Harvinder Singh: भारत को पैरालिंपिक तीरंदाजी में दो पदक दिलवाने वाले कैथल के हरविंदर सिंह को मिलेगा पद्मश्री पुरस्कार

नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले के चीका गांव के निवासी हरविंदर सिंह ने तीरंदाजी की दुनिया में अपनी अद्भुत प्रतिभा और समर्पण से एक नया अध्याय लिखा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करते हुए, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। वर्तमान में हरविंदर सिंह दिल्ली में हैं, जहां वे गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं। उनके चयन की खबर से उनके परिवार में एक खुशहाल माहौल है, और उनके पिता परमजीत सिंह ने गर्व से कहा है कि “बेटे को देश का सर्वोत्तम नागरिक पुरस्कार मिल रहा है, जिसने पहले भी देश का नाम रोशन किया है।”
हरविंदर सिंह (Harvinder Singh) एक ऐसे एथलीट हैं, जिन्होंने अपने अनुशासन, कड़ी मेहनत और धैर्य से अद्वितीय उपलब्धियां हासिल की हैं। पेरिस पैरालिंपिक में अपने शानदार प्रदर्शन के दौरान उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था, वहीं टोक्यो पैरालिंपिक में भी कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। उनके अथक प्रयासों और परिवार के समर्थन से यह सफर संभव हो पाया है। हरविंद्र ने अपने परिवार का विशेष उल्लेख किया है, जिसमें उनके पिता परमजीत सिंह, पत्नी मनप्रीत कौर, कोच गौरव शर्मा, जीवनज्योत सिंह, और दोस्त बलवीर सिंह शामिल हैं।
हरविंदर सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी मनप्रीत कौर ने हमेशा उनके साथ खड़े रहकर सभी घरेलू कामों के साथ-साथ उनके बेटे वारिश का भी ध्यान रखा है। जब वे स्पर्धाओं के लिए घर से दूर रहते हैं, तब भी उनका परिवार उन्हें प्रेरित करता है। स्पर्धा के समय में अभ्यास के लिए वे घर के नजदीक के खेत में विशेष व्यवस्था करते हैं, जिससे उन्हें अपनी तैयारी में कोई बाधा नहीं आती। वे नियमित रूप से पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला में भी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, जो उनकी मेहनत का एक और प्रमाण है।
प्रारंभिक कठिनाइयां और चुनौतियां
हरविंदर की कहानी सिर्फ उनकी कड़ी मेहनत की नहीं है, बल्कि यह उन कठिनाइयों का भी प्रतीक है, जिनका सामना उन्होंने संघर्ष के दौरान किया। एक किसान परिवार से संबंधित होते हुए, उनकी यात्रा आसान नहीं रही। जब वे महज डेढ़ साल के थे, उस समय बुखार होने पर एक डॉक्टर ने उन्हें गलत इंजेक्शन लगा दिया, जिससे उनकी एक टांग की ग्रोथ रुक गई। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने कई अस्पतालों के चक्कर लगाए और विभिन्न दवाइयाँ लीं, परंतु उनकी तकलीफ की कोई सुनवाई नहीं हुई।
इस कठिनाई के बावजूद हरविंदर ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी शारीरिक स्थिति को चुनौती दी और तीरंदाजी में अपना करियर बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने कोरोना काल के दौरान भी अभ्यास करना नहीं छोड़ा, जब सभी सुविधाएँ बंद थीं, तब उन्होंने अपने खेत में और घर के आसपास तीरंदाजी का अभ्यास किया। यह उनकी दृढ़ता को दर्शाता है कि कठिनाइयों के बावजूद, वे हमेशा अपनी मंजिल की ओर अग्रसर रहे हैं।
पुरस्कार और उपलब्धियां
हरविंदर सिंह ने 2012 में तीरंदाजी में कदम रखा और तब से अब तक उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व दस बार किया है। उनकी बड़ी उपलब्धि टोक्यो पैरालिंपिक 2020 में कांस्य पदक जीतना थी। इसके अलावा, वे अर्जुन अवार्ड और भीम अवार्ड जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुके हैं। 23 जून 2021 को उनको पंचकूला में भीम अवार्ड मिला और 13 नवंबर 2021 को अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया।
हरविंदर की उपलब्धियों में 2018 में इंडोनेशिया में आयोजित एशियन पैरा गेम्स में स्वर्ण पदक प्राप्त करना, 2019 की एशियन पैरा चैंपियनशिप में कांस्य पदक, और नीदरलैंड में विश्व पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप में पेरिस पैरालिंपिक 2020 के लिए कोटा हासिल करना शामिल है। बीजिंग में 2017 में हुई विश्व पैरा तीरंदाजी में उन्होंने सातवां स्थान प्राप्त किया और थाईलैंड में 2019 में हुई तीसरी एशियन पैरा तीरंदाजी के टीम इवेंट में कांस्य पदक जीता।
भविष्य की योजनाएं
हरविंदर सिंह का सपना अभी खत्म नहीं हुआ है। अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ वे आने वाले समय में और भी बड़ी उपलब्धियों को हासिल करना चाहते हैं। उनका मानना है कि मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। वे युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनना चाहते हैं।
हरविंद्र की उल्लेखनीय कहानी न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्षों की कहानी है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे एक सामान्य परिवार से आने वाला व्यक्ति भी अद्भुत सफलता प्राप्त कर सकता है। उनकी मेहनत, धैर्य और दृढ़ संकल्प ने उन्हें उन ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, जिनका सपना हर युवा एथलीट देखता है। हरविंद्र सिंह की कहानी यह प्रेरणा देती है कि यदि आपके इरादे मजबूत हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।
इस साफ़ और प्रेरणादायक यात्रा के लिए हरविंद्र को पूरे देश की ओर से एक बार फिर बधाई एवं शुभकामनाएँ। वे न केवल अपने गांव और परिवार के लिए, बल्कि समस्त देश के लिए गर्व का कारण बने हैं।
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