कैथल में कुदरत का दोहरा रूप: रात के अंधड़-बारिश ने मचाई भीषण तबाही, पेड़-खंभे उखड़े, घर व टावर गिरे

पानीपत में रविवार रात को तेज बारिश के बीच जीटी रोड पर गुजरते वाहन।

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल/पूंडरी/कलायत: Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले में बीती रात मौसम का एक रौद्र और साथ ही राहत भरा रूप देखने को मिला। कई दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी और उमस के बाद एकाएक बदले मौसम ने जहां अंधड़ और मूसलाधार बरसात के रूप में जमकर तबाही मचाई, वहीं तापमान में गिरावट लाकर लोगों को झुलसा देने वाली गर्मी से कुछ हद तक राहत भी प्रदान की। इस प्राकृतिक प्रकोप के कारण जिले के विभिन्न हिस्सों में भारी नुकसान हुआ, सड़कें अवरुद्ध हो गईं, बिजली व्यवस्था चरमरा गई और कई स्थानों पर मकान व मोबाइल टावर भी क्षतिग्रस्त हो गए।

अंधड़-बारिश का विनाशकारी नृत्य

 

देर रात, जब अधिकांश लोग दिनभर की गर्मी से त्रस्त होकर नींद की आगोश में थे, आसमान में काले घने बादलों ने डेरा जमा लिया। तेज हवाओं ने पहले तो धूल भरी आंधी का रूप लिया, जिसे स्थानीय भाषा में ‘अंधड़’ कहा जाता है, और फिर कुछ ही पलों में यह विकराल रूप धारण कर गया। हवाओं का वेग इतना प्रचंड था कि मजबूत पेड़ भी ताश के पत्तों की तरह हिलने लगे और देखते ही देखते कई पेड़ जड़ों से उखड़ गए या उनकी मोटी-मोटी शाखाएं टूटकर जमीन पर आ गिरीं। इसके तुरंत बाद शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने स्थिति को और भयावह बना दिया।

थम गए वाहनों के पहिए

 

अंधड़ और बरसात का सबसे पहला और व्यापक असर जिले की सड़कों पर देखने को मिला। कैथल शहर समेत पूंडरी, ढांड, कलायत और गुहला चीका क्षेत्र में पेड़ सड़कों पर गिर पड़े। इससे न केवल गांवों को आपस में जोड़ने वाले संपर्क मार्ग अवरुद्ध हो गए, बल्कि कई मुख्य सड़कों पर भी यातायात पूरी तरह ठप हो गया। जो वाहन चालक उस समय अपने गंतव्य की ओर जा रहे थे, वे जहां-तहां फंस गए। सड़कों पर गिरे पेड़ों के कारण उन्हें आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं मिल सका। कई स्थानों पर स्थिति इतनी विकट थी कि लोगों को रात के अंधेरे और बारिश के बीच खुद ही पहल करनी पड़ी। उन्होंने हिम्मत दिखाते हुए गिरे हुए पेड़ों की शाखाओं को हाथों से या उपलब्ध औजारों से हटाकर किसी तरह अपने वाहनों के निकलने लायक जगह बनाई और फिर अपने-अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए। इस प्रक्रिया में उन्हें घंटों का समय लगा और भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। सुबह होने पर भी कई ग्रामीण सड़कों पर पेड़ पड़े होने से यातायात सुचारू नहीं हो पाया था, जिससे दैनिक कामकाज और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका है।

बिजली के खंभे जमींदोज, अंधेरे में डूबे गांव

 

