हंगामेदार होगा शीतकालीन सत्र, सर्वदलीय बैठक में दिखे विपक्ष के तेवर

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : रविवार को चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आ रहे हैं। सोमवार से 17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र शुरू हो रहा है। इस चुनाव संग्राम में दलों की हार-जीत के भाव सिर चढ़कर बोलेंगे ही, साथ ही सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं ने जिस तरह के तेवर अपने-अपने मुद्दों को लेकर दिखाए हैं, उससे संकेत मिल गया है कि शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहेगा। हालांकि, सरकार की ओर से सभी विपक्षी दलों को आश्वस्त किया गया है कि सरकार हर मुद्दे पर नियम के तहत चर्चा के लिए तैयार है। इसलिए सदन को सुचारु ढंग से चलाने में सहयोग करें।

 

सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार

शनिवार को संसद के पुस्तकालय भवन में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इसमें 23 दलों के 30 नेताओं ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता लोकसभा में उपनेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। 22 दिसंबर तक प्रस्तावित इस सत्र में 15 बैठकें होनी हैं, जिसके लिए एजेंडे पर अन्य दलों के नेताओं के साथ विमर्श करते हुए उनके सुझाव लिए गए। संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि बैठक में विपक्षी दलों की ओर से कई सुझाव दिए गए, जो सरकार को स्वीकार हैं। शून्यकाल को लेकर भी सुझाव आया है, जिसका पालन लगातार किया जा रहा है। सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए है।

पिछले सत्र में भी दोनों सदनों में चर्चा के लिए सरकार ने अपनी सहमति दी थी। फिर से विपक्षी नेताओं से आग्रह किया गया है कि वे सदन को सुचारु ढंग से चलाने में सहयोग करें। यह 17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र है। हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पांच वर्ष में जो काम किए हैं, उन पर भी चर्चा करना चाहते हैं। इस पारंपरिक बैठक और पारंपरिक ही आश्वासन के इतर पूरे आसार हैं कि सदन काफी हंगामेदार होगा।

महुआ मोइत्रा के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस सामने आई

दरअसल, सत्र के पहले दिन ही तृणमूल कांग्रेस सदस्य महुआ मोइत्रा के विरुद्ध ‘पैसे लेकर प्रश्न पूछने’ के आरोपों पर आचार समिति की रिपोर्ट लोकसभा में पेश की जानी है। समिति ने उन्हें निष्कासित करने की सिफारिश की है, जो कि सदन द्वारा स्वीकार किए जाने पर अमल में लाई जा सकती है। इस मुद्दे पर मुखर होकर तृणमूल कांग्रेस सामने आ गई है। पार्टी की ओर से बैठक में शामिल हुए सुदीप बंद्योपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन ने कुछ बिंदु उठाए। उन्होंने कहा कि संसदीय समिति की रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत करने से पहले जनता में नहीं जानी चाहिए।

तीन अपराध कानूनों को लेकर तृणमूल ने रखी मांग

संसदीय समिति द्वारा महुआ के निष्कासन की सिफारिश संबंधी रिपोर्ट पहले ही मीडिया में जा चुकी है। सदन में पहले इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। उसके बाद ही कोई निर्णय हो। सर्वदलीय बैठक को समय की बर्बादी करार देते हुए कहा कि सरकार बिना पूर्व चर्चा के ही बीच में विधेयक ले आई थी। तृणमूल ने तीन अपराध कानूनों को भी इस सत्र में पारित नहीं कराए जाने की मांग की है।

बैठक में कांग्रेस और बसपा ने उठाई मांग

इसी तरह कांग्रेस की ओर से मांग की गई है कि सदन में बेरोजगारी, महंगाई, चीन द्वारा भारतीय सीमा पर अतिक्रमण, मणिपुर हिंसा और सीबीआइ-ईडी के दुरुपयोग पर चर्चा होनी चाहिए। वहीं, बसपा ने जाति आधारित जनगणना पर सरकार से चर्चा की मांग की है। उल्लेखनीय है कि रविवार को मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनाव परिणाम आ रहे हैं। इन राज्यों में खास तौर भाजपा और कांग्रेस की हार-जीत का असर भी दलों के तेवर पर दिखाई देगा। यही नहीं, कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर होता है तो सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि आइएनडीआइए में शामिल सभी विपक्षी दलों में ऊर्जा का अलग संचार सत्र के दौरान नजर आ सकता है।