Jyoti Malhotra: ज्योति मल्होत्रा के पहलगाम जाने के बाद हुआ था आतंकी हमला, एनआइए जांच में जुटी

नई दिल्ली, बीएनएम न्‍यूज : Jyoti Malhotra: भारत- पाकिस्तान सीमा पर जासूसी के नए मामलों ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के संदिग्ध गतिविधियों और उससे जुड़े जासूसी नेटवर्क के खुलासे से पता चलता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां भारत में अपने जासूसों का जाल बिछाने में लगी हैं। एनआइए और आइबी की टीमों द्वारा की गई जांच में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य और तथ्य सामने आए हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि जासूसी रैकेट के कई नए मॉड्यूल सक्रिय हैं। इस रिपोर्ट में हम इन जटिल मामलों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, जिनमें मुख्य रूप से ज्योति मल्होत्रा का संपूर्ण संदर्भ, उसकी गतिविधियों का देश-विदेश में फैलाव, और पाकिस्तान की खुफिया गतिविधियों का नेटवर्क शामिल है।

ज्योति मल्होत्रा का जासूसी कनेक्शन और पूछताछ

गिरफ्तारी के बाद से ही एनआइए और आइबी की टीमें ज्योति मल्होत्रा की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही हैं। पूछताछ के दौरान मिली जानकारी से पता चला है कि उसने मार्च महीने में आखिरी बार पाकिस्तान उच्च कमीशन के अधिकारी दानिश से मुलाकात की थी। यह मुलाकात उसकी जासूसी गतिविधियों का एक अहम हिस्सा थी, जिसके बाद से दोनों के बीच लगातार संवाद और चैट होती रही है। इससे यह संकेत मिलता है कि उसकी जासूसी गतिविधियों में उच्च स्तर का सरकारी संपर्क भी शामिल था।

आश्चर्यजनक बात यह है कि ज्योति मल्होत्रा ने अपने संचार का मुख्य आधार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूट्यूब को बनाया है। उसके चैनल पर भारत के विभिन्न धार्मिक तीर्थस्थलों जैसे अयोध्या, उत्तराखंड, वाराणसी और उज्जैन की वीडियो और फोटो पोस्ट की गई हैं। इन वीडियो में श्रीराम मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, दशाश्वमेध घाट, महाकाल मंदिर जैसे स्थानों की जानकारी साझा की गई है। यह गतिविधियां संदिग्ध संदेह पैदा करती हैं कि वह इन स्थलों का इस्तेमाल जासूसी नेटवर्क के लिए गोपनीय जानकारी एकत्र करने के लिए कर रही थी।

ज्योति के काशी, उज्जैन, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और कैंचीधाम जैसे धार्मिक स्थलों पर बनाए गए वीडियो और फोटो खंगालने के लिए दिल्ली की खुफिया एजेंसियों की टीम पहुंची है। इन वीडियो में वह स्थानीय खान-पान, गलियों, घाटों और धार्मिक अनुष्ठानों का अवलोकन करती नजर आई है। इन गतिविधियों का उद्देश्य भारत के धार्मिक स्थलों की जासूसी करना और महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी हासिल करना माना जा रहा है।

बांग्लादेश वीजा आवेदन और यात्रा की भूमिका

जांच में यह भी पता चला है कि ज्योति मल्होत्रा ने बांग्लादेश का वीजा भी आवेदन किया था। वीजा आवेदन पत्र पर तारीख नहीं दी गई है, जिससे उसकी यात्रा का उद्देश्य एवं योजना स्पष्ट नहीं हो पाई है। एजेंसियों का मानना है कि बांग्लादेश यात्रा का मुख्य मकसद भारत में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित जासूसी नेटवर्क के साथ जुड़ना था। बांग्लादेशी आपरेटरों के साथ संपर्क बनाने के लिए यह यात्रा एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआइ का माड्यूल

यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआइ) भारत में अपने जासूसी नेटवर्क को मजबूत करने के लिए बांग्लादेश का इस्तेमाल कर रही है। इस नेटवर्क के तहत भारत में सक्रिय जासूसों को पाकिस्तान के ऑपरेटरों से जोड़ा जा रहा है। इस साजिश के तहत, ज्योति जैसी युवतियों का इस्तेमाल वीडियो शूटिंग, सोशल मीडिया पोस्ट और व्यक्तिगत संपर्क के जरिए जासूसी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा है।

ज्योति के मोबाइल और लैपटॉप डाटा का विश्लेषण

पुलिस ने अब तक उसकी मोबाइल और लैपटॉप का डाटा खंगालना शुरू किया है। हालांकि, अभी तक डाटा की रिपोर्ट पूरी नहीं आई है। इसमें कई संदिग्ध चैट, वीडियो फाइलें और सोशल मीडिया ट्रांजेक्शंस शामिल हैं। यह डाटा जासूसी नेटवर्क की खुफिया गतिविधियों का बड़ा खुलासा कर सकता है। साथ ही, जांच एजेंसियों को यह भी पता चल रहा है कि ज्योति ने किन-किन लोगों से संपर्क किया है और कौन-कौन से स्थानों का दौरा किया है।

