हरियाणा के निजी अस्पतालों का आयुष्मान भारत के तहत 200 करोड़ रुपया बकाया, उपचार बंद करने की चेतावनी
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा में ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत मरीजों के उपचार में लगे निजी अस्पतालों ने आंदोलन की चेतावनी दी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने घोषणा की है कि वह तीन फरवरी से अपने अस्पतालों में इस योजना के तहत उपचार नहीं करेंगे। इस स्थिति को बेहद गंभीरता से लेते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्पष्ट किया है कि सरकार किसी भी परिस्थिति में मरीजों का उपचार रुकने नहीं देगी और जल्द ही बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा।
बजट की कोई कमी नहीं
मुख्यमंत्री ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार के पास बजट की कोई कमी नहीं है। उन्होंने जानकारी दी कि निजी अस्पतालों को अब तक 768 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है, जबकि लगभग 200 करोड़ रुपये की और राशि का भुगतान एक-दो दिन में कर दिया जाएगा। आयुष्मान-चिरायु कार्ड योजना के अंतर्गत प्रदेश के 550 प्राइवेट अस्पताल सरकार के पैनल पर हैं।
सरकार पर 400 करोड़ रुपये बकाया
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का आरोप है कि सरकार पर 400 करोड़ रुपये बकाया है और बावजूद इसके उनका भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस मुद्दे दौरान IMA हरियाणा का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से हाल ही में मुलाकात कर चुका है। हालांकि, अब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है, जिससे अस्पतालों में आक्रोश बढ़ रहा है।
आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत केन्द्र की मोदी सरकार ने सितंबर 2018 में की थी, जिसका उद्देश्य गरीब परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये तक मुफ्त उपचार की सुविधा प्रदान करना है। इसके साथ ही, हरियाणा सरकार ने आयुष्मान भारत से अलग एक ‘चिरायु’ योजना भी शुरू की है, जिसमें 1.80 लाख रुपये तक सालाना आय वाले परिवारों के सदस्यों को पांच लाख रुपये तक की मुफ्त उपचार सुविधा मिलती है।
तुरंत ठोस कदम उठाए सरकार
इस बीच आयुष्मान कमेटी के चेयरमैन डॉ. सुरेश अरोड़ा ने कहा है कि यदि सरकार ने इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए, तो सभी आयुष्मान अस्पतालों को अपनी सेवाएं स्थगित करनी पड़ सकती हैं। यह स्थिति स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है, खासकर उन गरीब परिवारों के लिए जो इस योजना के माध्यम से उपचार की उम्मीद कर रहे हैं।
बिलों में निरंतर कटौती
IMA का कहना है कि सरकार ने योजना के दायरे को बढ़ाने के लिए कार्य किए हैं, लेकिन बजट में कोई इजाफा नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अस्पतालों के बिलों में निरंतर कटौती की जा रही है। इससे अस्पतालों की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उन्हें अपने संसाधनों और सेवाओं को बनाए रखना कठिन हो जाता है।
अस्पतालों और सरकार के बीच तनाव
गौरतलब है कि जब अस्पतालों को समय पर भुगतान नहीं होता है, तो सरकार ने यह तय किया है कि वे अस्पतालों को ब्याज के साथ भुगतान करेंगी। इस संबंध में एक समझौता भी हुआ था, लेकिन IMA के प्रतिनिधियों का कहना है कि इस समझौते का पालन नहीं किया जा रहा है। इससे अस्पतालों और सरकार के बीच निरंतर तनाव बना हुआ है।
व्यवस्था को बाधित नहीं होने देंगे
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह भी कहा कि हरियाणा सरकार मरीजों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है और वह किसी भी तरह की व्यवस्था को बाधित नहीं होने देगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि डॉक्टरों और निजी अस्पतालों की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाएगा और जो भी तकनीकी समस्याएं हैं, उनका समाधान जल्दी किया जाएगा।
हालांकि, पिछले कुछ समय से यह स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। अस्पतालों की लगातार शिकायतों के बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस कदम उठाने में देरी। इससे स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदाता और मरीजों दोनों के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। अगर मरीजों को उचित उपचार नहीं मिलता है, तो यह उन गरीब परिवारों के लिए एक बड़ा संकट बन जाएगा, जिन्हें इस योजना के तहत सहायता की आवश्यकता है।
यह स्थिति बदतर होगी
इस समय, IMA ने अस्पतालों के समक्ष यह विकल्प रखा है कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो वे सामूहिक रूप से अपनी सेवाएं स्थगित करने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने आगामी दिनों में कोई राहत नहीं दी, तो यह स्थिति केवल बदतर होगी।
एक तरफ जहां सरकार स्वास्थ्य देखभाल को बेहतर बनाने के लिए नई योजनाएं लाने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ वित्तीय समस्याएं उन्हें एक बड़ी चुनौती बना रही हैं। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही केंद्र और राज्य, दोनों स्तरों पर स्वास्थ्य सेवाओं के लगातार विकास के लिए ठोस और व्यावहारिक उपाय किए जाएंगे।
यदि इस दिशा में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले समय में कई मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं को किसी भी हाल में बाधित न किया जा सके।
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