Gurgaon Loksabha Seat : राजबब्बर के आने गुड़गांव सीट पर फंस गए राव इंद्रजीत, धर्मबीर के बाद अरविंद शर्मा के प्रचार से भी किया किनारा
नरेन्द्र सहारण, गुरुग्राम। Gurgaon Loksabha Seat : 25 मई को हरियाणा में मतदान होना है। चुनावी प्रचार खत्म होने में अब सिर्फ 3 दिन बचे हैं। गुड़गांव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा उम्मीदवार और अहीरवाल के कद्दावर नेता राव इंद्रजीत सिंह पहली बार सीधे चुनावी मुकाबले में फंसते हुए नजर आ रहे हैं। इससे पहले दो चुनाव में आसान जीत दर्ज करने वाले राव इंद्रजीत के सामने कांग्रेस ने फिल्म स्टार और नेता राज बब्बर को उतारा है।
अपने ही घर में घिरते हुए दिखाई दे रहे राव इंद्रजीत
राज बब्बर के चुनावी मैदान में आने और खुद की पार्टी के भीतर विरोधी गुट के नेताओं द्वारा प्रचार से पूरी तरह किनारा करने के कारण राव इंद्रजीत सिंह अपने ही घर में घिरते हुए दिखाई दे रहे हैं। यही कारण है कि स्टार प्रचारक होने के बावजूद वे दूसरी किसी सीट पर प्रचार तक नहीं करने जा पा रहे हैं। यही कारण है कि वो मतदाताओं से भावुक अपील करते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि संभवत: यह मेरा आखिरी चुनाव हो सकता है, इसलिए मेरे पक्ष में मतदान करें।
कांग्रेस-बीजेपी दोनों के सामने भीतरघात का खतरा
गुड़गांव सीट पर सबसे ज्यादा भीतरघात का खतरा बीजेपी में ही बना हुआ हैं। विशेषकर गुरुग्राम, बादशाहपुर, रेवाड़ी सीट पर उन्हें भीतरघात का खतरा सता रहा है। गुरुग्राम और बादशाहपुर में राव नरबीर तो रेवाड़ी में रणधीर सिंह कापड़ीवास उनके सामने चुनौती है। राव नरबीर भले ही राव इंद्रजीत सिंह को लेकर खुलकर कभी कुछ नहीं बोले, लेकिन कापड़ीवास मुखर होकर राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ बोलते रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ राज बब्बर को भी रेवाड़ी विधानसभा में भीतरघात का सामना करना पड़ सकता हैं। हालांकि, टिकट कटने के बाद नाराज दिख रहे कैप्टन अजय यादव और उनके विधायक बेटे चिरंजीव राज बब्बर के लिए चुनावी प्रचार में जरूर लगे हुए हैं।
डा. अरविंद शर्मा के लिए नहीं किया प्रचार
रोहतक लोकसभा सीट बीजेपी के लिए काफी अहम है। इस सीट के तहत आने आने वाली रेवाड़ी जिले की यादव बहुल कोसली विधानसभा सीट को राव इंद्रजीत सिंह के परिवार रामपुरा हाउस का दबदबा रहा है। 2019 के चुनाव में कोसली सीट की वजह से ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार कोसली में बीजेपी के कई नेता प्रचार के लिए जरूर पहुंचे, लेकिन अब तक राव इंद्रजीत सिंह ने रोहतक सीट से बीजेपी प्रत्याशी डा. अरविंद शर्मा के लिए एक बार भी प्रचार नहीं किया हैं। कुछ इसी तरह की स्थिति भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट हैं।
प्रचार में अलग-थलग नजर आ रहे राव इंद्रजीत
यहां से राव इंद्रजीत सिंह के खास चौधरी धर्मबीर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। धर्मबीर के नामांकन के बाद राव इंद्रजीत सिंह ने एक दिन के लिए यादव बाहुल्य अटेली और महेंद्रगढ़ में दौरा किया, लेकिन उसके बाद से वे महेंद्रगढ़ जिले में भी प्रचार के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसके पीछे की कई वजह भी नजर आ रही है। राव इंद्रजीत सिंह खुद इस बार प्रचार में अलग-थलग नजर आ रहे हैं। शुरुआत में सीएम नायब सैनी ने नूंह और गुरुग्राम, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नूंह और रेवाड़ी में उनके पक्ष में जनसभाएं की, लेकिन अब राव इंद्रजीत सिंह और उनकी बेटी आरती राव ही चुनावी प्रचार में लगे हैं। एक सप्ताह पहले राव इंद्रजीत सिंह ने महेंद्रगढ़ जिले में चौधरी धर्मबीर सिंह के समर्थन में जनसभा की थी। इस दौरान उन्होंने अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं को आड़े हाथों भी लिया था।
जानें कैसे राज बब्बर के आने से बिगड़े समीकरण
राव इंद्रजीत सिंह 5 बार के सांसद हैं। वे पिछले तीन चुनाव में 2009 से 2019 तक गुरुग्राम सीट से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। 2014 और 2019 में एकतरफा चुनाव जीतने वाले राव इंद्रजीत सिंह को उम्मीद थी कि उनके सामने कांग्रेस किसी यादव चेहरे को ही खड़ा कर सकती है, जिससे उनकी जीत आसान हो जाएगी। लेकिन उनके सामने चुनौती पहली बार दिखाई दे रही है।
राज बब्बर का यहां से चुनाव लड़ना किसी चुनौती से कम नहीं
कैप्टन अजय सिंह यादव की टिकट काटकर कांग्रेस ने सभी समीकरण को पलटते हुए यहां से फिल्म स्टार राज बब्बर को उतार दिया। पंजाबी बिरादरी से आने वाले राज बब्बर का यहां से चुनाव लड़ना राव इंद्रजीत सिंह के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं। भले ही टिकट वितरण में कांग्रेस ने काफी देरी की, लेकिन जिस तरीके से राज बब्बर गुरुग्राम से लेकर रेवाड़ी तक जोर शोर से प्रचार कर रहे है, उससे पंजाबी मतदाताओं का बंटने की पूरी संभावनाएं दिख रही है। अगर ये वोट बैंक बंटा तो इसका सीधा नुकसान राव इंद्रजीत सिंह को उठाना पड़ सकता हैं।
पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रचार से दूर
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पकड़ भले ही गुरुग्राम से लेकर नांगल चौधरी तक रही है, लेकिन पार्टी के भीतर ही उनके विरोधी नेताओं की सूची भी गुरुग्राम से लेकर नांगल चौधरी तक हैं। यहीं कारण है कि राव इंद्रजीत सिंह के बाद इस इलाके के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व सांसद सुधा यादव, पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास के अलावा अलग-अलग इलाकों में राव के विरोधी स्थानीय नेता चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं। यहां तक कि सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल की रैली में राव के विरोधी गुट के नेता मंच पर तो जरूर पहुंचे, लेकिन यहां भी उनकी नाराजगी साफ देखी गई।
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