Exclusive: शुरुआती दौर में मैंने फिल्मों में एक मिनट का भी रोल किया : मनोज बाजपेयी
इन दिनों भाषाई बंदिशों को तोड़ते हुए कई कलाकार अलग-अलग इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। साउथ में चुंनिदा फिल्में करने के बाद अभिनेता मनोज बाजपेयी ने उनसे दूरी बना ली। हाल ही में उनकी सौंवी फिल्म भैयाजी जी5 पर रिलीज हुई। फिलहाल वह वेब सीरीज फैमिलीमैन 3 की शूटिंग कर रहे हैं। उनकी फिल्म डिस्पैच रिलीज होने की कतार में हैं। मनोज ने साउथ सिनेमा से दूरी, दोस्ती, रील बनाने के चलन जैसे मुद्दों पर बात की :
– आपका नाम अभिनेता मनोज कुमार के नाम पर रखा गया था…
उनकी पुरानी फिल्में थिएटर में लगती थी, तो माता-पिता देखने के लिए साथ ले जाते थे। मैं उनका सबसे बड़ा मुरीद तब हुआ, जब उनके निर्देशन में बनी फिल्म उपकार, रोटी कपड़ा मकान, शोर और क्रांति देखी। उसके कारण मैंने मनोज जी के कई पहलू देखे। वह कमाल के एक्टर, लेखक, गीतकार, निर्देशक रहे हैं। मैं जब उसने मिला था, तो उन्हें बताया कि मेरा नाम आपके नाम पर रखा गया है। उन्होंने आशीर्वाद दिया था।
गोविंद निहलानी की फिल्म द्रोहकाल में आपने एक मिनट का रोल किया था…
जब मैं उनके पास पहुंचा, तब तक उनके पास सारे रोल बंट चुके थे। उन्होंने कहा मेरे पास कुछ देने के लिए है नहीं है, एक मिनट का रोल बचा है, जो मैं देना नहीं चाहता हूं, क्योंकि तुम बैंडिट क्वीन फिल्म करके आए हो। मैंने कहा मुझे दे दीजिए, क्योंकि मुझे काम की सख्त जरूरत है। उससे दो-तीन हजार रुपये जो भी मिलते, उससे मेरा किराया चला जाता, पेट में कुछ खाना चला जाता। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह और ओम (पुरी) भाई थे उनसे मिलना हो जाता। यह सब लालच भी मन में थे। फिर गोविंद की फिल्म संशोधन में मुझे बड़ा किरदार मिला था।
– भैयाजी मैं आपको बहुत सारा एक्शन करने का मौका मिला। करियर के शुरुआती दौर में एक्शन का मौका न मिलने का मलाल रहा?
किसी चीज का मलाल क्यों रखना। मैंने तो वही काम किया, जो मैं करना चाहता था। जो मन नहीं किया, वह नहीं किया। जहां तक बात है भैयाजी करने की, तो निर्देशक अपूर्व सिंह कार्की ऐसी फिल्म करना चाहते थे, जिसे देखकर वह बड़े हुए हैं। नैनीताल के हल्दवानी में डब तेलुगु फिल्में उन्होंने देखी थी। उस तरीके की फिल्म वह बनाना चाहते थे। उन्होंने मुझसे सपोर्ट मांगा। मैंने अपना जीजान लगा दिया, उसे बनाने में। उसका सपना पूरा हुआ, मुझे इस बात की खुशी है।
– आजकल पैन इंडिया फिल्में बन रहीं। आप इसे कैसे देखते हैं?
कुछ नहीं मीडिया में लिखने और प्रमोशन करने के लिए मेकर्स फिल्म को एक नाम दे देते हैं पैन इंडिया। अमिताभ बच्चन जब फिल्में किया करते थे, तो उन्हें देश-विदेश में लोग देखा करते थे। मिथुन चक्रवर्ती साहब, शत्रुघ्न सिन्हा, राज कपूर साहब को पूरे हिंदुस्तान में लोग पसंद करते थे। वह भी पैन इंडिया थे। यह सब बिना मतलब की बातें हैं। तेलुगु, तमिल सिनेमा को महामारी के बाद लगना शुरू हुआ कि जिस तरीके की फिल्में वह बना रहे हैं, उस तरह के सिनेमा का इंतजार दर्शक हर जगह कर रहे हैं। जब मार्केट बढ़ता है, तो लोग नए-नए तरीके ढूंढते हैं। शायद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री वह मर्म समझने में कहीं न कहीं चूक रही है।
– आपने भी दक्षिण भारतीय फिल्में की थी, फिर दूरी बना ली?
अल्लू अर्जुन के साथ दो फिल्में हैप्पी और वेदम की थी, दोनों को सराहा गया था। हैप्पी में मैंने कामेडी किरदार किया था, जो प्रसिद्ध हुआ था। वेदम में गंभीर रोल था। उससे लोग बहुत प्रभावित हुए थे। फिर पवन कल्याण के साथ फिल्म पुली किया था, वह उतनी चली नहीं थी, हालांकि वह बहुत बड़ी फिल्म थी। उसके निर्देशक एसजे सूर्या, आज बतौर एक्टर अच्छा नाम कमा रहे हैं। तमिल में मैंने दो फिल्में की थी। मेरा काम करने का और मन था, लेकिन मुझे इस बात की निराशा थी कि मुझे यह भाषा नहीं आती इसलिए मैं बंधा हुआ महसूस कर रहा था।
-इंडस्ट्री में कितने दोस्त बना पाए हैं? कभी धोखा मिला?
एक उम्र के बाद दोस्त बनना बहुत मुश्किल होता है। मेरे स्कूल, कालेज और थिएटर के दोस्त थे, वह आज भी हैं। यह अलग बात है कि उनसे रोज बात नहीं हो पाती है। नीरज पांडे के साथ निर्देशक और एक्टर का रिश्ता नहीं रहा। दोस्ती से भी आगे जा चुका है, जहां हमें एकदूसरे पर भरोसा है। केके मेनन, नवाजुद्दीन सिद्दीकी मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। बाकी ऐसी कोई दोस्ती मैंने अपनी जिंदगी में नहीं की है, जिससे मुझे धोखा मिले।
– रील का जमाना है, लेकिन आप अपने इंटरनेट मीडिया पेज पर केवल फिल्म का प्रमोशन या एकाध फोटो पोस्ट कर देते हैं…
मैं भीड़ का हिस्सा कभी नहीं रहा हूं। वह काम ही नहीं किया, जो सब कर रहे हैं। जो काम मुझे अच्छा लगता है, दिल को छूता है, वही करता हूं। बदलते समय के अनुसार चीजों को स्वीकार करना चाहिए। मैं स्वीकारता हूं कि यह चल रहा है, पर मैं इस पर अपना कोई जजमेंट इसलिए नहीं देता हूं, क्योंकि यह समय अलग है। मैं सिर्फ देख रहा हूं कि ताकि अपने भीतर के एक्टर को इस समय के साथ रख सकूं।
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