हरियाणा में खास पोस्टिंग के लिए सीनियर आइएएस अफसरों पर भारी पड़ रहे जूनियर, सीनियरों में बनी हुई है नाराजगी

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी। फाइल

नरेन्‍द्र सहारण, ,चंडीगढ़ : Haryana News: केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवाओं की परीक्षा पास करने के बाद, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों को आमतौर पर अपनी सेवाओं में लगभग पांच से छह वर्षों का अनुभव प्राप्त करने के बाद एक जिले में उपायुक्त (DC) के पद पर नियुक्त किया जाता है। लेकिन हरियाणा में ऐसी स्थिति बनी है कि गैर-राज्य नागरिक सेवा वर्ग से आइएएस बने अधिकारियों को महज दो वर्षों के भीतर ही महत्वपूर्ण जिला उपायुक्त के पद पर नियुक्त कर दिया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में, राज्य के सीनियर आइएएस अधिकारियों में नाराजगी देखने को मिल रही है। उनका मानना है कि इस तरह की नियुक्तियाँ राजनीतिक आशीर्वाद से मिलती हैं और इस प्रक्रिया में सीनियरिटी का ध्यान नहीं रखा गया है।

छह आइएएस अधिकारियों को प्रमोट किया

 

हरियाणा सरकार ने जनवरी 2023 में प्रदेश कैडर के 2016 बैच के छह आइएएस अधिकारियों को जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड (JAG) में प्रमोट किया। यह प्रमोशन उन अधिकारियों को दिया जाता है, जिन्होंने नियुक्ति के समय तक नौ साल की सेवा पूरी की होती है और जिनका सेवा रिकॉर्ड साफ-सुथरा होता है। इस बैच में कुछ ऐसे अधिकारी शामिल हैं, जो केवल दो वर्ष और दो माह की सेवा के बाद ही इस प्रमोशन के हकदार बन गए। इनमें अभिषेक मीणा और राहुल नरवाल शामिल हैं, जो 2016 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सफल होने के बाद सीधे आइएएस बने थे।

हरियाणा में नियुक्त किए गए चार अन्य ग्रुप-ए अधिकारियों की नियुक्ति अक्टूबर 2022 में हुई, जब केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने उन्हें सीधे आइएएस में शामिल किया। इन चार अधिकारियों में डॉ. विवेक भारती, डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ, डॉ. जयइंद्र सिंह छिल्लर और डॉ. ब्रह्मजीत सिंह रंगी शामिल हैं। ये सभी अधिकारी आइएएस सेवा में नियुक्त होने के बाद केवल दो वर्ष दो माह में ही अधिकारियों की श्रेणी में प्रमोट हो गए, जबकि अन्य आईएएस अधिकारियों को इसके लिए कई सालों तक इंतजार करना पड़ता है।

इनकी नियुक्ति आइएएस (चयन द्वारा नियुक्ति) नियमावली 1997 और आइएएस (प्रोबेशन) नियमावली 1954 के अंतर्गत हुई थी। इससे पहले डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ और डॉ. ब्रह्मजीत सिंह रंगी हरियाणा सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर क्लास वन के अधिकारियों के रूप में कार्यरत थे, जबकि विवेक भारती और जयइंद्र सिंह छिल्लर राजकीय महाविद्यालयों में वरिष्ठ असिस्टेंट प्रोफेसर थे।

सीनियर अधिकारियों की नाराजगी

हरियाणा में सीनियर आइएएस अधिकारियों का मानना है कि इस प्रकार की तैनातियों से उनके मेहनत और अनुभव की अनदेखी की जा रही है। सीनियरिटी के महत्व को नकारते हुए ऐसे अधिकारियों को इष्टतम पदों पर बैठा दिया गया है, जिन्होंने अभी तक सार्वजनिक प्रशासन में अपेक्षित अनुभव भी नहीं हासिल किया है। इसके परिणामस्वरूप जिस तरह से प्रशासनिक व्यवस्था में संतुलन और दक्षता प्रभावित हो सकती है, उस पर सीनियर अधिकारियों का चिंता जताना उचित है।

आइएएस में सीधी नियुक्ति से आए अधिकारियों के तेजी से प्रमोशन की प्रक्रिया, प्रादेशिक सिविल सेवा से आने वाले अधिकारियों की स्थिति को पूरी तरह से प्रभावित कर रही है। इन अधिकारियों को आइएएस में प्रमोशन के लिए 15 से 20 वर्षों तक का समय लग सकता है, जबकि नॉन-एचसीएस कोटे से सीधे आए अधिकारी इस प्रक्रिया को पार करके बहुत जल्दी महत्वपूर्ण पद पर पहुंच जाते हैं।

सरकार की प्राथमिकता: राजनीतिक मुद्दे

हरियाणा सरकार की ओर से इस तरह की नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक संरक्षण का आरोप भी लगाया गया है। इस परिस्थिति में सीनियर अधिकारियों का मानना है कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में स्वच्छता और पारदर्शिता बनाए रखने की आवश्यकता है। यदि एक सुसंगत और सुव्यवस्थित प्रशासन स्थापित करना है, तो वरिष्ठता, अनुभव और सेवा रिकॉर्ड को ध्यान में रखा जाना अनिवार्य है।

राजनीतिक दबाव के कारण ऐसी नियुक्तियाँ होती हैं, जो समग्र प्रशासनिक व्यवस्था के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। यह सामान्य नागरिक के प्रति प्रशासन की विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर सकती है। सीनियर आईएएस अधिकारियों का आरोप है कि नए अधिकारियों को बिना उचित अनुभव के पदों पर बिठा देना, वास्तविकता से दूर की जाने वाली प्रदर्शनशीलता को बढ़ावा देता है।

सटीकता और निष्पक्षता की मांग

हरियाणा के आम लोगों और प्रशासनिक प्रणाली के भीतर सभी के लिए यह आवश्यक है कि सरकार द्वारा नियुक्तियों में निष्पक्षता और सटीकता को बनाया जाये। इस दिशा में सही उपायों की आवश्यकता है, ताकि ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न न हों, जिससे प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठें।

आखिरकार एक सक्षम प्रशासनिक प्रणाली वही होती है, जिसमें अधिकारियों का अनुभव और योग्यता प्राथमिकता के साथ सामने आ सके। निष्पक्ष औपबंधिकता सुनिश्चित करने के लिए, सीनियर अधिकारियों की आपत्ति और चिंता को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

हरियाणा में भारी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और प्रशासनिक फैसलों की संवेदनशीलता को देखते हुए, यह ज़रूरी है कि सरकार ऐसे कारक पेश करे, जो न्यायपूर्ण प्रशासन सुनिश्चित करे। अनुभव और सीनियरिटी को देखते हुए नियुक्तियों में पारदर्शिता को बनाए रखना भी सर्वोत्तम प्रशासन का अभिन्न हिस्सा है।

सिस्टम में हो पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता

 

हरियाणा के प्रशासनिक ढांचे में जो असमानताएं उत्पन्न हो रही हैं, उन्हें दूर करने की आवश्यकता है। सीनियर आइएएस अधिकारियों का अनुभव और उनकी सेवा रिकॉर्ड को महत्व देने से ही सिस्टम में पारदर्शिता तथा विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सकेगी। इसके लिए, न केवल सरकार को, बल्कि सभी संबंधित अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन करने की आवश्यकता है ताकि जनता को एक कुशल और उत्तरदायी प्रशासन मिल सके।

 

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