Padma Shri award: सोनीपत के साहित्यकार डा. संतराम देशवाल को मिलेगा पद्मश्री अवार्ड

संतराम देशवाल ने अब तक 30 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ललित निबंध और कविता संग्रह शामिल हैं।

नरेन्‍द्र सहारण, सोनीपत : Padma Shri award: सोनीपत के क्षेत्रों में साहित्यिक प्रतिभा की पहचान बनी संतराम देशवाल को इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव मिला है। हरियाणा के इस अद्भुत साहित्यकार ने अपने लेखन और अध्यापन के माध्यम से साहित्य जगत में एक विशेष स्थान बनाया है। संतराम देशवाल की साहित्यिक यात्रा में कई उपलब्धियां दर्ज हैं, और उनकी मेहनत तथा समर्पण ने उन्हें इस सम्मान तक पहुंचाया है।

30 से अधिक पुस्तकें लिखी

 

संतराम देशवाल का जन्म 24 अप्रैल, 1955 को झज्जर जिले के खेड़का गुर्जर गांव में हुआ था। पेशे से वे एक शिक्षक रहे हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान और साहित्यिक योगदान के जरिए अनेक विद्यार्थियों को प्रेरित किया। वे सोनीपत के सीआरए कॉलेज में हिंदी के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनके अध्यापन के साथ-साथ, साहित्य साधना में भी उनकी रुचि रही है, जो उनकी लेखनी के जरिए प्रकट होती है।

पुरस्कृत किया गया

 

देशवाल ने अब तक 30 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ललित निबंध और कविता संग्रह शामिल हैं। विशेष रूप से उनके आठ ललित निबंध संग्रह और कविता संग्रह “अनकहे दर्द” ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा उनके दो महत्वपूर्ण काम, “लोक-आलोक” और “अनकहे दर्द”, को सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के रूप में पुरस्कृत किया गया है। उनके जीवन को साहित्य के प्रति समर्पित करने के कारण, उन्होंने कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जिनमें जनकवि मेहर सिंह पुरस्कार-2014 का सम्मान भी शामिल है।

कई पुरस्कारों से नवाजा गया

 

संतराम देशवाल को अब तक सर्वोत्तम पत्रकारिता सम्मान, लोक शिरोमणि सम्मान, बाल मुकुंद गुप्त साहित्य सम्मान, सर्वोत्तम शिक्षक सम्मान, हिंदी सहस्त्राब्दी सम्मान, काव्य कलश सम्मान और सोनीपत रत्न सम्मान जैसे कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। यह उनके लेखन का जादू ही है कि पाठक उन्हें एक उत्कृष्ट साहित्यकार के रूप में पहचानते हैं। उनकी कृतियों में गहरे विचार, मानवीय संवेदनाएं और समाज के प्रति उनकी दृष्टि झलकती हैं।

बधाई देने वालों का तांता

 

पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा के बाद सोनीपत के सेक्टर-15 स्थित उनके आवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। यह अवसर न केवल उनके लिए, बल्कि उनके प्रशंसकों और विद्यार्थियों के लिए भी एक गर्व का क्षण था। संतराम देशवाल ने इस उपलब्धि को अपने गुरुजनों, बुजुर्गों और पूर्वजों के साथ-साथ अपनी जीवनसंगिनी डा. राजकला देशवाल को भी समर्पित किया। डा. राजकला देशवाल भी एक योग्य साहित्यकार हैं जिनके खाते में पांच-छह बड़े सम्मान हैं। उन्होंने कभी संतराम का समर्थन किया तो कभी उनके लेखन के प्रति अपने विचार साझा किए।

संतराम देशवाल की साहित्यिक यात्रा इस बात का प्रमाण है कि सच्ची मेहनत और संकल्प से किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी किताबें न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि उनमें मानवीय भावनाएं और जीवन के विविध पहलुओं का गहरा अध्ययन देखने को मिलता है। उनकी लेखनी में एक विशेष प्रकार का नृतत्व और संवेदनशीलता है, जो पाठकों को गहराई से छूती है और सोचने पर मजबूर करती है।

कई पत्रिकाओं का संपादन

 

डा. देशवाल ने अपने करियर में कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया है और हरियाणा साहित्य अकादमी की प्रमुख पत्रिका “हरिगंधा” के अतिथि संपादक रह चुके हैं। उनके विचारों का प्रभाव लेखकों और कविता प्रेमियों पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। वे साहित्य की सेवा में अपने योगदान को महत्वपूर्ण मानते हैं और उन्हें अपने काम के पीछे एक उद्देश्य दिखाई देता है।

संतराम देशवाल की कहानी केवल एक साहित्यकार की नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे इंसान की है जिसने अपने जीवन में निरंतर प्रयास किए, ताकि वह ज्ञान का प्रकाश फैला सके। उन्होंने हमें दिखाया है कि साहित्य केवल शब्दों का समूह नहीं है बल्कि यह विचारों और भावनाओं का एक जीवंत रूप है। उनका योगदान न केवल हरियाणा, बल्कि सम्पूर्ण देश में महत्वपूर्ण है और उन्हें इस पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाना इसे और भी मान्यता प्रदान करता है।

इस पुरस्कार की घोषणा से संतराम देशवाल की उपलब्धियों का मान बढ़ा है और उनकी मेहनत की एक नई पहचान मिलने को मिली है। इस समय, हम सभी उनके लेखन और उनकी जीवन यात्रा को सलाम करते हैं और उनके लिए और भी सफलता की कामना करते हैं, साथ ही, हम यह भी उम्मीद करते हैं कि वे आगे भी उत्कृष्ट साहित्य का निर्माण करते रहें और अगले पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर रहें।

डॉ.सन्तराम देशवाल के ललित निबंध संग्रहों की सूची

1. लोक आलोक
2.आंगन में मोर नाचा किसने देखा
3.संस्कृति:स्वरूप एवं भूमंडलीकरण
4. लोक पथ
5.संस्कृति दर्पण
6.इक्कीसवीं सदी के ललित निबंध
7.हंसा बोलिए, मेरे राम!

 

You may have missed