अब कुछ घंटों में बैंक से क्लीयर हो जाएगा चेक, 15 दिनों में जेनरेट होंगे सिबिल स्कोर, RBI ने बदले नियम

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः किसी भी चेक की क्लियरिंग, यानी निपटान होने में अब कुछ ही घंटे लगेंगे। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चेक क्लियरिंग (Cheque Clearing )में लगने वाले समय को कुछ घंटे करने और उससे जुड़े रिस्क कम करने के मकसद से कदम उठाने की घोषणा की है। अब बैंकों में कुछ घंटों में ही चेक क्लीयर हो जाएगा।
अभी दूसरे बैंकों में चेक क्लीयर होने में दो कार्यदिवस का समय लग जाता है। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अब चेक को स्कैन करके क्लीयरेंस के लिए भेजा जाएगा और कार्यदिवस के कुछ घंटों में चेक क्लीयर हो जाएगा। इस संबंध में आरबीआइ जल्द ही विस्तृत निर्देश जारी करेगा। चेक क्लीयरेंस के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है।
यूपीआइ से 5 लाख तक का कर सकेंगे टैक्स भुगतान
शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआइ यूपीआइ भुगतान का दायरा बढ़ाना चाहता है। अब यूपीआइ से पांच लाख तक के टैक्स का भुगतान किया जा सकेगा। अभी यूपीआइ से एक लाख रुपये तक के टैक्स का ही भुगतान कर सकते हैं।
इससे कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी। इस संबंध में आवश्यक निर्देश बाद में जारी किए जाएंगे। अभी अधिकतर सेवाओं के लिए यूपीआइ से भुगतान की सीमा एक लाख तक ही है।
15 दिनों में जेनरेट होंगे सिबिल स्कोर
अभी बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं को कर्ज लेने वालों की क्रेडिट सूचना की जानकारी क्रेडिट इन्फार्मेशन कंपनी (सीआइसी) को मासिक आधार पर देनी होती है। हालांकि अब आरबीआइ ने इस नियम में बदलाव करते हुए 15 दिनों पर क्रेडिट सूचना मुहैया करने का निर्देश दिया है।
इसका मतलब हुआ कि पहले किसी ग्राहक का सिबिल स्कोर प्रतिमाह जेनरेट होता था जो अब 15 दिन में होगा। इससे ग्राहक के बारे में सटीक जानकारी रहेगी और बैंकों को कर्ज देने में अधिक आसानी होगी।
आरबीआइ ने नहीं बदला रेपो रेट
खाद्य वस्तुओं की बढ़ती महंगाई को देखते हुए आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में 4-2 के बहुमत से रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया गया। इस फैसले से सभी प्रकार के लोन की ब्याज दरें पहले की तरह रहने की संभावना है। यह लगातार नौवीं बार है जब एमपीसी की बैठक में रेपो रेट के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई।
फेक ऐप की होगी पहचान
आरबीआई ने कहा कि अब भी डिजिटल रूप से कर्ज देने वाले कई फर्जी ऐप अपना संबंध आरबीआई से बताते हैं। इस प्रकार के ऐप की पहचान के लिए आरबीआई एक सार्वजनिक प्लेटफार्म तैयार कर रहा है जो आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। इस प्लेटफार्म पर जाकर यह पता लगाया जा सकेगा कि किन डिजिटल लें¨डग एप का आरबीआई से संबंध है और कौन एप इस बारे में झूठे वादे कर रहा है।
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