Kaithal News: कैथल के मोहित ने UPSC में हासिल किया दूसरा स्थान, मजदूरी करते थे पिता, खुद भी बने सरकारी टीचर
नरेन्द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: कैथल के 29 वर्षीय युवा मोहित धीमान ने हाल ही में यूपीएससी द्वारा आयोजित भू-वैज्ञानिक परीक्षा में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा स्थान हासिल कर एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है। मोहित का यह सफर न केवल उनकी खुद की मेहनत का फल है, बल्कि उनके माता-पिता के बलिदान और संघर्ष की भी कहानी है। कलायत के रहने वाले मोहित की पृष्ठभूमि साधारण है; उनके पिता कुलदीप धीमान पेशे से एक मजदूर हैं और राज मिस्त्री के तौर पर काम करते हैं। आर्थिक तंगी और कठिनाइयों के बावजूद, कुलदीप ने अपने बच्चों को तरक्की की राह पर ले जाने के लिए हर संभव प्रयास किया।
शिक्षा का सफर: कठिनाइयों का सामना
मोहित की शिक्षा की शुरुआत गांव के सरकारी स्कूल में हुई। यहाँ मोहित ने न केवल अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, बल्कि हर कक्षा में अव्वल रहने का कीर्तिमान भी स्थापित किया। उनकी कड़ी मेहनत और याद करने की क्षमता ने उन्हें घर और स्कूल में सभी का पसंदीदा बना दिया। ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा की पढ़ाई उन्होंने कलायत के शिक्षा भारती स्कूल से की, जहां भी उन्होंने अपने अfसाधारण प्रदर्शन को जारी रखा। इस दौरान, मोहित ने यह सिद्ध कर दिया कि साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चे भी शिक्षा के क्षेत्र में कमाल कर सकते हैं।
आगे की शिक्षा के लिए मोहित ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का रुख किया, जहां उन्होंने फिजिक्स में बीएससी और फिर एमएससी की डिग्री हासिल की। इस सफर में उन्हें यह अहसास हुआ कि उनके पिता द्वारा कमाए गए हर पैसे की कीमत कितनी है। यही प्रेरणा उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रही।
माता-पिता का संघर्ष और त्याग
मोहित के माता-पिता की मेहनत और बलिदान की कहानी भी बहुत प्रेरणादायक है। कुलदीप धीमान ने अपने बच्चों के लिए हमेशा पढ़ाई को प्राथमिकता दी। अपनी कठिनाईयों के बावजूद उन्होंने हर संभव प्रयास किया कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें। आज उनके लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी जब 2014 में उन्हें कला शिक्षक के तौर पर सरकारी स्कूल में नौकरी मिली। उनकी यह मेहनत उस समय के लिए बहुत मायने रखती थी, जब पैसे की कमी उन्हें प्रगति की राह पर रोकने की कोशिश कर रही थी।
मोहित का निर्णय
यूपीएससी की भू-वैज्ञानिक परीक्षा से जुड़ने की सोच मोहित के मन में बचपन से ही थी। उनकी माता-पिता ने उन्हें सही मार्गदर्शन दिया और उनके इस सपने का साथ दिया। मोहित ने अपनी पढ़ाई में पूरी ताकत लगा दी। उन्होंने न केवल क्षेत्रों में सफलता पाई बल्कि अपने परिवार और समाज को भी गर्वित किया।
यूपीएससी की भू-वैज्ञानिक परीक्षा में फरवरी 2024 में प्री-एग्जाम, जून में मेंस और दिसंबर में साक्षात्कार आयोजित किया गया। जब मोहित ने अपनी मेहनत का परिणाम देखा और अपने नाम के आगे दूसरा स्थान पाया, तो इसका प्रभाव उनकी माता-पिता पर गहरा पड़ा। मोहित की सफलता ने उनके माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू भर दिए। मोहित ने कहा, “यह मेरी मेहनत और माता-पिता के बलिदान का फल है। अब मेरा उद्देश्य अपने कर्तव्यों को संजीदगी से निभाते हुए देश की सेवा करना है।”
अध्ययन में गहरी रुचि और समर्पण की कहानी
मोहित के माता-पिता का मानना है कि उनकी सफलता का एक प्रमुख कारक उनकी गहरी अध्ययन में रुचि है। वे बताते हैं कि मोहित बचपन से ही किताबों के प्रति आकर्षित रहे हैं। जेब खर्च के पैसों को बचाकर किताबें खरीदना और उन्हें पढ़ना उनके लिए हमेशा एक महत्वपूर्ण काम रहा है। उनका अनुशासन और समर्पण ही उनकी सफलता की मुख्य कुंजी रहा है।
प्रेरणा का स्रोत
मोहित की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपनी कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता की ओर बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन के साथ किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। मोहित ने युवा पीढ़ी को यह संदेश दिया है कि शिक्षा केवल एक साधन नहीं है, बल्कि यह एक शक्ति है जो व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करती है।
भविष्य की दिशा
अब जब मोहित ने यूपीएससी परीक्षा में यह सफलता प्राप्त कर ली है, तो उनके लिए नई चुनौतियाँ सामने हैं। उनका लक्ष्य अपनी शिक्षा और ज्ञान का उपयोग करके देश की सेवा करना है। वह समाज को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए तत्पर हैं, और उनका अनुभव यही बताता है कि कोई भी व्यक्ति अपने दृढ़ संकल्प और सही मार्गदर्शन के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
असंभव को संभव बनाया
मोहित धीमान की यह कहानी हमें सिखाती है कि असंभव को संभव बनाने के लिए मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है। उन्होंने अपने परिवार की कठिनाइयों को पार किया और दिखाया कि सच्ची मेहनत और संघर्ष के बिना कुछ भी प्राप्त नहीं होता। मोहित की सफलता केवल उनके लिए नहीं, बल्कि उनके माता-पिता और पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा का प्रतीक है। उनकी कहानी हमें यह विश्वास दिलाती है कि यदि हम अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहें, तो हम किसी भी परिस्थिति में सफल हो सकते हैं।
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