इस प्राकृतिक आपदा का दूसरा बड़ा शिकार बिजली का बुनियादी ढांचा बना। विशेषकर पूंडरी और ढांड क्षेत्र में स्थिति अत्यंत गंभीर रही, जहां खेतों में बिजली की आपूर्ति करने वाले दर्जनों की संख्या में बिजली के खंभे या तो टूटकर गिर गए या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। हालांकि, गनीमत यह रही कि ये खंभे मुख्य रूप से कृषि फीडरों से जुड़े थे, जिससे गांवों में घरेलू बिजली सप्लाई करने वाली लाइनों पर सीधा और व्यापक प्रभाव तुरंत नहीं पड़ा। लेकिन, एहतियात के तौर पर और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए बिजली निगम को रात के समय प्रभावित क्षेत्रों में बिजली सप्लाई बंद करनी पड़ी। इस कारण कई गांव देर रात तक अंधेरे में डूबे रहे। बिजली न होने से लोगों को उमस भरी गर्मी और मच्छरों के प्रकोप का सामना करना पड़ा। बिजली निगम के कर्मचारियों ने रात में ही युद्धस्तर पर मरम्मत का कार्य शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 2:30 बजे के आसपास गांवों में बिजली की आपूर्ति बहाल की जा सकी। हालांकि, कृषि क्षेत्र में बिजली आपूर्ति को सामान्य करने में अभी और समय लगने की संभावना है, जिससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं।

पक्का मकान गिरा, मोबाइल टावर भी हुआ धराशायी

 

अंधड़ और बारिश के साथ आई आसमानी बिजली ने भी कहर बरपाया। पूंडरी क्षेत्र के गांव साकरा में आसमानी बिजली गिरने के कारण एक पक्का मकान ढह गया। इस घटना में मकान को काफी नुकसान पहुंचा और घर में रखा सामान भी मलबे में दब गया। सौभाग्य से, घटना के समय मकान में मौजूद लोग सुरक्षित बच गए या उन्हें मामूली चोटें आईं, लेकिन उनका आशियाना उजड़ गया। प्रशासन से पीड़ित परिवार को उचित मुआवजे की उम्मीद है।

वहीं, पूंडरी शहर के अनाज मंडी क्षेत्र में एक और बड़ी घटना घटी। यहां एक मकान के ठीक सामने लगा बीएसएनएल का मोबाइल टावर तेज अंधड़ का सामना नहीं कर सका और गिर गया। टावर के गिरने से आसपास के क्षेत्र में दहशत फैल गई, हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। लेकिन, मोबाइल टावर गिरने से बीएसएनएल की मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गईं, जिससे लोगों का संचार संपर्क टूट गया। इस टावर की मरम्मत और सेवाओं को बहाल करने में कई दिन लग सकते हैं।

कलायत और गुहला क्षेत्र भी हुए प्रभावित

 

कैथल जिले के कलायत और गुहला चीका क्षेत्र भी इस आसमानी आफत से अछूते नहीं रहे। इन क्षेत्रों में भी तेज बरसात और अंधड़ के कारण काफी नुकसान होने की खबरें हैं। यहां भी सड़कों पर पेड़ गिरने से यातायात बाधित हुआ और वाहन चालकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई निचले इलाकों में पानी भरने की भी सूचना है। कलायत और गुहला में भी बिजली व्यवस्था प्रभावित हुई, जिसे बिजली निगम के कर्मचारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद देर रात को बहाल किया। इन क्षेत्रों में हुए नुकसान का विस्तृत आकलन अभी किया जा रहा है।

तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट

 

इस अंधड़ और बरसात ने जहां एक ओर भारी तबाही मचाई, वहीं दूसरी ओर जिले के लोगों के लिए एक बड़ी राहत भी लेकर आई। पिछले कई दिनों से कैथल जिला भीषण गर्मी और लू की चपेट में था। तापमान लगातार 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ था, जिससे आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा था। दिन में लू के थपेड़ों और रात में उमस भरी गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था। लेकिन, बीती रात हुई बरसात और अंधड़ के बाद जिले के तापमान में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार, तापमान में लगभग चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई, जिससे यह 42 डिग्री सेल्सियस से घटकर 38 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर आ गया। यद्यपि 38 डिग्री सेल्सियस भी काफी गर्म होता है, लेकिन 42 डिग्री की झुलसा देने वाली गर्मी की तुलना में यह काफी राहत भरा है। इस बदलाव से लोगों ने चैन की सांस ली और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मौसम थोड़ा और सुहाना होगा।

