Haryana Politics: जानें कैसे हरियाणा में एक साथ दो मोर्चों पर डटेगी मनोहर लाल और नायब सैनी की जोड़ी

नायब सिंह सैनी और मनोहर लाल।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana Politics: हरियाणा में लोकसभा चुनाव से फ्री हो चुकी भाजपा अब एक साथ दो मोर्चों पर काम करेगी। चार जून को चुनाव नतीजों के तुरंत बाद भाजपा जहां इसी साल अकटूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाएगी, वहीं अल्पमत की सरकार को चार माह यानी अक्टूबर तक चलाए रखना भाजपा के रणनीतिकारों के लिए बड़ी चुनौती होगी। विपक्षी दल लोकसभा के चुनाव नतीजों के आधार पर विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करेंगे, जबकि प्रदेश की राजनीति में नये गठबंधन बनने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।

मतदान ज्यादा उत्साहित करने वाला नहीं

 

प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर हुआ 65 प्रतिशत मतदान ज्यादा उत्साहित करने वाला नहीं है। हालांकि चुनाव विशलेषक इसे सत्तारूढ़ भाजपा के लिए खतरे वाला नहीं मानते। उनकी दलील है कि किसी चुनाव में यदि मतदान प्रतिशत बहुत अधिक या फिर बहुत कम हो तो उससे मतदाताओं की सोच का अंदाजा लगाया जा सकता है। अधिक मतदान होने का मतलब सत्ता विरोधी लहर या विपक्ष को सत्ता में लाने की कोशिश से जुड़ा माना जाता है, जबकि बहुत कम मतदान सत्तारूढ़ दल को सत्ता से अलग करने के रूप में देखा जाता है।

जनता के फायदे से संबंध होंगे फैसले

प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों और करनाल विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव को लेकर सत्तारूढ़ दल भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के अपने-अपने दावे हैं। भाजपा सभी 11 सीटों पर कमल का फूल खिलने का दावा कर रही है, जबकि कांग्रेस को लगता है कि इस बार चुनाव नतीजे भाजपा की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं होंगे। चार जून को चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद सभी राजनीतिक दल उनके हिसाब से अपनी रणनीति बनाएंगे। चूंकि इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हैं तो ऐसे में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार आचार संहिता खत्म होते ही धड़ाधड़ ऐसे फैसले ले सकती है, जिनका सीधे जनता के फायदे से संबंध होगा। लोकसभा चुनाव आरंभ होने से पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को विधानसभा चुनाव की तैयारी के हिसाब से कल्याणकारी योजनाएं बनाने को कह चुके थे, जिन्हें अब चार जून के बाद लागू किया जाना प्रस्तावित है।

हरियाणा में बन सकते हैं नये राजनीतिक गठजोड़

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा लोकसभा चुनाव से पहले कई बार कह चुके कि आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किसी भी दल यानी आम आदमी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। कांग्रेस हुड्डा के इस स्टैंड पर कायम रह पाती है या नहीं, यह भविष्य बताएगा, लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के एकसाथ चुनाव नहीं लड़ने की स्थिति में इनेलो, आप और जजपा का गठजोड़ हो सकता है। राज्य में दलित (वंचित) वर्ग के वोट को साधने के लिए राजनीतिक दलों का फोकस बहुजन समाज पार्टी के साथ भी गठजोड़ करने पर बना रहेगा। हरियाणा के पूर्व गृह राज्य मंत्री एवं सिरसा के हलोपा विधायक गोपाल कांडा की पार्टी पर सबकी निगाह टिकी रहेगी। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि इस बार भाजपा के साथ जननायक जनता पार्टी की जो भूमिका थी, अगले विधानसभा चुनाव में जजपा का स्थान हलोपा ले सकती है। इस दिशा में गोपाल कांडा की पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ व्यापक चर्चा चल रही है।

 

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