हरियाणा भाजपा में मचा बवाल, अनिल विज के सीएम सैनी व बड़ौली के खिलाफ बयानों पर पार्टी ने जारी किया नोटिस

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana Politics: भाजपा के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के हालिया बयानों ने पार्टी के भीतर हलचल मचा दी है। सीएम नायब सिंह सैनी और प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ अनिल विज ने जो आरोप लगाए, उन्हें भाजपा ने गंभीरता से लिया है। पार्टी अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने अनिल विज को कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें तीन दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण भेजने के लिए कहा है।

बड़ौली ने नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा है कि अनिल विज ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की है, जो पार्टी की विचारधारा के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “यह अत्यंत गंभीर मामला है, विशेषकर तब जब पार्टी पड़ोसी राज्य में चुनावी अभियान चला रही है। चुनावी माहौल में इस प्रकार के बयानों से हमारी पार्टी की छवि को नुकसान होगा। यह जानने के बावजूद आपने ऐसा बयान दिया, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है।”

अनिल विज के बयानों का संदर्भ

अनिल विज का यह विवादित बयान तब शुरू हुआ जब उन्होंने 2 फरवरी को दिए एक संवाददाता सम्मेलन में मोहन लाल बड़ौली के इस्तीफे की मांग की। उनके अनुसार, बड़ौली पर दुष्कर्म के आरोप लगने के कारण उन्हें अपने पद से हट जाना चाहिए। विज ने कहा, “बड़ौली महिलाओं की मीटिंग कैसे ले सकते हैं जब उन पर गंभीर आरोप हैं? हमने तो महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया है। ऐसे में धारा-376 का आरोपी प्रदेश अध्यक्ष नहीं रह सकता। यदि हमारे बड़े-बड़े नेताओं पर भी आरोप लगे हैं, जैसे आडवाणी पर, जिन्होंने अपने आरोप लगने के बाद त्यागपत्र दे दिया था, तो बड़ौली को भी ऐसा ही करना चाहिए।”

मुख्यमंत्री को उन्होंने उठाई समस्याएं

वहीं, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बारे में अनिल विज ने 31 जनवरी को अंबाला में बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “जो लोग मेरी चुनावी हार के पीछे रहे, चाहे वह अधिकारी हों, कर्मचारी हों या छोटे नेता हों, मैंने उन सभी के बारे में लिखित जानकारी दी है। सौ दिन बीत चुके हैं, परंतु न तो मुझसे कुछ पूछा गया और न ही कोई कार्रवाई की गई। मुझे संदेह है कि मेरी हार के पीछे कोई बड़ा नेता जुड़ा हुआ है।”

विज ने मुख्यमंत्री सैनी पर चुटकी लेते हुए कहा, “जब से वे सीएम बने हैं, उन्हें उड़नखटोले से नीचे उतरना चाहिए और जनता के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाना चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा, बल्कि यह पूरे विधायकों और मंत्रियों की आवाज है।”

पार्टी के भीतर असहमति का संकेत

अनिल विज के बयानों ने भाजपा के भीतर असहमति और विवाद का संकेत दिया है। पार्टी की ओर से न सिर्फ विज को नोटिस भेजा गया है, बल्कि उनके बयानों ने पूरी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच भी एक अलग संदेश भेजा है। यदि ये बयानों का सिलसिला जारी रहता है, तो इससे न केवल पार्टी की एकजुटता पर असर पड़ेगा, बल्कि आगामी चुनावों में भी भाजपा की स्थिति कमजोर हो सकती है।

राजनीतिक परिदृश्य

हरियाणा में भाजपा एक ऐसे समय चुनावी अभियान चला रही है जब पार्टी को अपने आंकड़े मजबूत रखने की आवश्यकता है। अनिल विज के बयान वास्तव में पार्टी की छवि पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को चाहिए कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और अगर कोई आंतरिक समस्याएँ हैं, तो उन्हें जल्द से जल्द सुलझाएं।

चुनावी प्रभाव

इस प्रकार के बयान राजनीतिक जोखिम उठा सकते हैं। चुनावी मौसम में अगर पार्टी के भीतर ऐसा विवाद जारी रहता है, तो यह विपक्ष को मौका दे सकता है। विपक्ष खासकर कांग्रेस और अन्य दल हमेशा इस प्रकार की अंदरूनी कलह का फायदा उठाने के लिए तत्पर रहते हैं। पार्टी के नेताओं को चाहिए कि इस स्थिति को सही तरीके से संभालें और एकजुटता का संदेश दें ताकि वे मतदाताओं के बीच विश्वास बनाए रख सकें।

पार्टी की एकजुटता पर सवाल

अनिल विज की विवादित टिप्पणियों ने हरियाणा भाजपा में उथल-पुथल मचा दी है। उन्होंने जो आरोप लगाए हैं, उनसे पार्टी की एकजुटता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है। मोहन लाल बड़ौली का उठाया गया कदम यह संकेत देता है कि पार्टी अपनी छवि को सहेजने के लिए गंभीर है। अब देखना यह है कि अनिल विज कितनी जल्दी पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट कर पाते हैं और क्या यह विवाद पार्टी के ऊपर और नीचे तक असर डालता है। यह सब कुछ आगामी चुनावों में भाजपा की सफलता या असफलता को तय कर सकता है।

 

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