प्रशासन और नागरिक: चुनौती और सहयोग

 

देर रात आई इस आपदा के बाद जिला प्रशासन के सामने राहत और बचाव कार्यों को तेजी से संचालित करने की चुनौती है। बिजली निगम के कर्मचारी टूटे खंभों और तारों को दुरुस्त करने में जुटे हैं, ताकि बिजली आपूर्ति को पूरी तरह सामान्य किया जा सके। लोक निर्माण विभाग और नगर पालिकाओं के कर्मचारी सड़कों से गिरे पेड़ों को हटाने और यातायात को सुचारू करने के काम में लगे हैं। राजस्व विभाग की टीमें नुकसान का आकलन करने के लिए प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रही हैं, ताकि पीड़ितों को नियमानुसार मुआवजा दिलाया जा सके।

इस आपदा ने एक बार फिर नागरिकों के बीच आपसी सहयोग और सामुदायिक भावना की मिसाल भी पेश की। कई स्थानों पर लोगों ने प्रशासनिक मदद का इंतजार किए बिना स्वयं ही सड़कों से अवरोध हटाने और एक-दूसरे की मदद करने का कार्य किया।

कुल मिलाकर कैथल जिले में बीती रात प्रकृति का दोहरा रूप देखने को मिला। एक तरफ अंधड़ और बरसात ने विनाश का दृश्य उपस्थित किया, तो दूसरी तरफ तापमान में गिरावट लाकर भीषण गर्मी से त्रस्त लोगों को राहत भी पहुंचाई। यह घटना जलवायु परिवर्तन के दौर में मौसम की अप्रत्याशितता और चरम घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति की ओर भी संकेत करती है, जिसके लिए बेहतर तैयारियों और मजबूत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। आने वाले दिन जिले में पुनर्निर्माण और सामान्य जीवन को पटरी पर लाने के प्रयासों के नाम रहेंगे।

कैथल जिले में रात को आए अंधड़ और बरसात के कारण काफी नुकसान हुआ। सड़कों पर पेड़ गिर गए जिससे गांवों को आपस में जोड़ने वाले रास्ते अवरुद्ध हो गए। वहीं पूंडरी और ढांड क्षेत्र में दर्जनों की संख्या में बिजली के खंबे टूट गए, जिससे देर रात बिजली प्रभावित रही।

देर रात को आई बिजली

 

हालांकि ये खंभे खेतों में सप्लाई होने वाली बिजली के थे, जिससे गांवों में बिजली सप्लाई करने वाली लाइनों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा, बिजली निगम को रात के समय बिजली सप्लाई बंद करनी पड़ी। रात को करीब 2:30 बजे गांवों में बिजली आई। पूंडरी क्षेत्र के गांव साकरा में आसमानी बिजली गिरने के कारण एक मकान गिर गया, जिसमें काफी नुकसान हुआ।

वही पूंडरी शहर में अनाज मंडी क्षेत्र में एक मकान के सामने मोबाइल टावर गिर गया। इससे शहर में बीएसएनएल की सेवाएं बाधित हो गई। कलायत और गुहला क्षेत्र में भी बरसात और अंधड़ के कारण काफी नुकसान हुआ। सड़कों पर पेड़ गिरने के कारण वाहन चालकों को निकलने का रास्ता नहीं मिल सका। सड़कों से खुद पेड़ हटाने के बाद सफर कर रहे लोग अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए। कलायत और गुहला में भी देर रात को बिजली सप्लाई दी गई।

चार डिग्री सेल्सियस कम हुआ तापमान

 

अंधड़ और बरसात के बाद जिले के तापमान में चार डिग्री सेल्सियस तक कमी गई। पहले तापमान जहां 42 डिग्री सेल्सियस के करीब था, बरसात के बाद वह घटकर 38 डिग्री सेल्सियस हो गया। इससे जिले के लोगों को झुलसा देने वाली गर्मी से राहत मिली।

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