देवेंद्र सिंह ढिल्लों का संबंध और ऑपरेशन सिंदूर

जासूसी के आरोप में गिरफ्तार देवेंद्र सिंह ढिल्लों का भी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के साथ संबंध उजागर हुआ है। उसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी पाकिस्तानी इंटेलिजेंस के संपर्क में रहने का दावा किया है। जांच में पता चला है कि इस दौरान उसकी बातचीत पाकिस्तान समर्थित एजेंटों से हुई है। वाट्सएप का डाटा रिकवर न होने के कारण टीम को उस समय की बातचीत का पूरा रिकॉर्ड नहीं मिल पाया है।

देवेंद्र ने अपने दो मोबाइल फोन से हजारों पेजों का डाटा डिलीट किया है, लेकिन अब भी कुछ डेटा रिकवर किया जा रहा है। जांच एजेंसी उसकी बातचीत, वीडियो और फोटो भेजने के रिकॉर्ड खंगाल रही है। देवेंद्र को चार दिन के रिमांड पर लिया गया है, और पुलिस उसकी गतिविधियों की गहराई से जांच कर रही है।

पंजाब में पकड़े गए जासूसों का नेटवर्क

 

पंजाब में हाल ही में गिरफ्तार छह जासूसों की काल लिस्ट और संपर्क जांच से पता चला है कि उनके नेटवर्क में चार राज्यों के लोग शामिल हैं। इन आरोपितों का संपर्क मुख्य रूप से दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान हाई कमीशन के अधिकारी दानिश से है। पंजाब के ये जासूस हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और राजस्थान से हैं, जो पाकिस्तान के जासूसी रैकेट के हिस्से हैं।

इन आरोपितों के मोबाइल के कॉल रिकॉर्ड और चैट लिस्ट से पता चलता है कि इनकी जासूसी गतिविधियों में शामिल लोग कौन-कौन हैं। इनसे मिली जानकारियों को संबंधित राज्य की पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ साझा किया जा रहा है। इससे साफ है कि पाकिस्तान का जासूसी नेटवर्क भारत के विभिन्न राज्यों में सक्रिय है, और उसकी निगाहें खास तौर पर धार्मिक स्थलों, सरकारी प्रतिष्ठानों और संवेदनशील क्षेत्रों पर टिकी हैं।

संबंधित एजेंसियों का विश्लेषण

 

इन जांचों से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां भारत में जासूसी का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर रही हैं। युवतियों का इस्तेमाल सोशल मीडिया, वीडियो शूटिंग, और धार्मिक स्थलों का दौरा कर जासूसी गतिविधियों को अंजाम देना, इन एजेंसियों का मुख्य रणनीति है।

ज्योति मल्होत्रा और देवेंद्र सिंह जैसे युवाओं का जासूसी नेटवर्क में शामिल होना, यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अपने जासूसी मॉड्यूल को और भी मजबूत बना रहा है। इसके साथ ही, बांग्लादेश, नेपाल और अन्य पड़ोसी देशों का भी इस नेटवर्क में उपयोग किया जा रहा है।

आगे की कार्रवाई और सुरक्षा उपाय

जांच एजेंसियां अभी भी इन मामलों की गहराई से जांच कर रही हैं। रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद, ज्योति मल्होत्रा और देवेंद्र सिंह को अदालत में पेश किया जाएगा। उससे आगे की कार्रवाई में उनकी गिरफ्तारी, डाटा विश्लेषण, और नेटवर्क का भंडाफोड़ मुख्य रहेगा।

साथ ही, मुख्य सुरक्षा एजेंसियों ने टारगेटेड ऑपरेशन शुरू कर दिए हैं ताकि इन जासूसी रैकेट के अन्य सदस्यों का पता लगाया जा सके। सरकार ने सतर्कता बढ़ाते हुए, धार्मिक स्थलों, सरकारी प्रतिष्ठानों और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा भी मजबूत कर दी है।

जासूसी मामलों की श्रृंखला एक गंभीर खतरा

भारत- पाकिस्तान सीमा और आंतरिक सुरक्षा के लिए यह जासूसी मामलों की श्रृंखला एक गंभीर खतरा है। ज्योति मल्होत्रा और उससे जुड़े नेटवर्क का पर्दाफाश, यह दर्शाता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां भारत के खिलाफ जासूसी गतिविधियों को तेज कर रही हैं। युवाओं का इस्तेमाल, सोशल मीडिया का दुरुपयोग और पड़ोसी देशों के साथ मिलकर भारत की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने की कोशिशें इन एजेंसियों की रणनीति का हिस्सा हैं।

इस जटिल मामले का समाधान निकालने के लिए सरकार, खुफिया एजेंसियों और राज्यों की पुलिस को मिलकर काम करना होगा। टेक्नोलॉजी आधारित निगरानी, सोशल मीडिया विश्लेषण, और विश्वसनीय इनपुट पर तेजी से कार्रवाई जरूरी है। साथ ही, नागरिक सुरक्षा, जागरूकता और सतर्कता के साथ ही इन खतरनाक नेटवर्क को तोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए।

सारांश में, यह घटनाएं भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक चेतावनी हैं, और इनसे निपटने के लिए समुचित रणनीतियों का विकास और क्रियान्वयन आवश्यक है। केवल सतर्कता, जागरूकता और संयुक्त प्रयास से ही इन जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश और अंत किया जा सकता है, ताकि देश की सुरक्षा और संप्रभुता सुरक्षित रह सके।

 

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