JN. 1: जेएन.1 ओमिक्रान का ही है सब वैरिएंट, देश में तेजी से बढ़ रहा संक्रमण; गंभीर रोगी बरतें एहतियात

नई दिल्ली, एजेंसी। Corona Virus: कोरोना वायरस का संक्रमण थमने के बाद अब दिसंबर में यह फिर देश में बढ़ने लगा है। देश में पहला केस आठ दिसंबर 2023 को केरल के तिरुवनंतपुरम के काराकुलम में कोरोना वायरस के सब वैरिएंट ओमिक्रान बीए.2.86 का स्ट्रेन जेएन.1 पाया गया है। ओमिक्रान के अन्य सब-वैरिएंट की तुलना में जेएन 1 अधिक संक्रामक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसलिए इसे वैरिएंट आफ इंटरेस्ट घोषित किया है। कोरोना के केस बढ़ते देखकर देशभर के प्रमुख माइक्रोबायोलाजिस्ट ने गुरुवार को वर्चुअल माध्यम से मंथन शुरू कर दिया, जिसमें जीएसवीएम मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. विकास मिश्रा भी शामिल रहे।

WHO ने रिपोर्ट में बताया संक्रामक है पर घातक नहीं नया वैरिएंट

डा. मिश्रा ने बताया कि अमेरिका के सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एवं प्रिवेंसन ने सितंबर माह में पहली बार ओमिक्रान के नए वैरिएंट जेएन.1 की पहचान हुई है। उसके बाद से 40 देशों में संक्रमण फैल चुका है। भारत में आठ दिसंबर 2023 को पहला केस रिपोर्ट हुआ था। कोरोना के 2300 से अधिक केस सामने आए हैं, जिनकी जीनोम सिक्वेंसिंग में जेएन.1 वैरिएंट के 21 केस रिपोर्ट हुए हैं। प्रो. मिश्रा के मुताबिक डब्ल्यूएचओ ने नए वैरिएंट को संक्रामक तो माना है, पर पहले से गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को छोड़कर बाकियों के लिए यह घातक नहीं है। यह उनके लिए भी खतरनाक हो सकता है, जिनके कोरोना और इंफ्लूएंजा के संक्रमण से फेफड़े ही क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इसलिए सामान्य प्रतिरोधक क्षमता वालों को घबराने की नहीं बल्कि एहतियात बरतने की जरूरत है।

वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत

प्रो. मिश्रा का कहना है कि दो साल से कोरोना की कोई लहर नहीं आई है। अंतिम लहर ओमिक्रान की ही थी। लगभग दो साल से कोविड वैक्सीनेशन भी नहीं हो रहा है। ऐसे में कोरोना वायरस के संक्रमण की प्राकृतिक एंटीबाडी भी कम हो चुकी है। वैक्सीनेशन से एंटीजन देकर एंटीबाडी बनाई गई थी, वह भी धीरे-धीरे कम हो चुकी है। इसलिए संक्रमण की आशंका पर वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने की जरूरत पड़ेगी। इसका सुझाव संस्था की तरफ से केंद्र सरकार को दिया गया है। साथ ही कोरोना से बचाव के लिए सभी को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सुझाव भी दिया है।

ये हैं लक्षण

बुखार, गंभीर सिरदर्द, नाक बहना, गले में खराश, मतली, भूख कम लगना, थकान, मांसपेशियों में कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत और चलने फिरने में थकान होना।

ये हैं कोरोना के हाई रिस्क

बुजुर्ग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल, किडनी, लिवर, कैंसर, किडनी व लिवर प्रत्यारोपण कराने वाले, कुपोषित, फेफड़ों की बीमारी में सीओपीडी, टीबी, अस्थमा, एलर्जिक ब्रांकाइटिस और कोरोना के चलते फेफड़े क्षतिग्रस्त हो चुके मरीज हैं।

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