। आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि बहुमत आजादी की गारंटी नहीं देता और इस मुद्दे पर साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

सत्ता का नियंत्रण और विरोध

शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने कहा कि सरकार को मुस्लिमों की चिंता कब से होने लगी? उनका यह प्रश्न था कि सरकार को उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिनसे देश की सुरक्षा बनती है, जैसे कि कश्मीरी पंडितों की संपत्तियां और चीन का आक्रमण।

आप सांसद संजय सिंह ने कि ये सरकार बोलती है कि मुस्लिमों का भला कर रहे हैं। पूरी सरकार में एक भी मुस्लिम नहीं है। इस बिल के बाद धार्मिक संपत्तियों पर कब्जा किया जाने का काम किया जाएगा। ये संपत्तियां ये लोग अपने दोस्तों को देंगे। इस बिल पर हिंदु-मुसलिम, सिख-बौद्ध किसी को खुश नहीं होना चाहिए। क्योंकि नंबर सबका आएगा।

सामाजिक संदर्भ में प्रभाव

 

वक्फ संशोधन बिल के पास होने के बाद कई बड़े शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस हाई अलर्ट पर है और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई शहरों में फ्लैग मार्च किए जा रहे हैं।

निष्कर्ष

 

वक्फ संशोधन बिल पारित होना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है, जो भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करेगा। हालांकि सरकार इसे सुधार और पारदर्शिता का कदम मानती है, लेकिन विपक्ष और कई समाज से जुड़े लोग इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला मानते हैं। आने वाले समय में, इस मुद्दे पर और गहरी बहस और कानूनी चुनौतियां देखने को मिल सकती हैं, जो न केवल राजनीति को प्रभावित करेंगी, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भी संभावित तनाव पैदा कर सकती हैं। इस विधेयक के प्रभाव अर्थ और बाद में होने वाली प्रतिक्रियाओं का परीक्षण समय के साथ किया जाएगा और यह महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और विपक्ष एक साथ मिलकर एक संतुलित समाधान की तलाश करें जो सभी भारतीयों के हित में हो।

 

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