जब नूर खान एयरबेस पर हमला हुआ, हमारे पास सिर्फ 30-45 सेकेंड थे, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सलाहकार ने स्वीकार किया

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : India-Pakistan War: भारत-पाकिस्तान के बीच इतिहास अक्सर तनाव और संघर्षों का रहा है लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक ऐसा अध्याय है जिसने दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध की संभावना को अप्रत्याशित रूप से बढ़ा दिया था। यह ऑपरेशन, जो पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों द्वारा पहलगाम में 26 पर्यटकों की नृशंस हत्या के बाद भारत द्वारा चलाया गया था, न केवल पाकिस्तान के अहम सैन्य प्रतिष्ठानों और आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने वाला था, बल्कि इसने इस्लामाबाद को इस हद तक झकझोर दिया था कि उसे लगा भारत ने परमाणु हमला कर दिया है। यह चौंकाने वाला खुलासा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार राणा सनाउल्ला ने एक पाकिस्तानी टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में किया, जिसने दुनिया को एक ऐसे पल की भयावहता से रूबरू कराया, जब दुनिया परमाणु महाविनाश के मुहाने पर खड़ी थी।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
26 पर्यटकों की पहलगाम में दर्दनाक हत्या ने पूरे भारत को स्तब्ध कर दिया था। इस अमानवीय कृत्य के पीछे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों का हाथ था। भारत ने इस बर्बरता का जवाब देने का दृढ़ संकल्प लिया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी संकल्प का परिणाम था। इसका मुख्य उद्देश्य इन आतंकी संगठनों के शिविरों को नेस्तनाबूद करना और उन्हें भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियों को जारी रखने से रोकना था। भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन के तहत बड़ी ही कुशलता से कार्रवाई की और 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया, जिससे सीमा पार आतंकवाद पर एक करारा प्रहार हुआ।
नूर खान एयरबेस पर ब्रह्मोस का प्रहार
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत का प्रहार इतना तीक्ष्ण और अप्रत्याशित था कि पाकिस्तानी सेना को स्थिति को समझने में मुश्किल हो रही थी। भारतीय सेना ने कई आतंकी शिविरों को निशाना बनाया और पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठानों को भी भारी नुकसान पहुंचाया। लेकिन, जिस घटना ने पाकिस्तान को सबसे ज्यादा हिला दिया, वह थी रणनीतिक रूप से अभेद्य माने जाने वाले नूर खान एयरबेस पर ब्रह्मोस मिसाइल का हमला।
रावलपिंडी के चकलाला में स्थित नूर खान पाकिस्तानी वायु सेना का एक प्रमुख एयरबेस है, जिसकी सामरिक महत्ता अत्यंत उच्च है। इस एयरबेस पर ब्रह्मोस मिसाइल का सटीक निशाना पाकिस्तान के लिए एक चौंकाने वाला और भयावह अनुभव था। राणा सनाउल्ला ने अपने साक्षात्कार में बताया कि जब यह मिसाइल नूर खान एयरबेस पर गिरी, तो पाकिस्तानी सेना के पास यह विश्लेषण करने के लिए केवल 30-45 सेकंड का समय था कि मिसाइल परमाणु हथियार से लैस है या नहीं। यह एक अत्यंत खतरनाक और नाजुक स्थिति थी, क्योंकि इस कम समय में कोई भी गलत निर्णय वैश्विक परमाणु युद्ध को जन्म दे सकता था।
सनाउल्ला के अनुसार, “यह एक खतरनाक स्थिति थी। भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान परमाणु युद्ध का खतरा काफी अधिक था।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि उन्होंने परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करके अच्छा किया। लेकिन, साथ ही इस तरफ के लोग इसे गलत भी समझ सकते थे। इसके कारण पहला परमाणु हथियार दागा जा सकता था, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक परमाणु युद्ध छिड़ सकता था।” यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान की सेना ने वास्तविक रूप से यह मान लिया था कि भारत ने परमाणु हमला कर दिया है, और इसके संभावित परिणाम कितने विनाशकारी हो सकते थे।
सामरिक महत्व: नूर खान एयरबेस क्यों था इतना अहम?
