Kaithal News: कैथल में दामाद हत्या मामले में 3 को उम्रकैद, लव मैरिज से नाराज परिवार ने गोली मारकर मर्डर कराया

नरेन्द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: कैथल जिले में एक दुखद घटना ने सभी को चौका दिया, जब अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डॉ. नंदिता कौशिक ने हत्याक्षेत्र में तीन व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला प्रेम विवाह से जुड़ा है, जिसने एक निर्दोष युवक की जान ले ली। इस मामले में न्यायालय ने न केवल तीन आरोपियों को सजा सुनाई, बल्कि आर्थिक दंड भी लगाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्याय व्यवस्था हत्या के ऐसे मामलों में कितनी गंभीरता से कार्य करती है।
प्रेम विवाह का सामाजिक परिणाम
मामले का मुख्य पात्र प्रिंस था, जिसने सुनीता नाम की युवती के साथ प्रेम विवाह किया था। सुनीता, जो कुरुक्षेत्र जिले के नीमवाला की निवासी थी, के परिवार वाले इस विवाह से बिल्कुल खुश नहीं थे। पारिवारिक सामाजिक दबाव के कारण उन्होंने स्पष्ट ऐलान किया था कि यदि यह विवाह नहीं तुड़वाया गया, तो वे प्रिंस की हत्या करके बदला लेंगे। यह घटना यह दर्शाती है कि किस प्रकार प्रेम विवाह को समाज में स्वीकार्यता नहीं मिल पाती है और इसके परिणामस्वरूप हिंसा का सामना करना पड़ सकता है।
हत्या का अपराध
2 दिसंबर 2019 को प्रिंस अपनी दुकान पर था जब उसके भाई राजकुमार और उसके दोस्त गोगी उसे खाना देने के लिए पहुंचे। उस समय प्रिंस की दुकान पर बलराम, जॉनी और गुरदीप उपस्थित थे। अचानक, बलराम और जॉनी ने पिस्तौल से प्रिंस पर फायरिंग कर दी। यह सुनकर आसपास के लोग जमा हो गए और बदमाश मौके से भाग गए। घायल प्रिंस को उसके भाई और गोगी द्वारा गुहला के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। यह एक निर्दयी अपराध था, जो एक परिवार के लिए अमिट दुख छोड़ गया।
पुलिस की कार्रवाई
घटना के तुरंत बाद राजकुमार ने चीका थाने में शिकायत दर्ज की। पुलिस ने जांच शुरू की और बलराम, जॉनी और गुरदीप के खिलाफ मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यह आरोप लगाया गया कि प्रिंस की हत्या के पीछे सुनीता के माता-पिता, भाई और बहन का हाथ था। उन्होंने प्रिंस की हत्या करने के लिए बलराम, जॉनी, और गुरदीप को प्रेरित किया था। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया और मामले की जांच जारी रखी।
न्यायालयी कार्यवाही
अभियोजन पक्ष की ओर से एडीए पुष्पेंद्र सैनी ने मामले की पैरवी की। उन्होंने अदालत में आरोपियों के खिलाफ मजबूत सबूत पेश किए। हालांकि सभी आरोपियों के खिलाफ समान सबूत नहीं थे। जोनी और गुरदीप पर धारा 120-बी आईपीसी के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था, लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया।
अदालती निर्णय
मामले की सुनवाई के दौरान एडीजे डॉ. नंदिता कौशिक ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद फैसला सुनाया। उन्होंने बलराम, मनोज और प्रवीन को दोषी पाया और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही बलराम पर 70,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया, जबकि मनोज और प्रवीन पर 60,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया। यदि जुर्माना अदा नहीं किया गया, तो उन्हें 5 महीने अतिरिक्त जेल में बिताने का आदेश दिया गया।
समाज में प्रेम विवाह के प्रति सोच
यह मामला केवल एक हत्या का मामला नहीं है; यह उस समाज की सोच को भी उजागर करता है, जहां प्रेम विवाह अब भी तिरस्कृत होता है। बहुत से परिवारों में आज भी यह सोच बनी हुई है कि उनके बच्चों के लिए केवल पारंपरिक विवाह ही सही हैं। वे अक्सर प्रेम विवाह के खिलाफ होते हैं और इसके परिणामस्वरूप कई बार हिंसक घटनाएँ घटित होती हैं।
बदलाव की आवश्यकता
कैथल की इस घटना ने यह साबित कर दिया कि समाज में बदलाव की आवश्यकता है। प्रेम विवाह को एक सम्मानजनक स्थिति में लाने के लिए समाज को अपनी सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है। यह जरूरी है कि हम ऐसे मामलों में अपनी आवाज उठाएँ और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करें। न्यायालय का निर्णय इस दिशा में एक अच्छी पहल है, लेकिन इसे समाज के स्तर पर भी लागू करने की आवश्यकता है। प्रेम विवाह जैसी संवेदनशील मुद्दों पर सभी को मिलकर सोचने और बदलाव लाने की दिशा में कदम उठाने होंगे।
इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया है कि न्याय के लिए सही साबित करने की प्रक्रिया कितनी महत्वपूर्ण है। यह इस बात का सबूत है कि अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए, चाहे मामला कितना भी जटिल क्यों न हो। समाज में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सही दिशा में उठाए गए कदम ही सच्चे न्याय की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।