Bhairava Ashtami 2023: भैरव अष्टमी आज, जानें- शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, ऐसे करें शिव के रौद्र रूप की पूजा, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम!

नई दिल्ली, BNM News:  काल भैरव अष्टमी मंगलवार को है और इस दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है या भैरव मंदिर में जाकर भैरव की पूजा होती है। काल भैरव को भगवान शिव का अवतार बताया जाता है, जिन जातकों की कुंडली में राहु ग्रह बक्री चल रहा है या नकारात्मक फल दे रहा है तो इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए काल भैरव की आराधना करना चाहिए। भैरव की आराधना से साल भर के लिए लौकिक और पारलौकिक विघ्न टल जाने से साधक की आयु बढ़ेगी। साथ ही तांत्रिक प्रयोग भी नष्ट हो जाते हैं। काल भैरव अष्टमी इस बार पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र एवं धूम्रयोग में मंगलवार को भैरव मंदिरों में मनाई जाएगी। शास्त्रों की ऐसी मान्यता है कि मार्ग शीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन भैरव जी का जन्म हुआ था। भगवान शिव ने भैरव जी के रूप में अवतार धारण किया था। सागर के ज्योतिषाचार्य पं. शोभित शास्त्री ने बताया कि भगवान शिव के दो रूप हैं भैरवनाथ और विश्वनाथ। पहला रूप भैरवनाथ का पापी, धर्मद्रोही और अपराधियों को दंड देने वाला है। दूसरा रूप विश्वनाथ जगत की रक्षा के लिए माना गया है। भैरव के दिन रविवार तथा मंगलवार माने जाते हैं।

भैरव अष्टमी शुभ मुहूर्त (Bhairava Ashtami 2023 shubh muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार भैरव अष्टमी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जा रही है। भैरव अष्टमी की तिथि का प्रारंभ 4 दिसंबर यानी कल रात 9 बजकर 59 मिनट पर हो चुका है और इसका समापन 5 दिसंबर यानी आज दिन में 12 बजकर 37 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, कालाष्टमी 5 दिसंबर यानी आज ही मनाई जा रही है।

कालाष्टमी पूजन विधि (Bhairava Ashtami pujan vidhi)

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें। उसके बाद साफ कपड़े धारण करें। उसके बाद भैरव देव की पूजा करें। इस दिन की पूजा में मुख्य रूप से भैरव देव को श्मशान घाट से लाई गई राख चढ़ाएं। काले कुत्ते को भैरव देव की सवारी माना जाता है, ऐसे में भैरव अष्टमी के दिन भैरव देव के साथ ही काले कुत्ते की भी पूजा करें। पूजा के बाद काल भैरव की कथा सुने। इस दिन खासतौर से काल भैरव के मंत्र “ऊं काल भैरवाय नमः” का जाप करना भी फलदायी माना जाता है। इस दिन गरीबों को दान करने से पुण्य मिलता है। कालाष्टमी के दिन मंदिर में जाकर कालभैरव के समक्ष तेल का एक दीपक ज़रूर जलाएं।

भैरव अष्टमी के दिन क्या करें क्या ना करें (Bhairava Ashtami precautions)

1. भैरव अष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा करने से व्यक्ति को भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. भैरव अष्टमी के दिन भैरव मंदिर में सिंदूर, सरसों के तेल, नारियल, चना इत्यादि का दान करना चाहिए।
3. भैरव अष्टमी के दिन भैरव देवता की तस्वीर या प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और श्री काल भैरव अष्टक का पाठ करें।
4. भैरव अष्टमी की सवारी काले कुत्ते को कालाष्टमी के दिन मीठी रोटियां खिलाएं।
5. भैरव अष्टमी के दिन भूल से भी कुत्तों पर अत्याचार ना करें।

भैरव अष्टमी पौराणिक कथा (Bhairava Ashtami katha)

मान्यता है कि शिव शंकर के क्रोध से ही भैरव देव का जन्म हुआ था। इसके पीछे प्रचिलित एक पौराणिक कथा के अनुसार, ‘एक समय की बात है जब ब्रह्मा, विष्णु और महेश, तीनों देवों में इस बात को लेकर बहस छिड़ गयी कि उनमें से सबसे पूज्य कौन है? उनके इस विवाद का कोई निष्कर्ष निकले, ऐसा सोचकर इस बहस के निवारण के लिए उन्होंने स्वर्ग लोक के देवताओं को बुला लिया और उनसे ही इस बात का फ़ैसला करने को कहा। इसी बीच भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा में कहासुनी हो गयी। इसी बहस में शिव जी को इस कदर गुस्सा आ गया कि उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया। माना जाता है कि उसी रौद्र रूप से ही भैरव देव का जन्म हुआ था।

उज्जैन में रात्रि 12 बजे मनाया जाएगा भैरव जन्मोत्सव

आज मध्य रात्रि 12 बजे भगवान भैरव का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। पकवानों का महाभोग लगाकर आरती की जाएगी। कालभैरव, विक्रांत भैरव, आताल पाताल भैरव व अन्य मंदिरों में उत्सव मनाया जा रहा है। कालभैरव मंदिर में सुबह भैरव सहस्त्र नामावली से अभिषेक व पूजन के पश्चात भगवान का शृंगार किया गया। रात को छप्पन पकवानों का भोग लगाकर महाआरती की जाएगी। रात्रि में महाप्रसादी का आयोजन होगा। महापर्व पर मंदिर में आकर्षक विद्युत व पुष्प सज्जा की गई है। उज्जैन के विक्रांत भैरव मंदिर में सुबह आह्वान आरती हुई इसके बाद रुद्राभिषेक एवं सुंदरकांड होगा। दोपहर में भगवान का चोला शृंगार किया जाएगा। रात्रि 11 बजे हवन तथा रात 12 बजे महाआरती की जाएगी।

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