DU News: प्रोबेशन अवधि पर कालेज के आदेश का शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध, जानें क्या कहा

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : DU News: दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज प्रशासन की ओर से प्रोबेशन अवधि में चल रहे शिक्षकों को स्थायी होने के लिए डिजिटल तकनीक व शिक्षा शास्त्र में प्रशिक्षण लेकर इसका प्रमाणपत्र देने का आदेश जारी किया गया है। डीयू के शिक्षक संगठन इसके विरोध में आ गए हैं। दौलत राम कॉलेज के फरमान के खिलाफ एनडीटीएफ ने मोर्चा खोलते हुए इसकी कड़ी निंदा की है। पिछले दिनों कार्रवाई करते हुए कॉलेज पहुंचकर विरोध दर्ज कराया।

एनडीटीएफ ने कॉलेज को लेकर चेयरमैन को ज्ञापन सौंपा

प्राचार्य के शिक्षक विरोधी फरमान को वापस लेने के लिए एवं नव नियुक्त शिक्षकों को समय पर स्थायी होने का पत्र दिलाने के लिए ईसी सदस्य सुनील शर्मा के नेतृत्व में एनडीटीएफ के प्रतिनिधिमंडल ने दौलतराम कॉलेज की अन्य समस्याओं को लेकर चेयरमैन को ज्ञापन सौंपा और यूनिवर्सिटी प्रशासन अधिकारियों से मिलकर अविलंब हस्तक्षेप की मांग की है।

नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने दौलतराम कॉलेज की प्रिंसिपल के उस पत्र की कड़ी निन्दा की है जिसमें सभी नवनियुक्त शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम को अनिवार्य कर स्थायी होने के लिए इस आशय के प्रमाण पत्र प्रिंसिपल कार्यालय में जमा कराने के लिए कहा गया है। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की ओर से कॉलेज चेयरमैन को संबोधित पत्र में कहा गया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के अधिनियम और नियमावली में स्थायी होने से रोकने के लिए कोई पूर्व निर्धारित प्रावधान या शर्तें नहीं हैं।

कालेज के आदेश को डीयू के अधिनियमों का उल्लंघन बताया

इसके अलावा इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस (इंटेक) और एकेडमिक फार एक्शन और डेवलपमेंट दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (एएडीटीए) ने भी कॉलेज के आदेश को डीयू के अधिनियमों का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कुलपति को पत्र लिखकर इसे वापस लेने और नियमानुसार ही शिक्षकों को स्थायी करने का अनुरोध किया है।

प्रोबेशन की अवधि 12 माह से ज्यादा नहीं होनी चाहिए

इंटेक के चेयरमैन प्रो. पंकज कुमार गर्ग ने कहा, विश्वविद्यालय अध्यादेश-12 के अनुसार शिक्षक एक वर्ष की अवधि के लिए प्रोबेशन पर रहेगा, जिसे 12 माह से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। अगर 12 माह से ज्यादा अवधि बढ़ानी है तो उसी अध्यादेश के अनुसार शिक्षकों को उनकी प्रोबेशन अवधि की समाप्ति से एक महीने पहले इसके बारे में सूचित किया जाना चाहिए। शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सीधे जोड़ने और स्थायी नियुक्ति की पुष्टि करना विश्वविद्यालय अध्यादेश का स्पष्ट उल्लंघन है। कई शिक्षक जो नवनियुक्त हैं और पीएचडीधारक हैं, उन्हें 5 वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया जाता है, जो यूजीसी विनियमन-2018 का भी उल्लंघन है।

स्टाफ काउंसिल के गठन में नियमों का उल्लंघन

कुलपति से अनुरोध किया है कि डीयू के घटक कॉलेज नियमानुसार कार्य करें। प्रो. गर्ग ने कहा, नियमों के उल्लंघन का मामला आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज का भी है। यहां स्टाफ काउंसिल के गठन में दिल्ली विश्वविद्यालय अध्यादेश संख्या-18 का उल्लंघन किया गया है, जो विश्वविद्यालय अध्यादेश/संविधि के अनुसार एक वैधानिक नियम है। विश्वविद्यालय अध्यादेश के अनुसार स्टाफ काउंसिल सचिव का चुनाव किया जाना चाहिए और वह एक वर्ष की अवधि के लिए पद पर रहेगा और दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुना जा सकता है, लेकिन कोई भी व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल से अधिक सचिव का पद नहीं संभालेगा।

 

आरोप लगाया कि एएनडीसी में निर्वाचित कर्मचारी परिषद सचिव का दो साल का कार्यकाल चार जून को पूरा होने के बाद भी प्राचार्य ने उसी स्टाफ काउंसिल सचिव के तहत स्टाफ काउंसिल की बैठक निर्धारित की और एजेंडे पर चर्चा की, जबकि एएनडीसी के कुछ शिक्षकों ने पहले स्टाफ काउंसिल का चुनाव कराने की मांग की थी। ऐसी बैठक को शून्य घोषित किया जाना चाहिए। काउंसिल के चुनाव कराए जाने चाहिए।

 

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