अखिलेश- तेजस्वी के यादव पॉलिटिक्स में सेंध लगाएंगे ‘मोदी के मोहन’, जानें- यूपी से क्या है एमपी के सीएम का कनेक्शन

नई दिल्ली, BNM News: राज्यों में भाजपा की बंपर जीत के पहले तक कई विश्लेषक बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले यूपी-बिहार में मंडल सियासत की वापसी की भविष्यवाणी करने लगे थे लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नतीजों ने उन्हें गलत साबित कर दिया। अब भाजपा ने मध्य प्रदेश में यूपी कनेक्शन वाले मोहन यादव (Mohan Yadav’s UP Connection) को मुख्यमंत्री बनाकर हिन्दी पट्टी के राज्यों की ओबीसी पॉलिटिक्स में जबरदस्त दांव चल दिया है। जानकारों का मानना है कि यह दांव आने वाले वक्त में भगवा दल का मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। भाजपा के हिन्दुत्व के मुकाबले जातीय समीकरणों का चक्रव्यूह तैयार करने के विपक्षी मंसूबों पर पानी फिर सकता है।

अब भाजपा का यह नया पैंतरा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (Rastriya Janta Dal) के वोट बैंक पर कितना असर करेगा? यह काबिलेगौर होगा। लेकिन इतना तो है कि उन्हें चिंता में जरूर डालेगा। भाजपा लोकसभा के 2024 में होने वाले चुनावों में इस फैसले के जरिये दोनों राज्यों में जाति को सर्वोपरि रख परिवारवाद की राजनीति करने वाले दलों के खिलाफ इस हथियार को इस्तेमाल करे तो हैरत नहीं। इस कदम के राजनीतिक निष्कर्षों का विश्लेषण करने वालों का कहना है कि भाजपा के फैसले का असर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार में भी महसूस किया जाएगा। बड़ी संख्या में यादव आबादी (Yadav Population in UP) वाले दोनों राज्यों में 120 लोकसभा सीटें हैं। मोहन यादव की पत्नी (Mohan Yadav’s wife) सीमा यादव, जिनकी पृष्ठभूमि भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से है, उत्तर प्रदेश से हैं। मोहन यादव अगस्त 2022 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में अपने 96 वर्षीय बीमार ससुर ब्रह्मदीन यादव से मिलने के लिए अपनी पत्नी के साथ राज्य के दौरे पर आए थे।

भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि यह सच है कि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव का (Mulayam Family)परिवार और बिहार में लालू यादव का परिवार (Lalu Family) अब तक के दो सबसे बड़े राजनीतिक परिवार हैं, जिनके प्रति यादव काफी हद तक वफादार रहे हैं। उत्तर प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि मध्य प्रदेश में एक यादव चेहरे को आगे बढ़ाकर, यह स्पष्ट है कि भाजपा अब पुरानी धारणाओं को खत्म करने का इरादा दिखा रही है। योगी 2.0 सरकार में एकमात्र यादव मंत्री, उत्तर प्रदेश के मंत्री गिरीश यादव ने कहा कि यह एक महान निर्णय है और हालांकि भाजपा जाति की राजनीति में विश्वास नहीं करती है, लेकिन यह कदम अब उस पार्टी को हटा देगा जो गर्व से यादव वफादारी का दावा करती है। भाजपा के पास छह यादव विधायक हैं – यूपी से दो-दो विधायक, एमएलसी और राज्यसभा सदस्य हैं।

यादवों को सत्ता में हिस्सेदारी देकर साथ लाने की कवायद

भाजपा ने MY यानी मोहन यादव को मध्य प्रदेश की कमान सौंप इस पर मुहर लगा दी है कि वह यादवों को सत्ता में हिस्सेदारी देकर इस वोट बैंक को अपने साथ लाने की कवायद कर रही है। यह तो बड़े पद की बात है, लेकिन भाजपा का यह प्लान कई दिनों से चल रहा था। उत्तर प्रदेश में यादव समाज 80 के दशक से ही बहुत जागरूक और सत्ता में हिस्सेदारी में रहा है। यही कारण है कि अखिलेश के सत्ता से बाहर होने के बाद से यादव समाज फिर सत्ता में हिस्सेदारी तलाशने लगा। भाजपा ने इसे अवसर बनाया। 2017 से ही यादवों में पकड़ मजबूत करने की कोशिश शुरू कर दी। UP में इस समय खेल मंत्री गिरीश चंद्र यादव हों या राज्य सभा सांसद हरनाथ सिंह यादव, ये यादव समाज में भाजपा के बड़े चेहरे हैं। आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में भाजपा दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को मैदान में उतारा। उन्होंने अखिलेश परिवार के सबसे खास धर्मेंद्र यादव को चुनाव में हराया। अब मोहन यादव के साथ-साथ यूपी में भाजपा इन्हीं बड़े चेहरों के साथ 24 के चुनाव में उतरेगी ओर यादव वोट बैंक में और सेंध लगाने की कोशिश करेगी। केंद्र में जीत की हैट्रिक के लिए, भाजपा फिर से पार्टी शासित उत्तर प्रदेश पर बहुत अधिक भरोसा कर रही है, जहां यादव सबसे प्रमुख ओबीसी समूह हैं। उत्तर प्रदेश में लगभग 9 प्रतिशत यादवों का इटावा, बदायूं, मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा, मैनपुरी, फैजाबाद, संत कबीर नगर, बलिया, जौनपुर और आज़मगढ़ सहित कई लोकसभा क्षेत्रों में लगभग निर्णायक प्रभाव है। जून 2022 में, सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा सीट खाली करने के बाद भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने लोकसभा उपचुनाव में आजमगढ़ जीता।

