DU News: सामाजिक सुधारों और सामाजिक न्याय के साथ स्वतंत्रता चाहते थे डा. अंबेडकर: डा. एके भागी

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। DU News: नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट, दिल्ली विश्वविद्यालय के अंबेडकर स्टडी सर्किल के तत्वावधान में बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में किरोड़ी मल कालेज के सेमिनार हाल में डा. अंबेडकर के दर्शन पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें एनडीटीएफ के अध्यक्ष डा. एके भागी, विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रो. एचएम संजीव कुमार, अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. परमजीत, लॉ फैकेल्टी के प्रो पुष्प कुमार लक्ष्मण, हिन्दी विभाग के प्रो. श्योराज सिंह बेचैन, लक्ष्मीबाई महाविद्यालय की सहायक आचार्या डॉ. अदिति नारायणी पासवान और भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय के प्रो. विष्णु मोहन दास बतौर विशेषज्ञ शामिल रहे।

इस मौके पर एनडीटीएफ के अध्यक्ष एके भागी ने भीम राव अंबेडकर को महान समाज सुधाकर बताया। उन्होंने परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के दो समूह थे। बाबा साहब के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ रहे स्वतंत्रता सेनानियों का मत था कि देश को राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता भी प्राप्त होनी चाहिए। तभी सही अर्थों में भारत को स्वतंत्रता हासिल हो सकेगा। सामाजिक सुधारों और सामाजिक न्याय की स्थापना के साथ प्राप्त स्वतंत्रता ही मानवता और देश के हित में होगा, जबकि दूसरे समूह के नेतृत्वकर्ताओं का मत था कि भारत में सत्ता का परिवर्तन पहली प्राथमिकता होनी चाहिए और सत्ता का हस्तांतरण ब्रिटिश हुकुमत से भारतीयों के हाथ में होनी चाहिए। इनके चिंतन में सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक न्याय द्वितीयक विषय था। उन्होंने बताया कि बाबा साहेब अंबेडकर सुदृढ़ सामाजिक और सशक्त आर्थिक व्यवस्था के आधार पर राजनीतिक स्वतंत्रता को प्राप्त करना चाहते थे ताकि सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय, अवसर की स्वतंत्रता-समानता और राजनीतिक स्वतंत्रता देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था को शाश्वत और प्रगतिशील बनाने में कामयाब हो सके।

 

भारत के हर क्षेत्र में दिखता है बाबा साहब की आर्थिक नीतियों का प्रभाव

बतौर मुख्य वक्ता अर्थशास्त्री प्रो. परमजीत ने बताया कि भारत की अर्थिक नीतियों पर बाबा साहेब अंबेडकर की सोच और दर्शन का प्रभाव हरेक क्षेत्रों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। चाहे भारत की लोक वित्त की नीति हो या मुद्रा के विनिमय दर की बात हो या देश में लोक कल्याण के प्रावधान हों, इन सभी क्षेत्रों पर बाबा साहेब के आर्थिक दर्शन का प्रभाव पाया जाता है।

परिचर्चा का संयोजन लुके कुमारी और संचालन अदिति नारायण पासवान ने किया। परिचर्चा में प्रो. वी एस नेगी, सुनील कुमार, डा. बिजेन्द्र कुमार, डा. चमन सिंह, डा. धनपाल सिंह, डा. विवेक चौधरी, डा. मनीष कुमार अनेक शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद रहे।

 

Tag- Delhi University, DU News: Dr. Bhim  Rao Ambedkar,  Dr. AK Bhagi, NDTF program, Mohit pATIDAR

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