नूर खान एयरबेस केवल एक हवाई अड्डा नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तानी वायु सेना के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक केंद्र है। इसकी भौगोलिक स्थिति और इसका परिचालन महत्व इसे पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं। यहाँ से न केवल लड़ाकू विमानों का संचालन होता है, बल्कि यह खुफिया जानकारी एकत्र करने और रसद सहायता प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण एयरबेस पर भारत का हमला, और विशेष रूप से ब्रह्मोस जैसी अत्याधुनिक मिसाइल का उपयोग, पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका था। यह हमला पाकिस्तान की वायु रक्षा क्षमताओं और उसकी सैन्य तैयारियों पर एक सवालिया निशान खड़ा कर गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत के हवाई हमले
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने केवल नूर खान एयरबेस पर ही हमला नहीं किया, बल्कि कई अन्य पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को भी निशाना बनाया। उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों से पता चला कि सरगोधा, नूर खान, भोलारी, जैकोबाबाद, सुक्कुर और रहीम यार खान जैसे महत्वपूर्ण एयरबेसों पर भारी नुकसान हुआ था। इन हमलों ने रनवे और इमारतों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया, जिससे पाकिस्तान को अपनी हवाई शक्ति में एक बड़ा झटका लगा। इन समन्वित हमलों ने पाकिस्तान की रक्षा क्षमताओं को पंगु बनाने का काम किया और उसे यह अहसास कराया कि भारत किसी भी उकसावे का करारा जवाब देने में सक्षम है।
Pakistan begged Trump for a ceasefire after Indian Brahmos (Harmus) hit Noor Khan Airbase and Pak forces had no time to react.
– Admission of Pakistan’s defeat by Sp Assistant to Pak PM Rana Sanullahpic.twitter.com/vRnDxEwqCv
— Pakistan Untold (@pakistan_untold) July 3, 2025
1971 का इतिहास दोहराया गया: नूर खान पर दोबारा हमला
दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार नहीं था जब भारत ने नूर खान एयरबेस पर हमला किया था। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी भारतीय वायु सेना के 20 स्क्वाड्रन ने अपने हॉकर हंटर्स के साथ इस एयरबेस को निशाना बनाया था। यह तथ्य दर्शाता है कि नूर खान एयरबेस की सामरिक अहमियत दशकों से भारत के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य रही है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इस एयरबेस पर दोबारा हमला, हालांकि एक अलग संदर्भ में, भारत की रणनीतिक योजना और लक्ष्य निर्धारण में निरंतरता को दर्शाता है।
परमाणु युद्ध के कगार पर दुनिया
राणा सनाउल्ला का यह बयान कि परमाणु युद्ध का खतरा काफी अधिक था, एक भयावह वास्तविकता को उजागर करता है। भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियार संपन्न देश हैं, और उनके बीच कोई भी बड़ा सैन्य संघर्ष परमाणु प्रतिक्रिया के जोखिम को वहन करता है। 30-45 सेकंड का वह निर्णायक समय, जब पाकिस्तान को यह तय करना था कि क्या हमला परमाणु था, दुनिया के इतिहास में सबसे खतरनाक क्षणों में से एक हो सकता था। यदि पाकिस्तान ने उस समय परमाणु हमले की गलत व्याख्या की होती और पलटवार किया होता, तो इसके परिणाम विनाशकारी होते, जिससे एक क्षेत्रीय संघर्ष वैश्विक परमाणु युद्ध में बदल सकता था। यह घटना एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक है कि कैसे छोटे से छोटे गलत अनुमान भी बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बन सकते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव और भविष्य के निहितार्थ
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारत की दृढ़ता और क्षमता को प्रदर्शित किया। इसने पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया कि सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और भारत अपनी सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क को काफी हद तक कमजोर किया और उसे एक बड़ा सामरिक और मनोवैज्ञानिक झटका दिया।
भविष्य के लिए, यह घटना भारत-पाकिस्तान संबंधों में परमाणु जोखिम प्रबंधन के महत्व को रेखांकित करती है। दोनों देशों को एक-दूसरे के सैन्य कार्यों को समझने और गलत व्याख्या से बचने के लिए बेहतर संचार तंत्र और विश्वास बहाली के उपायों की आवश्यकता है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि क्षेत्रीय संघर्षों में परमाणु हथियार संपन्न देशों की भागीदारी कितनी खतरनाक हो सकती है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ऐसे जोखिमों को कम करने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
कुल मिलाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक ऐसा क्षण था जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव परमाणु टकराव के बिंदु तक पहुँच गया था। राणा सनाउल्ला का यह स्वीकारोक्ति हमें उस भयावहता की याद दिलाता है जो एक गलतफहमी के कारण उत्पन्न हो सकती थी, और यह भविष्य में ऐसे संघर्षों से बचने के लिए सतर्कता और कूटनीति के महत्व पर जोर देता है। यह इतिहास का वह अध्याय है जो हमें याद दिलाता है कि शांति और संवाद ही आगे बढ़ने का एकमात्र स्थायी मार्ग है।