India Meeting: प्रधानमंत्री पद का चेहरा कब होगा तय, ममता बनर्जी किया साफ

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। India Meeting : अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने विपक्ष अब किसी चेहरे के बजाय सामूहिक नेतृत्व के साथ मैदान में उतर सकता है। विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए की मंगलवार को होने वाली अहम बैठक से पहले ही बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी से इसके संकेत दिए हैं। साथ ही कहा है कि गठबंधन को चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के लिए कोई चेहरा तय करने के बजाय सामूहिक नेतृत्व के आधार पर चुनाव लड़ना चाहिए। पीएम का फैसला चुनाव के बाद हो जाएगा। हालांकि इसको लेकर कोई भी अंतिम फैसला गठबंधन की बैठक में होगा। इस बीच बैठक में हिस्सा लेने के लिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं का दिल्ली में जमावड़ा लगना शुरू हो गया है।

मसलों को सुलझाने को लेकर एक संयोजक की हो सकती है नियुक्ति

सोमवार को ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव व समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव जैसे कई पार्टियों के नेता दिल्ली पहुंचे गए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनसीपी प्रमुख शरद पवार सहित गठबंधन के दूसरे प्रमुख नेताओं के भी देर रात तक दिल्ली पहुंचने की संभावना है। गठबंधन में शामिल विपक्षी दलों की वैसे तो यह चौथी बैठक है लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर जिस तरह से अब काफी कम समय बचा है, ऐसे में सीटों आदि को लेकर इस बैठक में कोई फैसला या फिर सर्वमान्य फार्मूला तय हो सकता है। इसके साथ ही गठबंधन से जुड़े मसलों को सुलझाने को लेकर एक संयोजक की भी नियुक्ति की जा सकती है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं उनमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को यह जिम्मा सौंपा जा सकता है। वैसे भी वह गठबंधन के सभी नेताओं में सबसे वरिष्ठ और अनुभवी है। इसके साथ ही वे संसद में विपक्षी दलों की होने वाली बैठकों की लंबे समय से अध्यक्षता भी करते आ रहे हैं। माना जा रहा है कि उनके नाम को लेकर ज्यादातर विपक्षी नेताओं की सहमति भी देखने को मिल सकती है।

चुनावों के बाद विपक्षी दल दिख रहे एकजुट

विपक्षी दलों के गठबंधन की मंगलवार को होने वाली बैठक को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। यह कांग्रेस के साथ ही समूचे विपक्ष के लिए भी एक बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि इन चुनावों के बाद विपक्षी दल पहले से कुछ ज्यादा एकजुट दिख रहे हैं। संसद में भी इनकी एकजुटता देखने को मिल रही है। संसद की सुरक्षा चूक के मुद्दे पर सभी एकजुट होकर सरकार पर हमलावर हैं। हालांकि संसद में जिस तरह से हंगामे के चलते दोनों सदनों के करीब 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया, उसका असर भी मंगलवार को गठबंधन की होने वाली बैठक में भी दिख सकता है। सीटों के बंटवारे पर आपसी मतभेदों को भुलाकर सभी एक-दूसरे के प्रति नरम रुख अपना सकते हैं।

हेमंत सोरेन गठबंधन की बैठक में नहीं होंगे शामिल
गौरतलब है कि गठबंधन की दिल्ली से पहले पटना, बेंगलुरु और मुंबई में भी बैठक हो चुकी हैं।
उधर झारखंड से राज्य ब्यूरो के अनुसार नई दिल्ली में होने वाली आइएनडीआइए की बैठक में मुख्यमंत्री एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन व्यस्तता के चलते शामिल नहीं होंगे। वे आइएनडीआइए की शीर्षस्थ नीति निर्धारिक समिति के भी सदस्य हैं। उनके स्थान पर बैठक में झामुमो के राजमहल से सांसद विजय हांसदा, राज्यसभा सदस्य महुआ माजी और झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य शामिल होंगे।

सीटों के बंटवारे को लेकर ममता अपने रुख पर अडिग

उधर, ममता बनर्जी आइएनडीआइए में सीटों के बंटवारे को लेकर अपने रुख पर अडिग है। बैठक में वह फिर यही बात रखने वाली हैं कि जिस राज्य में जो विरोधी दल सबसे अधिक शक्तिशाली है, वहां उसी के अनुसार सीटों का बंटवारा किया जाए। बनर्जी ने विश्वास जताया है कि बंगाल में उनकी तृणमूल कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस और वाम दलों के बीच गठबंधन संभव है। सूत्रों ने बताया कि कुछ विरोधी दलों के नेता ममता के इस फार्मूले से सहमत हैं, हालांकि कांग्रेस व माकपा शायद ही इसके लिए राजी हों क्योंकि ऐसा होने पर कांग्रेस को बंगाल में चुनाव लड़ने के लिए इक्का-दुक्का सीटें ही मिल पाएंगी। कांग्रेस ने 2019 के लोस चुनाव में बंगाल में मात्र दो सीटें जीती थीं जबकि माकपा समेत किसी भी वामदल का खाता तक नहीं खुल पाया था। इसलिए शायद माकपा को एक भी सीट न मिले। ममता हर बैठक में कहती आ रही हैं कि सीटों को लेकर जल्द निर्णय ले लिया जाए ताकि चुनावी तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

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