पुलवामा में आतंकी किए ढेर, सोनीपत के मेजर आशीष दहिया को मिलेगा शौर्य चक्र, पढ़िए उनकी बहादुरी की कहानी

मेजर आशीष दहिया। -
नरेन्द्र सहारण, खरखौदा: सोनीपत के ककरोई गाँव के निवासी मेजर आशीष दहिया को हाल ही में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है, जो कि उनके अद्वितीय साहस और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक है। मेजर दहिया ने पुलवामा, जम्मू-कश्मीर में एक बेहद संवेदनशील और खतरनाक आपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जो उनकी बहादुरी का प्रमाण है। उनके इस कार्य ने न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों को दर्शाया, बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराया। मेजर आशीष दहिया ने अपनी वीरता के बलबूते भारतीय सेना में एक नई मिसाल कायम की है। पिछले एक साल से, उन्होंने पांच उच्च जोखिम वाले अभियानों में भाग लिया है, जिसमें उन्हें चार कट्टर आतंकवादियों और तीन इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) को निष्क्रिय करने का श्रेय प्राप्त हुआ है। यह सभी अभियानों में उनकी चतुराई, रणनीति और साहस ने उन्हें एक अभूतपूर्व स्थिति में ला खड़ा किया है।
आतंकवादियों के हमले का सटीक जवाब
उनके द्वारा अंजाम दिया गया विशेष आपरेशन 2 जून 2024 को पुलवामा के एक गांव में हुआ था। यहां पर मेजर दहिया ने आतंकवादियों के हमले का सटीक जवाब देते हुए एक भागते आतंकवादी को गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस उच्च दबाव वाली स्थिति में उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और साहस का परिचय देते हुए अपने घायल साथी सैनिक को सुरक्षित स्थान पर भी पहुंचाया। इस साहसिक कार्य ने आतंकवादी नेटवर्क को भी एक बड़ा झटका दिया, जिससे उनके मंसूबे अधूरे रह गये।
परिवार की सेना से जुड़ाव
मेजर आशीष दहिया का परिवार लंबे समय से भारतीय सेना के साथ जुड़ा हुआ है। उनके स्वर्गीय पिता, लांस नायक अशोक कुमार, भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके थे, जो कि परिवार के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत बने। मेजर दहिया की पत्नी, मेजर अनुषा, वर्तमान में लेह चाइना बार्डर तसांग में अपनी सेवाएं दे रही हैं। उनके भाई, मेजर अनीष दहिया, सियाचिन में अपनी कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे हैं। पूरा परिवार अपने अदम्य साहस और सेवा के लिए जाना जाता है, और यह सब एक सेना परिवार में पले-बड़े होने का ही परिणाम है।
मेजर दहिया के ताऊ जगबीर सिंह के अनुसार, उनके पिता अशोक के निधन के बाद उन्होंने ही परिवार के सभी बच्चों का पालन-पोषण किया। यह परिवार परिवारिक(values) मूल्यों का परिचायक है, जहां हर सदस्य ने देश के लिए अपनी सेवाएं दी हैं। आशीष का एनडीए में चयन 2011 में हुआ, जिसके बाद उन्होंने 2015 में भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से पास आउट होकर 50 राष्ट्रीय राइफल में अपना करियर शुरू किया।
देश के प्रति प्रतिबद्धता
मेजर आशीष दहिया की शौर्य चक्र प्राप्ति एक ऐसा क्षण है, जो न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे ककरोई गाँव के लिए गर्व का कारण बना है। उनके अविश्वसनीय साहस, निस्वार्थ कर्तव्य भावना और असाधारण नेतृत्व ने उन्हें इस सम्मान का हकदार बनाया। यह पुरस्कार उनके द्वारा किए गए कार्यों की मान्यता है, जिसने उन्हें न केवल व्यक्तिगत रूप से उभारा बल्कि देशवासियों को एक प्रेरणा दी।
मेजर दहिया न केवल एक सैनिक हैं, बल्कि एक ऐसे आदर्श व्यक्ति का उदाहरण हैं, जो अपने परिवार, समुदाय और देश को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं। उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।
ककरोई में खुशी का माहौल
आशीष दहिया के इस अभूतपूर्व सफलता के बाद, ककरोई गाँव में खुशी का माहौल है। गाँव के लोग इस उपलब्धि को अपनी जीत मानते हैं और मेजर दहिया के परिवार के प्रति अपने आदर और सम्मान को व्यक्त कर रहे हैं। परिवार का हर सदस्य अपनी भूमिका निभा रहा है, ताकि वे अपने क्षेत्र और देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।
इस घटना ने स्थानीय लोगों को एक नई ऊर्जा दी है और युवा पीढ़ी को प्रेरित किया है कि वे भी अपने करियर में साहस और दृढ़ता का प्रदर्शन करें। ककरोई गाँव ने मेजर दहिया के साहस और उनके योगदान का जश्न मनाया, जिसने सभी को यह बताने का मौका दिया कि हर इंसान अपने काम के जरिए देश का गौरव बढ़ा सकता है।
कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक
मेजर आशीष दहिया की शौर्य चक्र से सम्मानित होने की घटना न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों का परिणाम है, बल्कि यह उन सभी सैनिकों के प्रति हमारी कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक भी है, जो दिन-रात हमारे देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि साहस, नैतिकता और निस्वार्थ सेवा हमेशा सराही जाती है और हमें अपने देश की सेवा के लिए प्रेरित करती है। मेजर दहिया की तरह हम सभी को अपने स्वरूप को पहचानते हुए समाज और देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखना चाहिए।
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