मोहन यादव का उत्तर प्रदेश कनेक्शन

मोहन यादव की शादी 1994 में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के विवेकानंद नगर मोहल्ले में रहने वाले ब्रह्मानंद यादव की बेटी सीमा यादव से हुई थी। उनके ससुर बह्मानंद उस समय रीवां मध्यप्रदेश में एक इंटर कालेज में प्रधानाचार्य थे। उस समय मोहन विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री थे। दोनों परिवार उसी समय संपर्क में आए। ब्रह्मानंद 1997 में रिटायर होने पर विद्याभारती और विश्व हिन्दू परिषद में पूर्णकालिक रहे।

1997 में रिटायर होने पर शहर के विवेकानंद नगर मोहल्ले में वर्ष 2002 से मकान बनवाकर रह रहे हैं। साले विवेकानंद यादव सरस्वती विद्यामंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय विवेकनगर में खेल शिक्षक हैं। उन्होंने बताया कि बहन सीमा यादव की शादी उज्जैन में मोहन यादव के साथ हुई थी। बहन सीमा ने रीवां मध्य प्रदेश से एमए भूगोल की पढ़ाई की है। पिता ब्रह्मानंद यादव ने अपने विद्यार्थी जीवन में वर्ष 1947 में बनारस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम वर्ष प्रशिक्षण वर्ग किया था। पूरा परिवार तभी से संघ से जुड़ा हुआ है। प्रधानाचार्य पद से रिटायर होने के बाद वह विद्याभारती मध्यप्रदेश में संगठन मंत्री के रुप में काम किया। वहीं से दिल्ली में विश्व हिन्दु परिषद में पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में विहिप प्रमुख अशोक सिंहल के साथ रहे।

ब्रह्मानंद के तीन बेटे और एक बेटी है। ब्रह्मानंद की उम्र वर्तमान में 97 वर्ष के करीब है,जो बीमार होने के कारण विस्तर पर हैं। शास्त्री नगर मोहल्ले में ही अपने आचार्य बेटे विवेकानंद के साथ रहते हैं। उनका एक और बेटा रामानंद रीवां में विद्याभारती से जुड़ा हैं। छोटा बेटा सेना हैं। वर्तमान में जबलपुर में रहता है। मुख्यमंत्री के साले विवेकानंद यादव ने बताया कि पिताजी के मध्यप्रदेश में लंबे समय तक नौकरी और संघ में काम करने के कारण परिवार की पृष्टभूमि वहां से जुड़ी है। मुख्यमंत्री का परिवार भी संघ की पृष्टिभूमि से जुड़ा था। दोनों परिवारों का सम्पर्क होने के बाद बहन सीमा यादव का रिश्ता उनसे हुआ। बहन ने रीवां के एक कालेज से एमए भूगोल से किया है।

ससुराल में एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मना जश्न

मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री घोषित किए जाने पर उनके ससुराल में जश्न का माहौल है। ससुराली जनों के साथ मोहल्ले के लोग भी जश्न में शामिल हुए। ससुर ब्रह्मनंद और साले विवेकानंद को बधाई देने का सिलसिला जारी है। परिवार के सदस्यों को फोन पर प्रत्यक्ष मिलकर लोग बधाईयां दे रहे हैं। संघ के नेता पवनेश ने बताया कि करीब डेढ वर्ष पहले मोहन यादव आए थे। भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. आरएवर्मा से ससुर ब्रह्मानंद के इलाज के बारे में बातचीत कर अयोध्या गए थे। उस समय यहां पर भाजपा नेताओं ने उनका स्वागत किया था।