Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने मन की बात के 117वें प्रसारण में लिया कुरुक्षेत्र का नाम, जानें किस बात के लिए की तारीफ

नरेन्‍द्र सहारण, कुरुक्षेत्र : Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने 117वें ‘मन की बात’ प्रसारण में कुरुक्षेत्र जिले का उल्लेख किया। उन्होंने इसे मलेरिया उन्मूलन के लिए एक मॉडल जिला बताया, जिसने स्वास्थ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। यह घोषणा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य की ओर एक कदम और बढ़ने का संकेत है। भारत सरकार ने मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य 2030 तक निर्धारित किया है और कुरुक्षेत्र ने इस दिशा में एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

मलेरिया का प्रभाव और संबद्ध चुनौतियां

मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय भी यह स्वास्थ्य संबंधी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रही। मलेरिया, विशेष रूप से एक महीने से लेकर पांच साल के बच्चों के लिए जीवन संकट बन सकता है। इस संदर्भ में, मलेरिया के मामलों में मृत्यु दर के आंकड़े चिंतित करने वाले हैं, जिनमें से अधिकांश संक्रामक रोगों में मलेरिया को तीसरे स्थान पर रखा गया है। लेकिन अब प्रधानमंत्री ने गर्व से कहा है कि भारत ने इस गंभीर समस्या का आशुतोषपूर्ण ढंग से सामना किया है।

आंकड़े और उपलब्धियां

प्रधानमंत्री ने साझा किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2023 के बीच भारत में मलेरिया से होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत की कमी आई है। यह एक बड़ी उपलब्धि है और इसे सिर्फ आंकड़ों के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे जन-जन की भागीदारी और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी के रूप में भी ये समझना चाहिए। यह आंकड़ा भारत की स्वास्थ्य नीतियों और रणनीतियों की सटीकता को दर्शाता है।

कुरुक्षेत्र का मॉडल: जनभागीदारी की सफलता

प्रधानमंत्री मोदी ने कुरुक्षेत्र जिले को सफलतापूर्वक मलेरिया उन्मूलन के लिए एक आदर्श मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया। जिले में 2021 से अब तक मलेरिया का एक भी केस नहीं मिला है, जो इस क्षेत्र की सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल की सफलता को दर्शाता है। इसके पीछे समुदाय की भागीदारी और स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि असम में चाय बागानों तथा हरियाणा के कुरुक्षेत्र में जनभागीदारी से मलेरिया की रोकथाम को बढ़ावा मिला है।

समुदाय का योगदान और जागरूकता

कुरुक्षेत्र में मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में जनभागीदारी का काफी अहम रोल रहा है। जिले में नुक्कड़ नाटक, रेडियो प्रसारण और अन्य जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को मच्छरों की प्रजनन स्थलों को नियंत्रित करने के लिए प्रेरित किया गया। इन प्रयासों ने मलेरिया के खिलाफ एक ठोस आधार तैयार किया, जिससे न केवल आंकड़े कम हुए बल्कि आम आदमी में चेतना भी बढ़ी।

जिला नोडल मलेरिया अधिकारी डा. प्रदीप कुमार ने बताया कि यह सफलता स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों और जनता की साझा कोशिशों का परिणाम है। प्रधानमंत्री के प्रति विश्वास को बनाए रखने की जिम्मेदारी अब और बढ़ गई है। यह दर्शाता है कि जब समाज का हर व्यक्ति एक लक्ष्य के प्रति समर्पित होता है, तो बदलाव संभव है।

आने वाले कदम और भविष्य की दृष्टि

 

कुरुक्षेत्र की इस सफलता को देखते हुए, आगामी वर्षों में इस मॉडल को अन्य जिलों में भी लागू करने की आवश्यकता है। मलेरिया के खिलाफ युद्ध केवल एक स्थायी प्रयास है, जिसमें जनता, स्वास्थ्य विभाग, और सरकारी नीतियों का समन्वय होना आवश्यक है। मलेरिया नियंत्रण की दिशा में उठाए गए कदमों का अनुकरण कर और बेहतर परिणाम प्राप्त करने की दिशा में विचार करना होगा।

कुरुक्षेत्र का नाम मलेरिया उन्मूलन में एक तेज़ी से उभरते हुए मॉडल के रूप में लिया जा रहा है। यह न केवल एक स्वास्थ्य चुनौती का सामना कर रहा है, बल्कि यह समर्पण, जनभागीदारी और जागरूकता का प्रतीक भी है। पीएम मोदी की बातों से प्रेरित होकर, अब यह जिम्मेदारी हमें उठानी है कि हम इस मॉडल को अन्य क्षेत्रों में विस्तारित करें और भारत को मलेरिया मुक्त बनाने के लक्ष्य में अपना योगदान दें। कुरुक्षेत्र की सफलता यह दर्शाती है कि अगर हम सभी मिलकर काम करें, तो हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

 

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