Kisan Andolan: पंजाब सरकार की चिंता के बीच सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई, डल्लेवाल को मनाने का प्रयास रहा विफल

नरेन्‍द्र सहारण, खनौरी (संगरूर) : Kisan Andolan: किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने रविवार को लगातार 41 दिन से चल रहे अपने आमरण अनशन के बीच चिकित्सा सुविधा लेने से एक बार फिर मना कर दिया। डल्लेवाल, जो पिछले एक महीने से अधिक समय से स्वास्थ्य कारणों से गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं, अपनी स्थिति को लेकर अडिग रहे। इस बीच, पूर्व डीआइजी नरेन्द्र भार्गव उन्हें मनाने के लिए खनौरी पहुंचे, लेकिन किसान नेताओं ने यह कहते हुए उनसे मिलने से इंकार कर दिया कि डल्लेवाल की तबियत ठीक नहीं है।

डल्लेवाल को मनाने की सभी कोशिशें असफल

 

पंजाब सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है, क्योंकि उसे सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में डल्लेवाल को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी है। इस संदर्भ में राज्य प्रशासन इधर-उधर के सभी प्रयास कर रहा है कि डल्लेवाल कम से कम चिकित्सा सुविधा लेने के लिए राजी हों, लेकिन उन्हें मनाने की सभी कोशिशें असफल रही हैं।

डल्लेवाल के लिवर और किडनी में गंभीर खराबी

 

रविवार को डल्लेवाल की खराब स्वास्थ्य के चलते सरकारी डाक्टरों की टीम किसी प्रकार का चेकअप या टेस्ट भी नहीं कर पाई। हालांकि, उनकी सेहत की देखभाल कर रही एक निजी चिकित्सा टीम ने बताया है कि डल्लेवाल के लिवर और किडनी में गंभीर खराबी आई है। अगर वे आमरण अनशन खत्म भी कर देते हैं, तब भी उनके अंगों की पूरी तरह से काम करने की संभावना बहुत कम नजर आती है। ऐसे में, उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंता और बढ़ गई है।

गिरती स्वास्थ्य स्थिति से अधिक चितित

 

सुप्रीम कोर्ट की हालिया सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह बात स्पष्ट की थी कि उसे डल्लेवाल के आमरण अनशन की चिंता नहीं है, बल्कि उनकी गिरती स्वास्थ्य स्थिति से अधिक चितित है। अदालत ने कहा था कि पंजाब के कुछ अधिकारी और किसान नेता इस सदर्भ में गलत संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। ये अधिकारी और नेता यह प्रदर्शित करने का प्रयास कर रहे हैं कि अदालत डल्लेवाल के अनशन को खत्म करने के लिए सक्रिय है, जबकि वास्तविकता यह है कि अदालत का ध्यान केवल डल्लेवाल की स्वास्थ्य को लेकर है। इस पर कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों और नेताओं की सुलह कराने की कोशिशों को लेकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की।

एक जन आंदोलन का उदय

किसान नेता सुरजीत सिंह फूल, काका सिंह कोटड़ा और अभिमन्यू कोहाड़ ने इस स्थिति पर चर्चा करते हुए पत्रकारों से कहा कि यह धारणा गलत है कि खनौरी और शंभू में चल रहा मोर्चा केवल दो किसान नेताओं का है। उन्होंने कहा कि हाल ही में शनिवार को हुई महापंचायत के बाद स्पष्ट हो गया है कि किसानों की विभिन्न मांगे और मुद्दे अब एक महत्वपूर्ण जन आंदोलन का हिस्सा बन चुके हैं। यह मोर्चा केवल कृषि कानूनों या किसी एक मुद्दे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों के व्यापक हितों की रक्षा करने के लिए एक सशक्त उपस्थिति के रूप में उभरा है।

लड़ाई जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध

 

किसान नेताओं ने यह भी बताया कि आंदोलन में शामिल किसानों और उनके समर्थकों के जनसमर्थन से यह स्पष्ट होता है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ाई जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे इस आंदोलन को समाप्त करने की कोई योजना नहीं बना रहे हैं, जब तक कि उनका मुद्दा सही तरीके से सुलझ नहीं जाता।

पंजाब की सरकार की कोशिशें, जो अव्यवस्था में फंसी हुई दिखाई दे रही हैं, ने किसानों को और भी उग्र बना दिया है। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन ने न केवल पंजाब बल्कि देश भर में एक पुनर्निर्मित आंदोलन का स्वरूप ले लिया है। किसान अब केवल अपनी कृषि से जुड़ी समस्याओं तक ही सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि वे अन्य सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठा रहे हैं।

हालांकि, डल्लेवाल के स्वास्थ्य के मुद्दे ने विभिन्न स्तरों पर गंभीर चर्चा को जन्म दिया है। जब तक डल्लेवाल को चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिलतीं, उनकी स्थिति पर विचार करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वे गंभीरता से इस मुद्दे को लें। यदि इस आंदोलन में कोई भी असामान्य स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

त्वरित कदम उठाने का प्रयास करें

जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन केवल एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा आंदोलन का प्रतीक है जो किसानों के हक में खड़ा हुआ है। ऐसे में, सरकार को चाहिए कि वह किसानों के मुद्दों को सुनने और समाधान में त्वरित कदम उठाने का प्रयास करें। इस बीच, डल्लेवाल और अन्य किसान नेताओं की स्थिति पर नजर बनाए रखने की आवश्यकता है, क्योंकि यह आंदोलन किसानों के भविष्य और उनकी हक की लड़ाई का भाग है। सभी की निगाहें अब पंजाब सरकार और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बनी हुई हैं, जिसमें इस संकट की गंभीरता को समझने की आवश्यकता है।

 

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